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करवा चौथ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो पत्नियों द्वारा अपने पतियों की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास की चौथ तिथि को मनाया जाता है।

करवा चौथ की कथा

करवा चौथ की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, एक पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।

कथा इस प्रकार है:

एक समय की बात है, एक पत्नी ने अपने पति को जंगल में शिकार खेलने जाते देखा। उसी समय एक शेर ने उसे पकड़ लिया। पत्नी ने अपने पति को बचाने के लिए शेर से लड़ाई की और उसे मार दिया। लेकिन पति गंभीर रूप से घायल हो गया।

पत्नी ने अपने पति की जान बचाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा और चंद्रमा की पूजा की। चंद्रमा ने पत्नी की भक्ति से प्रसन्न होकर पति की जान बचा दी।

तब से पत्नियां अपने पतियों की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि

करवा चौथ की पूजा विधि इस प्रकार है:

1. सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।

2. करवा चौथ की पूजा के लिए एक मिट्टी का करवा लें।

3. करवा में जल भरें और उसे चंद्रमा की ओर रखें।

4. चंद्रमा की पूजा करें और करवा चौथ की कथा सुनें।

5. रात में चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ें।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ का महत्व पत्नियों के लिए बहुत अधिक है। यह त्योहार पत्नियों को अपने पतियों के प्रति प्रेम और समर्पण का अवसर प्रदान करता है।