HDB फाइनेंशियल से टाटा कैपिटल तक, क्या महंगे Valuations डुबोएंगे निवेशकों की नाव?

Published On: June 26, 2025
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HDB फाइनेंशियल से टाटा कैपिटल तक, क्या महंगे Valuations डुबोएंगे निवेशकों की नाव?

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HDB : भारतीय प्राथमिक बाजार (Indian Primary Market) की गतिविधि में जून 2025 के महीने में एक तीव्र उछाल (Sharp Rebound in IPO Activity) देखा गया है, जो निवेशकों (Investors) और कंपनियों (Companies Raising Capital) दोनों के लिए उत्साहजनक संकेत है। इस दौरान, कुल आठ बड़े मुख्यबोर्ड आईपीओ (Mainboard IPOs) और 30 एसएमई आईपीओ (SME IPOs) बाजार में पूंजी जुटाने के लिए आए, जिससे बाजार में काफी चहल-पहल देखने को मिली। यह दिखाता है कि भारत में आईपीओ (IPOs in India) अब निवेशकों की मुख्यधारा का हिस्सा बन गए हैं।

एक्सचेंज डेटा (Exchange Data) के अनुसार, आठ मुख्यबोर्ड आईपीओ (Eight Mainboard IPOs) ने सामूहिक रूप से लगभग ₹17,688 करोड़ (₹17,688 Crore Raised) की पूंजी जुटाई है, जो पिछले छह महीनों में आईपीओ के माध्यम से किया गया सर्वाधिक मासिक फंडरेज़ (Highest Monthly Fundraising via IPOs) है। एसएमई सेगमेंट (SME Segment) में भी जबरदस्त गतिविधि (SME IPO Activity) देखने को मिली, जहां 30 कंपनियों ने जून में आईपीओ लॉन्च (30 SME IPOs in June) किए, जिनका लक्ष्य लगभग ₹1,329 करोड़ (₹1,329 Crore Targeted by SME IPOs) जुटाना था, जो पिछले नौ महीनों में सबसे अधिक (Nine-Month High) है।

विश्लेषकों की सतर्कता: महंगे वैल्यूएशन और भावनाएं (Analysts’ Caution: Stretched Valuations & Market Sentiment):

हालांकि, इस तेज़ उछाल (Surge in IPO Activity) के बावजूद, बाजार विश्लेषक (Analysts’ Caution) अभी भी सतर्कता बरत रहे हैं। उनका मानना है कि किसी भी बड़े आईपीओ (Large IPOs Impact) का लिस्टिंग (Listing Performance) अगर उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई या कमजोर रही, तो वह समग्र द्वितीयक बाजार (Secondary Market Sentiment) की भावना (Sentiment Dampener) को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। बड़े आईपीओ आमतौर पर महत्वपूर्ण निवेशक रुचि (Significant Investor Interest) आकर्षित करते हैं और अक्सर द्वितीयक बाजारों (Diverting Liquidity from Secondary Markets) से लिक्विडिटी (Liquidity Diversion) को अपनी ओर खींचते हैं। जबकि ये पेशकशें (IPO Offerings) आमतौर पर अनुकूल बाजार स्थितियों (Favorable Market Conditions) में लॉन्च की जाती हैं, लेकिन किसी भी प्रकार का ‘अंडरपरफॉरमेंस’ (Underperformance of IPOs) या ‘मूल्यांकन बेमेल’ (Valuation Mismatch) जल्दी ही व्यापक बाजार की भावना को (Sour Broader Market Sentiment) खट्टा कर सकता है, जैसा कि विश्लेषकों ने चेतावनी दी है। यह दर्शाता है कि आईपीओ में निवेश (IPO Investment Risk) हमेशा जोखिम से मुक्त नहीं होता।

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गतिविधि में उछाल के पीछे के कारण: SEBI और पूंजी की ज़रूरत (Reasons for Surge in Activity: SEBI & Capital Needs):

चॉइस ब्रोकिंग (Choice Broking) के वरिष्ठ विश्लेषक राजनाथ यादव (Rajnath Yadav – Senior Analyst) ने गतिविधि में इस तेज़ी के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उछाल का मुख्य कारण सेबी (SEBI Regulations Impact) द्वारा लगाए गए विनियामक समय-सीमाएँ (Regulatory Timelines Imposed by SEBI) हैं, जिन्होंने कंपनियों को बाजार की अनिश्चितता (Market Uncertainty) के बीच पुनः-फाइलिंग (Re-filing with SEBI) से बचने के लिए अपनी लिस्टिंग को तेज़ी (Expedite Listings) देने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि हाल की कई पेशकशें ‘फ्रेश इश्यूज’ (Fresh Issues in IPOs) हैं, जो कंपनियों की तत्काल पूंजी ज़रूरतों (Urgent Capital Needs) को रेखांकित करती हैं जिन्हें आदर्श स्थितियों (Ideal Market Conditions) की तलाश में टाला नहीं जा सकता। यह भारत में पूंजी जुटाने (Capital Raising in India) की बढ़ती गति को दर्शाता है।

जून के सबसे बड़े मुख्यबोर्ड IPOs (Biggest Mainboard IPOs in June):

जून महीने में आए कुछ सबसे बड़े मुख्यबोर्ड आईपीओ (Major Mainboard IPOs June) इस प्रकार हैं:

  • HDB फाइनेंशियल सर्विसेज (HDB Financial Services IPO): ₹12,500 करोड़ (₹12,500 Crore Issue) का विशाल इश्यू।
  • कल्पतरु प्रोजेक्ट्स (Kalpataru Projects IPO): ₹1,590 करोड़ (₹1,590 Crore) का इश्यू।
  • ओसवाल पंप्स (Oswal Pumps IPO): ₹1,387 करोड़ (₹1,387 Crore) का इश्यू।
    अन्य जारीकर्ताओं (Other Issuers) में एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेस (Ellenbarrie Industrial Gases)संभव स्टील ट्यूब्स (Sambhv Steel Tubes) और अरिसिंड्रा सॉल्यूशंस (Arisinfra Solutions) शामिल थे। यह दिखाता है कि विभिन्न क्षेत्रों (Diverse Sectors in IPOs) की कंपनियाँ पूंजी जुटाने के लिए बाजार में आ रही हैं।
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पहले की IPO गतिविधि और हालिया सुधार (Previous IPO Activity & Recent Improvement):

इस साल की शुरुआत में, कमजोर भावना (Weak Market Sentiment) और बढ़ती भू-राजनीतिक तनावों (Escalating Geopolitical Tensions) के कारण आईपीओ गतिविधि (IPO Activity Slowed) में काफी कमी आई थी। कई कंपनियों ने, सेबी की मंज़ूरी (SEBI Approvals) प्राप्त करने के बावजूद, अधिक अनुकूल बाजार गतिकी (More Favorable Market Dynamics) की प्रत्याशा में अपने सार्वजनिक इश्यूज को टालना (Deferred Public Issues) पसंद किया। हालांकि, हाल के हफ्तों में मैक्रो इंडिकेटर (Macro Indicators Improving) में सुधार – जिसमें महंगाई में नरमी (Easing Inflation) और विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) प्रवाह (Renewed FII Inflows) की वापसी – ने भावना (Investor Sentiment Lifted) को मामूली रूप से ऊपर उठाया है। यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार बाहरी कारकों (External Factors Affecting Market) से कितना प्रभावित होता है।

निवेशक प्रतिक्रिया और भविष्य का दृष्टिकोण (Investor Response and Future Outlook):

गतिविधि में तेज़ी (Pick up in Activity) के बावजूद, निवेशकों की प्रतिक्रिया (Investor Response) बड़े पैमाने पर कमज़ोर रही है, जो खिंचे हुए वैल्यूएशन (Stretched Valuations Concerns) और मंदी वाले आय संभावनाओं (Muted Earnings Prospects) की चिंताओं से प्रभावित है।

इस बीच, एसएमई आईपीओ (SME IPOs Activity) के लिए, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज (SMC Global Securities) के हेड – इक्विटी रिसर्च – फंडामेंटल्स (Head – Equity Research – Fundamentals) सौरभ जैन (Saurabh Jain) ने गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि (Notable Increase in SME IPO Activity) का उल्लेख किया। यह छोटे व्यवसायों (Smaller Businesses Confidence) में बढ़ती अर्थव्यवस्था (Growing Economy Confidence) और बढ़ते बाजार गति (Rising Market Momentum) में बढ़ते विश्वास से प्रेरित है।

सबसे बड़े एसएमई आईपीओ (Largest SME IPOs by Issue Size) में से कुछ थे: सेफ एंटरप्राइजेज रिटेल फिक्स्चर्स (Safe Enterprises Retail Fixtures) (₹161 करोड़ – ₹161 Crore), पुष्पा ज्वेलर्स (Pushpa Jewellers) (₹94 करोड़ – ₹94 Crore), मोनोलिथिस्क इंडिया (Monolithisch India) (₹82 करोड़ – ₹82 Crore), नीतू योशी (Neetu Yoshi) (₹74 करोड़ – ₹74 Crore), पाटिल ऑटोमेशन (Patil Automation) (₹66 करोड़ – ₹66 Crore), सैचीरूम लिमिटेड (Sacheerome Ltd) (₹58 करोड़ – ₹58 Crore), सीडाअर टेक्सटाइल लिमिटेड (Cedaar Textile Ltd) (₹58 करोड़ – ₹58 Crore), और इनफ्लक्स हेल्थटेक लिमिटेड (Influx Healthtech Ltd) (₹56 करोड़ – ₹56 Crore), और अन्य।

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भविष्य को देखते हुए, विशेषज्ञ चेतावनी (Experts Warning) देते हैं कि भू-राजनीतिक जोखिम (Geopolitical Risks) और सुस्त लिस्टिंग (Lukewarm Listing Performance) बाजार की गति (Market Momentum Dampener) को कम कर सकते हैं। पाइपलाइन में कई आईपीओ (IPOs in Pipeline) के साथ, बाजार ‘वेट एंड वॉच’ (Wait-and-Watch Mode) मोड में बना हुआ है, घरेलू (Domestic Cues) और वैश्विक संकेतों (Global Cues) दोनों पर बारीकी से नज़र रख रहा है।

भारतीय इक्विटी (Indian Equities) ने मई और जून में तीव्र अस्थिरता (Sharp Volatility in May & June) का अनुभव किया। यह शुरुआत में भारत-पाकिस्तान तनाव (India-Pakistan Tensions) और बाद में इज़रायल-ईरान संघर्ष (Israel-Iran Conflict) से शुरू हुआ था। अब जब उन घटनाओं में कमी आई है (Events De-escalated), तो ध्यान वैल्यूएशन (Valuation Concerns) की चिंताओं पर केंद्रित हो गया है। विश्लेषकों (Analysts on Overvaluation) का कहना है कि कई सेक्टर अधिक मूल्यांकन (Several Sectors Overvalued) पर दिख रहे हैं, और मौजूदा मूल्य स्तरों को उचित ठहराने के लिए सीमित आय दृश्यता (Limited Earnings Visibility) है। हालाँकि घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs – Domestic Institutional Investors) ने प्राथमिक (Primary Market) और द्वितीयक बाजार (Secondary Market) दोनों का समर्थन जारी रखा है, फिर भी निरंतर FII बहिर्प्रवाह (Persistent FII Outflows) ने व्यापक भावना (Broader Market Sentiment) पर दबाव बनाए रखा है।


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