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Join NowPneumonia: क्या आप जानते हैं? निमोनिया एक फेफड़ों का संक्रमण है, जो आम तौर पर हवा के साथ सांस की नली के ज़रिए संक्रमण फेफड़ों तक पहुँचता है और वहाँ बलगम (कफ) बना देता है, जिससे उस हिस्से में निमोनिया हो जाता है। ये संक्रमण कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है। निमोनिया भारत में, खासकर बुजुर्गों के लिए, एक गंभीर समस्या बन सकता है।
निमोनिया के कारण और लक्षण:
निमोनिया तब होता है जब फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। यह संक्रमण आमतौर पर हवा के रास्ते से सांस की नली तक पहुँचता है और फिर फेफड़ों तक चला जाता है। फेफड़ों के जिस हिस्से में यह संक्रमण होता है, वहाँ बलगम (कफ) बनने लगता है, जिससे उस हिस्से में निमोनिया हो जाता है।
निमोनिया के प्रमुख कारण:
- बैक्टीरिया: स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया (Streptococcus pneumoniae) जैसे बैक्टीरिया सबसे आम कारण हैं।
- वायरस: इन्फ्लूएंजा (फ्लू) वायरस, रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) और कोरोना वायरस (COVID-19) जैसे वायरस भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं।
- फंगस: कुछ खास तरह के फंगस भी निमोनिया पैदा कर सकते हैं, खासकर कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में।
निमोनिया के लक्षण:
निमोनिया के लक्षण बहुत हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। कई बार इसके लक्षण फ्लू जैसे ही लगते हैं, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है।
आम तौर पर दिखने वाले लक्षण:
- खांसी: यह निमोनिया का सबसे पहला और आम लक्षण है। खांसी के साथ बलगम (कफ) भी आ सकता है।
- बुखार: हल्का या तेज बुखार हो सकता है।
- सांस लेने में दिक्कत: सांस लेते समय सीने में दर्द या जकड़न महसूस हो सकती है।
- सीने में दर्द: खासकर गहरी सांस लेते या खांसते समय यह दर्द बढ़ सकता है।
- थकान: बहुत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना।
- अन्य लक्षण: सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और भूख न लगना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
किन्हें ज़्यादा खतरा है?
- 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोग: इनकी इम्युनिटी कमजोर हो सकती है।
- छोटे बच्चे: खासकर 2 साल से कम उम्र के बच्चे, जिनकी इम्युनिटी अभी विकसित हो रही होती है।
- कमजोर इम्युनिटी वाले लोग: जैसे मधुमेह (Diabetes) के मरीज़, धूम्रपान करने वाले, या जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं।
- गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग: जैसे फेफड़ों की पुरानी बीमारी (COPD), दिल की बीमारी, किडनी या लिवर की बीमारी।
निमोनिया से बचाव और इलाज:
बचाव सबसे ज़रूरी है!
- इम्युनिटी मजबूत रखें: स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें, नियमित व्यायाम करें, और पर्याप्त नींद लें।
- हाथों की सफाई: अपने हाथों को बार-बार धोएं, खासकर छींकने या खांसने के बाद।
- धूम्रपान और शराब से बचें: ये फेफड़ों को कमजोर करते हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं।
- टीकाकरण: निमोनिया से बचाने के लिए टीके उपलब्ध हैं। डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चों, वयस्कों और 50 साल से ऊपर के लोगों को यह वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। कुछ वैक्सीन साल में एक बार, तो कुछ जीवन में सिर्फ एक बार लगती हैं।
निमोनिया का इलाज:
निमोनिया का इलाज लक्षणों और गंभीरता के आधार पर किया जाता है।
- एंटीबायोटिक्स: अगर निमोनिया बैक्टीरियल संक्रमण से हुआ है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देंगे। शुरुआती स्टेज में ओरल एंटीबायोटिक्स से भी आराम मिल सकता है।
- अन्य दवाएं: डॉक्टर बुखार और दर्द के लिए दवाएं भी दे सकते हैं।
- आराम और तरल पदार्थ: भरपूर आराम करें और खूब सारे तरल पदार्थ पिएं।
- ऑक्सीजन सपोर्ट: गंभीर मामलों में, जब ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, तो मरीज को वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ सकता है।
टेस्ट और निदान:
- शारीरिक जांच: डॉक्टर फेफड़ों की आवाज सुनकर और अन्य शारीरिक जांचों से निमोनिया का पता लगा सकते हैं।
- एक्स-रे: फेफड़ों का एक्स-रे संक्रमण का पता लगाने में मदद करता है।
- CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड: गंभीर मामलों में इनका भी सहारा लिया जा सकता है।
याद रखें: निमोनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न लें।