Sandila Industrial Area: संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार, 750 एकड़ जमीन अधिग्रहण को 75% किसानों की

Published On: June 21, 2025
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Sandila Industrial Area: संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार, 750 एकड़ जमीन अधिग्रहण को 75% किसानों की

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Sandila Industrial Area: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के औद्योगिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है। राज्य सरकार प्रदेश में औद्योगिक हब (Industrial Hub) के विस्तार और उसे मज़बूत करने के लिए लगातार अभिनव प्रयास कर रही है, और हाल ही में 750 एकड़ भूमि (750 Acre Land Acquisition UP) के अधिग्रहण की प्रक्रिया उसी दिशा में उठाया गया एक विशाल और निर्णायक कदम है। यह विस्तार, जो विशेष रूप से हरदोई जिले के संडीला औद्योगिक क्षेत्र (Sandila Industrial Area Hardoi) में हो रहा है, न केवल नए उद्योगों (New Industries in UP) को आकर्षित करेगा बल्कि प्रदेश में रोज़गार (Employment Generation UP) के नए अवसर भी पैदा करेगा।

संडीला औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार और किसानों की सहमति (Sandila Industrial Area Expansion and Farmer Consent):

संडीला औद्योगिक क्षेत्र (Sandila Industrial Expansion) का यह प्रस्तावित विस्तार चार गांवों में होगा। शुरुआती चरण में भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition UP) को लेकर किसानों (Farmers Consent for Land) और अधिकारियों के बीच मुआवजे की दर (Compensation Rate Dispute) पर कुछ मतभेद थे, जिसके कारण प्रक्रिया में देरी हो रही थी। किसान अपनी बेशकीमती जमीनों के लिए सर्किल रेट (Circle Rate Land Compensation) से ज़्यादा, लगभग एक करोड़ पच्चीस लाख रुपये प्रति बीघा (₹1.25 Crore Per Bigha Land) की मांग कर रहे थे। किसानों का तर्क था कि उनकी ज़मीन का स्थानीय बाजार मूल्य (Local Market Value Land) बहुत अधिक है, तो वे सर्किल रेट पर क्यों सहमत हों।

हालांकि, प्रशासनिक स्तर पर लगातार बातचीत (Continuous Dialogue with Farmers) और मध्यस्थता के प्रयासों के बाद, स्थिति बदल गई है। खुशी की बात यह है कि अब 900 से अधिक किसानों (900 Farmers Agreed to Land Acquisition) ने अपनी भूमि अधिग्रहण पर सहमति पत्र (Consent Letter for Land Acquisition) दे दिए हैं। इससे लगभग 750 एकड़ (750 Acres for Industrial Use) ज़मीन का अधिग्रहण काफी आसान हो गया है, जो इस विशाल औद्योगिक विस्तार के लिए आवश्यक है। यूपीसीडा (UPSIDA – Uttar Pradesh State Industrial Development Authority) और स्थानीय प्रशासन अब इस संबंध में अगली कार्रवाई करने को तैयार है।

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राज्य सरकार, जो औद्योगिक क्षेत्र में उद्यम लगाने (Setting Up Industries in UP) के लिए आवश्यक ज़मीन की कमी (Land Shortage for Industries) को दूर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ने इन चार गांवों से जुड़े जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया (Land Acquisition Process) में तेजी लाई। प्रदेश सरकार ने राज्य में उद्यम लगाने के लिए कई आकर्षक योजनाएं (Government Schemes for Industries) भी शुरू की हैं, जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ एमओयू साइन (MoU Signing for Industries) किए जा रहे हैं, ताकि यूपी निवेश का नया गंतव्य (New Investment Destination UP) बन सके।

जमीनों के मूल्य और अधिग्रहण प्रक्रिया का इतिहास (Land Valuation and Acquisition Process History):

यूपीसीडा (UPSIDA) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा (Prem Prakash Meena – CEO UPSIDA) ने जनवरी 2024 में तहसील प्रशासन को पत्र भेजकर संडीला औद्योगिक क्षेत्र के विस्तारीकरण के लिए ग्राम रैसों (Raiso), बघुआमऊ (Baghuamau), जमसारा (Jamsara) और समोधा (Samodha) के किसानों से जमीन लेने का आदेश दिया था। यह तब हुआ जब औद्योगिक क्षेत्र के पहले के सभी फेज में अपेक्षित जमीन उपलब्ध नहीं थी।

किसानों के साथ बैठकें कर उनकी चिंताओं को समझने का प्रयास किया गया। 15 मार्च 2025 को यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चर्चित गौड़ (Charchit Gaur – CEO UPSIDA), आरएम अजय दीप (Ajay Deep), तहसीलदार निखिलेश (Nikhilesh) और एसडीएम डॉ. अरुणिमा श्रीवास्तव (Dr. Arunima Srivastava) की उपस्थिति में नई तहसील के सभागार में किसानों की एक महत्वपूर्ण बैठक (Farmers Meeting on Land Acquisition) हुई थी। इसी बैठक में किसानों ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय बाजार मूल्य लगभग ₹1.25 करोड़ प्रति बीघा है, इसलिए वे सर्किल रेट (Circle Rate Land Price) पर अपनी बेशकीमती जमीनें क्यों दें।

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समझौता और भूमि अधिग्रहण अधिनियम का पालन (Agreement and Compliance with Land Acquisition Act):

किसानों और अधिकारियों के बीच कई बार बातचीत (Negotiations on Compensation) होने पर भी पहले कोई समझौता नहीं हो पाया था, लेकिन तहसील प्रशासन (Tehsil Administration Role) ने अपने स्तर से किसानों के साथ लगातार संवाद (Continuous Dialogue with Farmers) बनाए रखा। इसी का परिणाम है कि रैसों, बघुआमऊ, जमसारा और समोधा के कुल 1,200 किसानों में से 900 ने भूमि अधिग्रहण पर अपनी लिखित सहमति (Written Consent for Land Acquisition) दी है, जो लगभग 750 एकड़ जमीन के लिए है।

यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act) के अनुसार, जिस क्षेत्र में जमीन अधिग्रहण हो रहा है, वहां के प्रभावित किसानों में से कम से कम 70 प्रतिशत किसान (70% Farmer Consent Mandatory) लिखित रूप से अपनी जमीन देने के लिए राजी नहीं हो जाते, तब तक सरकार कानूनन जमीन अधिग्रहण नहीं कर सकती। चूंकि चारों गांवों के लगभग 75 प्रतिशत किसानों (75% Farmers Consent for Land) ने लिखित रूप से सहमति दे दी है, इससे इस महत्वपूर्ण अधिग्रहण प्रक्रिया में आई बाधाएं दूर हो गई हैं और काम आसान हो गया है। यह दिखाता है कि विकास और किसान कल्याण (Development with Farmer Welfare) को कैसे संतुलित किया जा सकता है।

यह औद्योगिक विस्तार उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश (Capital Investment UP) और विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector UP) को बढ़ावा देगा, जिससे राज्य औद्योगिक शक्ति (Industrial Powerhouse UP) के रूप में उभरेगा और लाखों युवाओं के लिए स्थायी रोज़गार के अवसर (Employment Opportunities UP) पैदा होंगे। यह उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास (Economic Development of Uttar Pradesh) में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

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