डेस्क। नवरात्रि के सप्तमी को मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि:
1. राक्षसों के विनाश का प्रतीक: मां कालरात्रि ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, जो अधर्म और अन्याय का प्रतीक है।
2. शक्ति और सुरक्षा की देवी: मां कालरात्रि शक्ति और सुरक्षा की देवी हैं, जो अपने भक्तों को सुरक्षा और शक्ति प्रदान करती हैं।
3. आत्मशक्ति का जागरण: सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति की आत्मशक्ति जागृत होती है।
4. नकारात्मकता का नाश: मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता का नाश होता है।
5. सुख और समृद्धि की प्राप्ति: सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सप्तमी की पूजा का विधान
मां कालरात्रि की कथा हर लेती है सभी रोग बाधा
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
2. घर के पूजा स्थल पर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
3. मां कालरात्रि को सिंदूर, कुमकुम, हल्दी और चंदन लगाएं।
4. मां कालरात्रि को फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
5. मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें: “ॐ श्रीं कालरात्रियै नमः”
नवरात्रि के सप्तमी का महत्व विशेष है क्योंकि यह दिन मां कालरात्रि की पूजा का है, जो शक्ति और सुरक्षा की देवी हैं। इस दिन की पूजा करने से व्यक्ति को आत्मशक्ति का जागरण, नकारात्मकता का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।