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Join NowLucknow Metro: लखनऊ के निवासियों के लिए खुशखबरी है! शहर में मेट्रो का सफर और भी विस्तृत और सुगम होने वाला है. लखनऊ मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी पकड़ रहा है, जो वसंत कुंज से चारबाग तक शहर के एक महत्वपूर्ण हिस्से को जोड़ेगा. उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) इस महत्वाकांक्षी परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है.
वर्तमान में, वसंत कुंज से चौक तक के रूट पर सॉइल टेस्टिंग, टोपोग्राफी का अध्ययन और यूटिलिटी डायवर्जन का लगभग 40% काम पूरा हो चुका है. यह शुरुआती चरण किसी भी बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह निर्माण कार्य की नींव रखता है और संभावित बाधाओं की पहचान करने में मदद करता है.
कब मिलेगी मंजूरी और कब शुरू होगा निर्माण?
अब इस परियोजना को पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की मंजूरी का इंतजार है, जो इसी महीने मिलने की उम्मीद है. इसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसके माध्यम से निर्माण कार्य के लिए योग्य कंपनियों का चयन किया जाएगा. मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, साथ ही नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) भी इस परियोजना को हरी झंडी दिखा चुका है. अब केवल केंद्रीय कैबिनेट की अंतिम मुहर लगनी बाकी है.
यूपीएमआरसी के अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में इसी महीने पीआईबी की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा और माना जा रहा है कि इसे स्वीकृति मिल जाएगी. यूपीएमआरसी ने टेंडर प्रक्रिया को सुचारू रूप से शुरू करने के लिए पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं.
कितने समय में पूरा होगा काम?
आमतौर पर, इस तरह के बड़े मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण में लगभग 6 साल का समय लगता है. हालांकि, यूपीएमआरसी इस परियोजना को महज 4 साल में पूरा करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है. इसी कारण से, मंजूरी मिलने से पहले ही ‘ग्राउंड लेवल वर्क’ शुरू कर दिया गया है. विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी परियोजना के शुरू होने से पहले ग्राउंड वर्क पूरा करने में 6 से 10 महीने लग जाते हैं. पहले से यह काम हो जाने से निर्माण के दौरान काफी समय बचाया जा सकेगा और परियोजना जल्द पूरी हो सकेगी.
यूपीएमआरसी ने कानपुर और आगरा में मेट्रो निर्माण के अनुभवी विशेषज्ञों की मदद से ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का ‘ग्राउंड लेवल वर्क’ शुरू किया है. इसके लिए लगभग 1.5 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है. इस कार्य में सॉइल टेस्टिंग (मिट्टी की जांच), टोपोग्राफी (भूमि का सर्वेक्षण) और यूटिलिटी डायवर्जन (भूमिगत सेवाओं का स्थानांतरण) से संबंधित रिपोर्ट तैयार की जा रही है. टोपोग्राफी के लिए एरियल सर्वे किया जा रहा है, जिससे जमीन के ऊपर निर्माण कार्य के दौरान आने वाली संभावित दिक्कतों का आकलन किया जा सके.
इसके साथ ही, यूटिलिटी डायवर्जन के तहत यह पता लगाया जा रहा है कि भूमिगत सीवर लाइन, पानी की पाइप लाइन और बिजली के तार किस स्थान पर बिछे हुए हैं, ताकि निर्माण के दौरान उन्हें सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया जा सके या उनसे बचाव किया जा सके. वसंत कुंज से चौक तक सॉइल टेस्टिंग के लिए मिट्टी के नमूने निकालकर प्रयोगशाला में भेजे गए हैं, जबकि बाकी हिस्से में यह कार्य प्रगति पर है.
कैसा होगा नया ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर?
रिपोर्ट्स के अनुसार, 11.16 किलोमीटर लंबे इस रूट पर कुल 12 स्टेशन होंगे. चारबाग से वसंत कुंज तक फैले इस कॉरिडोर का 4.286 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड (ऊपरगामी) होगा, जबकि 6.879 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड (भूमिगत) बनाया जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 5,801 करोड़ रुपये आंकी गई है.
इस कॉरिडोर में 7 अंडरग्राउंड स्टेशन होंगे, जिनके नाम हैं: चारबाग, गौतमबुद्ध मार्ग, अमीनाबाद, पांडेयगंज, सिटी रेलवे स्टेशन, मेडिकल चौराहा और चौक. इसके अलावा, 5 एलिवेटेड स्टेशन होंगे, जो ठाकुरगंज, बालागंज, सरफराजगंज, मूसाबाग और बसंत कुंज में स्थित होंगे.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर मौजूदा नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर से चारबाग मेट्रो स्टेशन पर जुड़ेगा. इस जंक्शन के बनने से चारबाग स्टेशन एक इंटरचेंज स्टेशन के रूप में काम करेगा, जिससे यात्रियों को एक कॉरिडोर से दूसरे कॉरिडोर में आसानी से बदलने की सुविधा मिलेगी.
कुल मिलाकर, लखनऊ में मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का निर्माण शहर के यातायात और कनेक्टिविटी को एक नया आयाम देगा. तेजी से चल रहे शुरुआती कार्यों और सरकार की सक्रियता को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि लखनऊ के लोग जल्द ही इस नई मेट्रो लाइन पर भी सफर का आनंद ले सकेंगे.
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