मीराबाई एक महान कवयित्री और भक्ति आंदोलन की प्रमुख व्यक्तित्व थीं। उनकी कविताएं भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक अनुभवों से भरी हुई हैं। यहाँ कुछ उनकी प्रमुख कविताएं हैं:
1. “पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे” : यह कविता मीराबाई की सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक है, जिसमें वे भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करती हैं।
2. “मेरे तो गिरिधर गोपाल” : इस कविता में, मीराबाई भगवान कृष्ण को अपना पति और स्वामी मानती हैं और उनकी भक्ति में लीन होती हैं।
3. “जोगी मत जा” : इस कविता में, मीराबाई एक जोगी को संबोधित करती हैं और उसे भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होने की सलाह देती हैं।
4. “मीरा के प्रभु गिरिधर नागर” : इस कविता में, मीराबाई भगवान कृष्ण को अपना प्रभु और स्वामी मानती हैं और उनकी भक्ति में लीन होती हैं।
5. “हरि तुम हरो जन की पीर” : इस कविता में, मीराबाई भगवान कृष्ण से अपने भक्तों की पीर और दुख दूर करने की प्रार्थना करती हैं।
6. “मैं नाहीं विश्वास तुम्हारे अवगुण” : इस कविता में, मीराबाई भगवान कृष्ण की महिमा और गुणों को व्यक्त करती हैं और उनकी भक्ति में लीन होती हैं।
7. “प्रीतम आओ प्रीतम आओ” : इस कविता में, मीराबाई भगवान कृष्ण को अपने प्रीतम के रूप में आमंत्रित करती हैं और उनकी भक्ति में लीन होती हैं।
ये कविताएं मीराबाई की भक्ति और प्रेम की भावना को व्यक्त करती हैं और हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।