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क्या है पॉइज़न पिल तकनीक

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क्या है पॉइज़न पिल तकनीक

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एलोन मस्क द्वारा ट्विटर के कथित अधिग्रहण के दौरान एक शब्द की उत्पत्ति हुई ‘पॉइज़न पिल संभावित रूप से लक्षित फर्म कम आकर्षक दिखने के लिए इस तकनीक का उपयोग करती हैं। मूल रूप से यह आईटी फर्मों और बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक आत्मरक्षा तकनीक है, इसमें वे वास्तव में क्या करते हैं मान लीजिए कि अब बाजार में ट्विटर के लगभग 1000 शेयर हैं, कंपनी इसे 5000 से 6000 तक बढ़ा देगी, प्रति शेयर की दर अपने आप बढ़ जाएगी। शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जैसे ही आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं उदाहरण के तौर पर यदि आप एक शेयर 40 रुपये में खरीद रहे हैं, तो अगले ही पल उसकी कीमत अपने आप बढ़कर 50 रुपये हो जाएगी। इस तकनीक को प्रमुखता ट्वीटर जैसी कंपनीयां ही देती हैं, मूल रूप से ट्विटर जैसी कंपनियां इस तरह के अधिग्रहण से बचने के लिए ही अपने बचाव में इस तकनीक का उपयोग करती हैं, दो प्रकार की पॉइज़न पिल तकनीक होती हैं – फ्लिप इन और फ्लिप ओवर। जैसा कि मैंने पहले कहा था कि बड़ी कंपनियां हमेशा छोटी को एसे ही टेकओवर करने की कोशिश करती हैं। यहां भी वही हुआ, एलोन मस्क ट्विटर पर पूरा अधिग्रहण चाहते हैं, इसलिए उन्होंने ट्विटर बोर्ड में शामिल होने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया, उलटा उन्होंने प्रस्ताव रखा की जो अभी ट्विटर के शेयर का रेट है यानी की 40-45 डॉलर ये उसे खरीदना चाहते हैं, 54 डॉलर प्रति शेयर के रेट के हिसाब से और ट्विटर को एक नीजी कंपनी बनाना चाहते हैं, अगर बोर्ड उनकी बात नहीं मानता है तो जो शेयर उनके पास हैं वे उसे री कंसीडर भी कर सकते हैं यानि उसे हटा भी सकते हैं।अंत में बात वही है कोई भी फर्म कुछ निदेशक मंडल की वजह से नहीं चलता, इन्वेस्टर्स जिन्होने पैसे इन्वेस्ट किए हैं उन से चलता और ना ही एलोन मस्क तय करेंगे कि किसी कंपनी का फ्यूचर क्या होगा ट्विटर जैसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इतनी प्राथमिकता एलोन मस्क भी अपने निजी स्वार्थ की वजह से ही दे रहे हैं उनके लिए यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कम और मार्केटिंग टूल ज्यादा है जहां वो अपने प्रोडक्ट्स को आज भी प्रोमोट करते हैं।