इतिहास के पन्ने

सविनय अवज्ञा आन्दोलन: स्वतंत्रता की लड़ाई का महत्वपूर्ण अध्याय

डेस्क। सविनय अवज्ञा आन्दोलन, जिसे सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह आन्दोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में शुरू हुआ था और इसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानूनों के विरुद्ध लड़ना था।

टाइमलाइन: आंदोलन की प्रमुख डेट्स

– 1930, 12 फरवरी: महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन की घोषणा की।

– 1930, 12 मार्च: गांधी ने नमक सत्याग्रह की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने और उनके अनुयायियों ने नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए समुद्र के पानी से नमक बनाया।

– 1930, 6 अप्रैल: गांधी ने धारासणा में ब्रिटिश सरकार के नमक गोदाम पर धावा बोला।

– 1930, मई-जून: आन्दोलन के दौरान हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया।

– 1931, 5 मार्च: गांधी-इरविन समझौता हुआ, जिसमें ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन के समाप्ति के लिए कुछ शर्तें मानीं।

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– 1931, 29 अगस्त: दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गांधी ने भाग लिया।

– 1932, जनवरी: गांधी ने फिर से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की।

– 1934, मई: गांधी ने आन्दोलन को स्थगित किया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण

– ब्रिटिश सरकार का नमक कानून, जिसने भारतीयों को नमक बनाने से रोका।

– ब्रिटिश सरकार का अन्यायपूर्ण कर प्रणाली।

– भारतीयों के अधिकारों का हनन।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिणाम

– ब्रिटिश सरकार ने नमक कानून को हटाया।

– भारतीयों को अधिक अधिकार मिले।

– सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई को मजबूत बनाया।

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सविनय अवज्ञा आन्दोलन भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस आन्दोलन ने भारतीयों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी और ब्रिटिश सरकार को अपने अन्यायपूर्ण कानूनों को हटाने के लिए मजबूर किया।