UP Panchayat Chunav: क्रिकेट (cricket) के खेल का एक नियम है कि किसी भी खिलाड़ी को इंटरनेशनल मैच (international match) में उतरने से पहले घरेलू पिच (domestic pitch) पर खुद को साबित करना होता है। ठीक यही नियम राजनीति (politics) में भी लागू होता है – अगर आपको राज्य या देश में शीर्ष पर सत्ता चाहिए, तो पहले स्थानीय निकाय (local bodies) और पंचायत स्तर (panchayat level) पर अपनी पकड़ बनानी होगी। इसकी बानगी इन दिनों उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अगले साल होने वाले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों (Tri-level Panchayat Elections) के लिए साफ तौर पर देखी जा रही है। खास बात यह है कि केंद्र और राज्य में सत्ताधारी एनडीए (NDA) और विपक्षी इंडिया गठबंधन (INDIA Gathbandhan), दोनों ही खेमों में इसे लेकर बराबर टेंशन (tension) बनी हुई है, क्योंकि दोनों के ही सहयोगी दल (alliance partners) अलग-अलग चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) अगले साल की शुरुआत में होने की प्रबल संभावना (strong possibility) है, क्योंकि राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission) ने भी अपनी तैयारियां (preparations) तेज़ कर दी हैं। इसको लेकर राजनीतिक दलों (political parties) के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नज़र आ रही हैं। इसकी सीधी वजह है कि ये पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav), जो विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) से ठीक पहले हो रहे हैं, वोटरों (voters) के मूड (mood) पर सीधा असर डाल सकते हैं। बीजेपी (BJP) से लेकर समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) तक, सभी प्रमुख दलों के रणनीतिकार (strategists) इस ‘अचानक’ सामने आई टाइमिंग (timing) को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इसे विधानसभा चुनाव 2027 (Vidhan Sabha Chunav 2027) का सेमीफाइनल (Semifinal) माना जा रहा है।
राजनीतिक दलों की कैसी है तैयारियां?
आगामी त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव (Tri-level Panchayat Elections) की तैयारियों के बीच बीजेपी (BJP) और सपा (SP) ने अपनी-अपनी रणनीति (strategy) में बदलाव करना शुरू कर दिया है। बीजेपी (BJP) जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) में अपनी पकड़ और ज़्यादा मजबूत करने की कोशिश में जुटी है, वहीं सपा (SP) अपने पीडीए फार्मूले (PDA formula) (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) और बसपा (BSP) अपने पुराने जातिगत समीकरणों (caste equations) को साधने में लगी हुई है। कांग्रेस (Congress) भी अब गांवों में अपनी पैठ (penetration) बढ़ाने के लिए सक्रिय (active) हो रही है; उसने हाल ही में अपने संगठन में बदलाव (organizational changes) किए हैं और तेजी से पंचायत स्तर पर अपनी इकाइयाँ मजबूत करने में जुट गई है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इन पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) का माहौल आने वाले विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) में वोटिंग पैटर्न (voting pattern) को वाकई प्रभावित करेगा?
पंचायत चुनाव की टाइमिंग से क्यों बढ़ी है टेंशन?
अगर बीते कई चुनावों के नतीजों (election results) को देखें तो यह मानना है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) का असर विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) पर पड़ना तय है। साल 2011, 2016 और 2021 में हुए पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) के ठीक बाद हुए विधानसभा चुनावों (Vidhan Sabha Chunav) में यह साफ तौर पर देखा गया था कि ग्रामीण वोटरों (rural voters) का मूड (mood) कहीं न कहीं विधानसभा चुनावों में भी झलकता है। इस बार भी अगर पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में किसी पार्टी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिले या कोई झटका लगा, तो उसका सीधा मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक असर विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) पर पड़ सकता है।
बीजेपी का ग्रामीण वोटरों पर खास फोकस:
बीजेपी (BJP) ने इन पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) को विधानसभा चुनाव 2027 (Vidhan Sabha Chunav 2027) की एक तरह से रिहर्सल (rehearsal) मानते हुए कमर कस ली है। पार्टी ‘गांव चलो’ अभियान (Gaon Chalo Abhiyan) के तहत अपने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव भेजकर केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं (government schemes) का प्रचार करने में जुट गई है। बीजेपी (BJP) को उम्मीद है कि पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में अच्छा प्रदर्शन विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) में भी उसकी राह आसान करेगा।
भाजपा के लिए क्या हैं चुनौतियां?
बीजेपी सरकार (BJP government) में सहयोगी (alliance partners) ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की सुभासपा (SBSP) और संजय निषाद (Sanjay Nishad) की निषाद पार्टी (Nishad Party) ने एनडीए (NDA) के लिए थोड़ी टेंशन (tension) बढ़ा दी है, क्योंकि इन दोनों ही दलों ने पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में अलग-अलग लड़ने (contesting separately) का ऐलान कर दिया है। अगर ये दल अकेले चुनाव लड़कर अच्छा प्रदर्शन करते हैं या जीतते हैं, तो भविष्य में विधानसभा चुनाव 2027 (Vidhan Sabha Chunav 2027) में सीटों के बंटवारे (seat sharing) को लेकर बीजेपी (BJP) पर उनका दबाव (pressure) बढ़ जाएगा। वहीं, एनडीए (NDA) में एक और महत्वपूर्ण सहयोगी (ally) रालोद (RLD) ने अभी तक पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह गठबंधन के साथ लड़ेगी या अकेले। हालांकि, माना यह भी जा रहा है कि पश्चिमी यूपी (West UP) में बीजेपी (BJP) के लिए स्थिति शायद उतनी चुनौतीपूर्ण (challenging) नहीं होगी जितनी अन्य क्षेत्रों में हो सकती है। कुल मिलाकर, ये पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) वाकई में विधानसभा 2027 (Vidhan Sabha 2027) से पहले राजनीति (politics) की एक बड़ी नेट प्रैक्टिस (net practice) या कहें कि सेमीफाइनल (semifinal) साबित हो सकते हैं।