गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है और इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा
गोवर्धन पूजा की कथा भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने गाँव के लोगों को इंद्र देवता की पूजा करने से रोका और कहा कि वे अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा करें। इंद्र देवता इस बात से क्रोधित हुए और वर्षा की ऐसी झड़ी लेकर आए कि गाँव डूबने की कगार पर आ गया। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गाँव को बचाया और इंद्र देवता को अपनी शक्ति का एहसास कराया।
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गोवर्धन पूजा की विधि
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए कपड़े पहनें।
2. घर को साफ-सुथरा करें और रंगोली बनाएं।
3. गोवर्धन पर्वत की मिट्टी से बनी मूर्ति या चित्र को घर में स्थापित करें।
4. मूर्ति के सामने अन्नकूट (चावल, रोटी, सब्जी, फल आदि) का भोग लगाएं।
5. भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें और आरती उतारें।
6. परिवार के साथ मिलकर भोजन करें और आनंद मनाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है:
1. भगवान कृष्ण की शक्ति और उनकी रक्षा की शक्ति का एहसास।
2. प्रकृति का सम्मान और संरक्षण।
3. समाज में एकता और सहयोग का महत्व।
4. ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति का महत्व।