डेस्क। हिंदू धर्म में दशहरे का महत्त्व बहुत अधिक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भगवान राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
क्या होता है दशहरे का महत्त्व
1. बुराई पर अच्छाई की जीत: दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
2. धर्म की विजय: दशहरा धर्म की विजय का प्रतीक है।
3. भगवान राम की विजय: दशहरा भगवान राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
4. आत्मशुद्धि: दशहरा आत्मशुद्धि और आत्मविकास का अवसर प्रदान करता है।
5. समाज में एकता और सौहार्द: दशहरा समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देता है।
6. नई शुरुआत: दशहरा नई शुरुआत और नए संकल्प का अवसर प्रदान करता है।
7. अध्यात्मिक ज्ञान: दशहरा अध्यात्मिक ज्ञान और आत्मज्ञान का अवसर प्रदान करता है।
दशहरे के दिन होती हैं ये गतिविधियाँ
1. रावण दहन
2. भगवान राम की पूजा
3. दशहरा मेला
4. राम लीला
5. भजन और कीर्तन
दशहरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भगवान राम की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
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दशहरा के दिन विशेष भोग बनाने की परंपरा है, जो भगवान राम को अर्पित किए जाते हैं। यहाँ कुछ विशेष भोग हैं जो दशहरा के दिन बनाए जाते हैं।
1. मिष्ठान्न: दशहरा के दिन मिष्ठान्न जैसे कि लड्डू, जलेबी, और बर्फी बनाए जाते हैं।
2. फल: भगवान राम को फल जैसे कि केले, सेब, और अंगूर चढ़ाए जाते हैं।
3. पंचमेवा: पंचमेवा एक विशेष भोग है जो दशहरा के दिन बनाया जाता है, जिसमें पांच प्रकार के मेवे जैसे कि काजू, बादाम, पिस्ता, अखरोट, और किशमिश शामिल होते हैं।
4. हलवा: दशहरा के दिन हलवा बनाया जाता है, जो भगवान राम को अर्पित किया जाता है।
5. पूरी और सब्जी: दशहरा के दिन पूरी और सब्जी बनाई जाती है, जो भगवान राम को अर्पित की जाती है।
6. खीर: दशहरा के दिन खीर बनाई जाती है, जो भगवान राम को अर्पित की जाती है।
7. मालपुआ: दशहरा के दिन मालपुआ बनाया जाता है, जो भगवान राम को अर्पित किया जाता है।
इन विशेष भोगों को बनाने से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें, और फिर भगवान राम को अर्पित करें।