डेस्क। मां कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। वह मां दुर्गा के सात रूपों में से एक हैं और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, सुरक्षा और सुख प्राप्त होता है।
मां कालरात्रि की कथा
मां कालरात्रि की कथा महिषासुर नामक राक्षस के वध से जुड़ी हुई है। महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि वह किसी भी पुरुष द्वारा मारा नहीं जा सकता। इस वरदान के बल पर वह बहुत अभिमानी और अत्याचारी हो गया।
देवताओं ने मां दुर्गा से मदद मांगी और मां दुर्गा ने मां कालरात्रि के रूप में अवतरित होकर महिषासुर का वध किया। मां कालरात्रि ने अपने घोर रूप से महिषासुर को मारा और देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया।
मां कालरात्रि का स्वरूप
1. मां कालरात्रि का रंग काला है, जो उनके नाम के अनुसार है।
2. वह चार हाथों वाली हैं और उनके हाथों में तलवार, ढाल, अभय मुद्रा और वरद मुद्रा हैं।
3. उनकी वाहन गाय है।
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4. वह राक्षसों को मारने वाली और सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी हैं।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, सुरक्षा और सुख प्राप्त होता है। उनकी पूजा करने के लिए।
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
2. घर के पूजा स्थल पर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
3. मां कालरात्रि को सिंदूर, कुमकुम, हल्दी और चंदन लगाएं।
4. मां कालरात्रि को फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
5. मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें: “ॐ श्रीं कालरात्रियै नमः”
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मां कालरात्रि शक्ति और सुरक्षा की देवी हैं और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, सुरक्षा और सुख प्राप्त होता है। उनकी कथा और विशेषताएं उनके महत्व को दर्शाती हैं।