धर्म

पितृ पक्ष में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व

डेस्क। संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान गणेश की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण संकष्टी चतुर्थी जनवरी माह में मनाई जाती है, जिसे “मकर संक्रांति” के रूप में भी जाना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का महत्व भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए है। भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता माना जाता है। इस दिन उनकी आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

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संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि निम्नलिखित है-

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

2. घर में भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

3. भगवान गणेश को सिंदूर, फूल, और मोदक चढ़ाएं।

4. भगवान गणेश की आराधना करें और उनके मंत्रों का जाप करें।

5. दिनभर उपवास रखें और रात में चंद्रोदय के बाद भोजन करें।

6. रात में भगवान गणेश की पूजा करें और उनके आगे दीप जलाएं।

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संकष्टी चतुर्थी के लिए मंत्र

संकष्टी चतुर्थी के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

– “ॐ श्री गणेशाय नमः”

– “ॐ गण गणपतये नमः”

– “ॐ वक्रतुण्डाय नमः”

संकष्टी चतुर्थी के लाभ

संकष्टी चतुर्थी के लाभ निम्नलिखित हैं:

– भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

– ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि में वृद्धि होती है।

– जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है।

– भगवान गणेश की आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है।