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दिवाली पर दो वक्त की रोटी खाना होगा मुश्किल

डेस्क। देश में इन दिनों बढ़ती महंगाई ने आम आदमी को काफी परेशान किया हुआ है। कभी हरी सब्जियों के दाम बढ़ रहे, तो कभी खाने का तेल आलू-प्याज, टमाटर के रेट आसमान को छूते जा रहे हैं। ऐसे में अब आम आदमी की रोटी भी महंगी होने को आतुर है। क्योंकि बीते कुछ दिनों से गेहूं के दामों में काफी तेजी देखी जा रही है। पिछले कई सप्ताह से गेहूं के आटे के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है और ये उछाल की गेहूं आपूर्ति प्रभावित होने के चलते ही देखा जा रहा है।

थोक मंडियों में आटा के न्यूनतम भाव में 20 फीसदी तक की बढोत्तरी देखी गई है। बढ़ते दामों से आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट में संशोधन भी किया है।

दशहरा-दीपावली से पहले आटे के बढ़ते दामों ने आम लोगों की परेशानी को काफी बढ़ा दिया है। थोक मंडियों में आटा की न्यूनतम कीमत 2250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गई है और ऐसे में आशंका ये जताई जा रही है कि गेहूं और आटे से बनने वाले सभी प्रोडक्ट जैसे ब्रेड, मफिन, नूडल्स, पास्ता, बिस्किट, केक, कुकीज की कीमतों पर इसका काफी असर दिख सकता है।

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आटे के बढ़ते रेट पर केंद्र सरकार की ओर से बोला गया है कि देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता है। खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने के साथ ही जमाखोरी और सट्टेबाजी रोकने के लिए भारत सरकार ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी चेन वाले खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसर पर लागू होने वाली गेहूं की स्टॉक लिमिट में बड़ा संशोधन किया है। रबी 2024 के दौरान कुल 1129 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद भी करी गई है।

सरकार ने सभी गेहूं स्टोरेज संस्थाओं को गेहूं स्टॉक लिमिट पोर्टल पर रजिस्टर करने को बोला है। वहीं हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करने के निर्देश भी दिए गए है। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक लिमिट की निगरानी भी करने वाले हैं।