Property Dispute : पिता से गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी पुश्तैनी नहीं मानी जाएगी! भाई-बहन के झगड़े पर बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

Published On: May 1, 2025
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Property Dispute : पिता से गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी पुश्तैनी नहीं मानी जाएगी! भाई-बहन के झगड़े पर बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

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Property Dispute : जमीन-जायदाद के झगड़े अक्सर परिवारों में दरार डाल देते हैं, खासकर भाई-बहन के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद आम हैं। हर कोई अपने हक के लिए लड़ता है, लेकिन कई बार यह जानना मुश्किल हो जाता है कि कानूनी तौर पर किसका दावा कितना मजबूत है। खासकर, जब बात पुश्तैनी संपत्ति की आती है, तो इसे लेकर काफी भ्रम होता है।

लेकिन क्या पिता द्वारा अपनी कमाई से खरीदी और फिर गिफ्ट में दी गई संपत्ति हमेशा पुश्तैनी होती है? हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐसे ही भाई-बहन के बीच चल रहे संपत्ति विवाद में एक बेहद अहम फैसला सुनाया है, जो इस सवाल का जवाब देता है और संपत्ति अधिकारों को लेकर तस्वीर साफ करता है।

क्या था पूरा मामला?

यह कहानी मुंबई के एक डॉक्टर परिवार की है। डॉक्टर पिता ने अपनी मेहनत से मुंबई में अच्छी संपत्ति (फ्लैट्स) बनाई थी। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां थीं। परिवार इन्हीं फ्लैट्स में रहता था। 2006 में डॉक्टर पिता का और 2019 में उनकी पत्नी का निधन हो गया।

बहनों ने क्या आरोप लगाए?

पिता की मृत्यु के कुछ साल बाद, 2023 में दोनों बहनों ने अपने भाई के खिलाफ कोर्ट में मामला दायर किया। उनका आरोप था:

  1. यह फ्लैट्स जॉइंट फैमिली फंड (संयुक्त परिवार के पैसे) और माता-पिता से लिए गए लोन से खरीदे गए थे।

  2. भाई ने पिता की मृत्यु के बाद गुपचुप तरीके से तीनों फ्लैट्स अपने नाम करवा लिए।

  3. इसके बाद बिना किसी को बताए भाई ने उन फ्लैट्स को बेच भी दिया।

  4. बहनों ने मांग की कि इन संपत्तियों को जॉइंट फैमिली प्रॉपर्टी घोषित किया जाए और उन्हें उनका एक-तिहाई हिस्सा मिले।

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भाई का क्या कहना था?

भाई ने इन आरोपों को नकारते हुए अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में दलील दी:

  1. यह फ्लैट्स पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) थी, यानी उन्होंने खुद अपनी कमाई से खरीदी थी, न कि पुश्तैनी थी या जॉइंट फॅमिली फंड से।

  2. पिता ने प्यार और स्नेह के कारण ये तीनों फ्लैट्स उसे (बेटे को) गिफ्ट किए थे।

  3. बहनों ने कभी भी इन गिफ्ट डीड्स को चुनौती नहीं दी।

  4. फ्लैट बेचने से मिले पैसों से उसने पूर्वी उपनगर में दो नए फ्लैट खरीदे, जिनमें से एक उसने अपने बेटे को गिफ्ट कर दिया है, और इसी फ्लैट को लेकर अब बहनें विवाद खड़ा कर रही हैं।

  5. उसका कहना था कि बहनें जरूरी तथ्य छिपा रही हैं और किसी राहत की हकदार नहीं हैं।

क्या कहती है कानूनी व्याख्या? हाईकोर्ट का फैसला

यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस मनीष पिटाले ने एक बेहद महत्वपूर्ण कानूनी स्थिति स्पष्ट की। कोर्ट ने कहा:

  • “कानून पिता को यह अधिकार देता है कि वह अपनी स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) अपने किसी भी उत्तराधिकारी को वैध गिफ्ट के तौर पर दे सकता है।”

  • “इस तरह पिता द्वारा बेटे को गिफ्ट में दी गई स्व-अर्जित संपत्ति, बेटे के हाथ में आने के बाद, जॉइंट फैमिली प्रॉपर्टी या पुश्तैनी संपत्ति नहीं कहलाती।”

इसका मतलब है कि अगर पिता ने खुद की कमाई से कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और उसे अपने बेटे या बेटी को गिफ्ट कर दिया है, तो वह प्रॉपर्टी पाने वाले की निजी संपत्ति मानी जाएगी, न कि पूरे परिवार की पुश्तैनी संपत्ति।

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कोर्ट का अंतरिम आदेश

हालांकि कोर्ट ने गिफ्ट की गई संपत्ति को पुश्तैनी मानने से इनकार कर दिया, लेकिन बहनों द्वारा दायर अंतरिम याचिका (Interim Petition) को आंशिक रूप से स्वीकार किया।

  • कोर्ट ने भाई (जो अब 71 वर्ष के हैं और पेशे से वकील भी बताए जा रहे हैं) को आदेश दिया कि वह उस फ्लैट पर यथास्थिति बनाए रखे जो उसने अपने बेटे को गिफ्ट किया है।

  • इसका मतलब है कि भाई कोर्ट की इजाजत के बिना न तो इस फ्लैट को बेच सकता है और न ही इस पर किसी तीसरे पक्ष का अधिकार (Third Party Rights) बना सकता है।

  • कोर्ट ने यह भी नोट किया कि बहनों के खिलाफ दो बातें जा सकती हैं – पहली, यह संभावना कि उन्हें पहले बेची गई संपत्ति का हिस्सा मिला हो, और दूसरी, परिवार के बीच समझौते की कोशिशें भी हुई थीं।

आम आदमी के लिए सबक

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला संपत्ति विवादों, खासकर पिता द्वारा गिफ्ट की गई संपत्ति के मामलों में एक नजीर पेश करता है। यह स्पष्ट करता है कि हर वह संपत्ति जो पिता से मिलती है, जरूरी नहीं कि वह पुश्तैनी हो। अगर संपत्ति पिता की स्व-अर्जित है और उन्होंने उसे गिफ्ट किया है, तो प्राप्तकर्ता का उस पर व्यक्तिगत अधिकार बनता है।

हालांकि, हर मामला अपने तथ्यों और सबूतों पर निर्भर करता है। अगर आपके परिवार में भी ऐसा कोई विवाद है, तो किसी अच्छे वकील से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।


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