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डेस्क। कलियुग, जिसे चौथा और अंतिम युग माना जाता है, इसके अंत के बारे में कई सवाल और विचार हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में कलियुग के अंत के बारे में विस्तृत वर्णन है। इस लेख में, हम कलियुग के अंत के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

कलियुग का समय

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कलियुग 432,000 वर्षों का होता है। इसकी शुरुआत 3102 ईसा पूर्व से मानी जाती है, जब भगवान कृष्ण ने अपना शरीर छोड़ दिया था।

कलियुग के अंत के लक्षण

हिंदू धर्मग्रंथों में कलियुग के अंत के कई लक्षण बताए गए हैं।

  1. धर्म का पतन
  2. अधर्म की वृद्धि
  3. सत्य का अभाव
  4. असत्य की वृद्धि
  5. लोगों में आपसी मतभेद
  6. युद्ध और विनाश
  7. प्राकृतिक आपदाएं

कलियुग के अंत के कारण

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हिंदू धर्मग्रंथों में कलियुग के अंत के कई कारण बताए गए हैं।

  1. भगवान विष्णु का अवतार
  2. कल्कि अवतार का आगमन
  3. धर्म की पुनर्स्थापना
  4. अधर्म का नाश
  5. सत्य की विजय

कल्कि अवतार की कथा

कल्कि अवतार भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है। वह कलियुग के अंत में आएंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार के आगमन के लक्षण हैं।

  1. श्वेत अश्व पर सवार होकर आएंगे
  2. विशाल धनुष और बाण लेकर आएंगे
  3. धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे
  4. अधर्म का नाश करेंगे

कलियुग के अंत के बाद

कलियुग के अंत के बाद, सत्युग की शुरुआत होगी। सत्युग में धर्म, सत्य और न्याय का राज होगा। लोगों में आपसी मतभेद नहीं होंगे और वे धर्म के मार्ग पर चलेंगे।

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कलियुग का अंत एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसके बारे में हिंदू धर्मग्रंथों में विस्तृत वर्णन है। कल्कि अवतार का आगमन और धर्म की पुनर्स्थापना कलियुग के अंत के मुख्य कारण हैं। सत्युग की शुरुआत के साथ, धर्म, सत्य और न्याय का राज होगा।