Vivek Agnihotri and Deepika Padukone: बॉलीवुड के चर्चित फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri), जो अक्सर अपने बेबाक बयानों और मुखर राजनीतिक-सामाजिक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) के 2020 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University – JNU) दौरे को लेकर अपनी राय रखी है, जिसने इंडस्ट्री में नई बहस छेड़ दी है। यह टिप्पणी बॉलीवुड विवादों (Bollywood Controversies) और सेलेब्रिटी राजनीतिक विचारों (Celebrity Political Views) को लेकर चल रही चर्चाओं को और हवा दे सकती है।
छपाक (Chhapaak) फिल्म की रिलीज़ के दौरान, जनवरी 2020 में दीपिका पादुकोण जेएनयू (Deepika Padukone JNU Visit) गई थीं। उस समय विश्वविद्यालय में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन (JNU Protest) चल रहा था, और दीपिका ने वहाँ जाकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को ‘साइलेंटली’ यानी चुपचाप समर्थन दिया था। उन्होंने विरोध स्थल पर न तो कुछ कहा, न कोई भाषण दिया, बल्कि केवल वहाँ कुछ देर खड़ी रहीं। उनके इस कदम पर देश भर में राजनीतिक गलियारों से लेकर बॉलीवुड और सोशल मीडिया (Social Media on JNU Row) तक तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली थीं। कुछ लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी (Freedom of Expression) और छात्रों के प्रति समर्थन बताया, वहीं कई अन्य ने इसे राजनीतिक और फिल्म प्रमोशन (Film Promotion Controversy) का हिस्सा करार दिया था, जिसका नकारात्मक असर भी देखा गया।
विवेक अग्निहोत्री का बड़ा दावा: “दीपिका को JNU की पॉलिटिक्स नहीं पता थी!”
हाल ही में शुभांकर मिश्रा के साथ एक साक्षात्कार में विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri Statement) ने दीपिका पादुकोण के जेएनयू जाने पर एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा, “मैं गारंटी के साथ कह सकता हूँ कि दीपिका को जेएनयू की पॉलिटिक्स (JNU Politics) के बारे में कोई आइडिया नहीं होगा, जब वो वहां गई थी।” यह बयान सीधे तौर पर दीपिका के निर्णय लेने की क्षमता पर सवाल खड़ा करता है और इसे उनकी टीम द्वारा लिया गया एक गैर-राजनैतिक, मार्केटिंग आधारित कदम बताता है।
जब उनसे यह तीखा सवाल पूछा गया कि क्या वह दीपिका पादुकोण को बेवकूफ (Calling Deepika Foolish) कह रहे हैं, तो विवेक अग्निहोत्री ने तुरंत स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “ये बेवकूफ होने के बारे में नहीं है। उसके पीआर (Public Relations – PR) ने उसे कहा होगा कि यह अपनी फिल्म प्रमोट करने का एक बहुत अच्छा मौका है।” विवेक के अनुसार, पीआर टीम ने संभवतः यह तर्क दिया होगा कि चूंकि दीपिका की फिल्म और जेएनयू दोनों ही ‘यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स’ (University Politics) के साथ किसी न किसी रूप से जुड़े हैं, तो यह एक स्वाभाविक और फायदेमंद जुड़ाव होगा। उन्होंने आगे कहा, “अगर उसे पता होता तो वो कभी नहीं जाती।” इस दावे ने फिल्म इंडस्ट्री में पीआर रणनीतियों (PR Strategies in Bollywood) और सेलिब्रिटी के फैसलों पर उनके प्रभाव पर भी बहस छेड़ दी है।
“आग से खेलते हो तो जलते भी हो”: करियर पर असर की आशंका!
विवेक अग्निहोत्री (Filmmaker Vivek Agnihotri) ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एक बड़ी सीख दी। उन्होंने कहा, “जब आप आग के साथ खेलते हो तो जलते भी हो।” उनका इशारा इस बात की ओर था कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील (Politically Sensitive Issues) मामलों में बिना पूरी जानकारी के कूदना कभी-कभी महंगा साबित हो सकता है। विवेक ने यह भी स्पष्ट किया कि वे दीपिका को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं, इसलिए उन्हें उनकी व्यक्तिगत विचारधारा (Ideology of Celebrities) के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
हालांकि, उन्होंने दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone Career) की बुद्धिमत्ता (Smart and Intelligent Celebrity) की सराहना करते हुए कहा, “मुझे इतना पता है कि वो बहुत स्मार्ट और इंटेलीजेंट हैं। अगर उन्हें पता होता कि ये राजनीतिक रूप से संवेदनशील जगह है और इससे उनके करियर पर असर पड़ सकता है, तो वो निश्चित रूप से वहां नहीं जातीं।” उन्होंने समझाया कि फिल्म प्रमोशन के दौरान (Film Promotion Tips), सितारों को उनके मैनेजर, पीआर और टीम के कई सदस्य लगातार बताते रहते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए, किससे मिलना चाहिए और किस विषय पर बोलना चाहिए। विवेक के अनुसार, “उनका पीआर गलत था। दीपिका को लगा कि ये एक इवेंट है। लेकिन ये कोई इवेंट नहीं था।”
अंत में, उन्होंने एक गंभीर चेतावनी भी दी, कि राजनीति में बिना सोचे-समझे शामिल होने (Celebrities in Politics) की वजह से अतीत में भी कई बड़े लोग फंस चुके हैं और उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। यह घटनाक्रम न केवल बॉलीवुड के सितारों के सामाजिक और राजनीतिक रुख (Celebrity Social Stand) पर सवाल उठाता है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression Debate) और इसके परिणामों के बीच के संतुलन पर भी महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है। दीपिका पादुकोण जेएनयू विवाद (Deepika Padukone JNU Controversy) एक बार फिर बहस का विषय बन गया है।
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