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सबरमती एक्सप्रेस कांड: सच क्या है?

2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। साबरमती एक्सप्रेस की दो बोगियों में आग लगने से 59 लोगों की जान चली गई थी। ये एक ऐसा कांड था जिसने देश में साम्प्रदायिक हिंसा को भड़काया और सालों तक राजनीतिक बहसों का विषय बना रहा। लेकिन सच्चाई क्या है? क्या हम सबको सच पता है? 'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करती है। क्या आपको भी सच जानने की उत्सुकता है? आइए जानते हैं इस दिल दहला देने वाली घटना के बारे में और 'द साबरमती रिपोर्ट' द्वारा उठाये गये अहम सवालों के बारे में!

फिल्म का सारांश

'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म, गोधरा कांड के पीछे के सत्य को उजागर करने का साहसिक प्रयास है। यह कहानी समर कुमार नाम के एक पत्रकार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो इस हादसे की सच्चाई जानने के लिए बेताब है। फिल्म हमें हादसे की घटनाओं के माध्यम से ले जाती है, यह दिखाते हुए कि किस तरह राजनीति और झूठ ने सच्चाई को दबाने की कोशिश की। समर कुमार अपनी खोज में मनिका राजपुरोहित से मिलता है, एक सीनियर जर्नलिस्ट जो इस हादसे के बारे में पहले ही कुछ लिख चुकी है। इन दोनों मिलकर हादसे के पीछे के रहस्य से पर्दा हटाने की कोशिश करते हैं।

पत्रकारिता और सच्चाई की लड़ाई

यह फिल्म केवल एक खास हादसे की कहानी ही नहीं बल्कि पत्रकारिता में सच की खोज की भी कहानी है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे बड़े मीडिया घराने सत्ता के दबाव में आकर सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, जिससे जनता तक गलत जानकारी पहुँचती है और सच्चाई दब जाती है। फिल्म में समर कुमार की जद्दोजहद दर्शाया गया है सच की खोज करने में, और कैसे उसका करियर तबाह होता है क्योंकि वो सच दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन क्या उसकी जिद अंत में सफल हो पाती है ? ये फिल्म हमें सोचने पर मजबूर कर देती है।

हिंदी बनाम अंग्रेजी मीडिया: कौन है अधिक निष्पक्ष?

फिल्म में हिंदी और अंग्रेजी मीडिया के बीच एक तुलना भी दिखाई गई है। फिल्म में यह सवाल उठता है की क्या हिंदी मीडिया ने सब पर अंग्रेजी मीडिया की तरह ही ध्यान नहीं दिया? क्या दोनों ही मीडिया के अलग अलग एजेंडा होते हैं? ये सवाल भी दर्शक के दिमाग में उठते है और यह एक और बहस छेड़ती है की किस मीडिया घरानों पर अधिक विश्वास किया जा सकता है। क्या दोनों समाज के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, या फिर उनके पास अपनी ही एक अलग प्राथमिकता है?

क्या सच में दिखाया गया है?

फिल्म में कुछ ऐसी चीजें दिखाई गई हैं जो विवादों में घिरी हुई हैं, जैसे फिल्म में कुछ बुनियादी तथ्यों में बदलाव। इसके बारे में फिल्म के निर्माता ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है। फिर भी कुछ दृश्य, खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर कुछ सवाल उठाते हैं और विवादित है। इस फिल्म ने दर्शकों में यह प्रश्न जाग्रत कर दिया है कि क्या कलात्मक स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी दिखाया जा सकता है? क्या फिल्म निर्माता को सच दिखाने की ज़िम्मेदारी नहीं होती? या फिर मनोरंजन का पीछा करना ही सच नहीं दिखा पाने का कारण बनता है?

Take Away Points

  • 'द साबरमती रिपोर्ट' गोधरा कांड की घटनाओं को फिर से उजागर करने की कोशिश करती है, और सच्चाई तक पहुँचने की जद्दोजहद की कहानी बयाँ करती है।
  • यह फिल्म मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाती है और सत्ता के दबाव में सच्चाई को दबाने पर जोर देती है।
  • फिल्म हिंदी और अंग्रेजी मीडिया के बीच अंतर और निष्पक्षता के सवाल पर भी बहस छेड़ती है।
  • फिल्म में कुछ ऐसी बातें दिखाई गयी हैं जो विवादित हैं, लेकिन दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।