Tenant Rights : मकान मालिक कितना बढ़ा सकता है किराया? किरायेदार जान लें अपने ये कानूनी अधिकार

Published On: June 5, 2025
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Tenant Rights : मकान मालिक कितना बढ़ा सकता है किराया? किरायेदार जान लें अपने ये कानूनी अधिकार

Tenant Rights : आज के दौर में, रोजी-रोटी और बेहतर अवसरों की तलाश में लाखों लोग अपने पैतृक घरों से दूर बड़े या छोटे शहरों (Cities in India) में रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में, उनके लिए किराए का मकान (Rental House) ही एकमात्र सहारा होता है। शहरों में किराएदारों (Tenants) की बढ़ती हुई संख्या का फायदा उठाकर, कई बार मकान मालिक (Landlords) अपनी मनमानी करते हैं। किराएदारों के लिए सबसे बड़ी परेशानियों में से एक होती है, कुछ ही महीनों के अंतराल पर किराया बढ़ाने (Rent Increase) की बात। यह न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति (Financial Condition) पर अतिरिक्त बोझ डालता है, बल्कि अनिश्चितता (Uncertainty) भी पैदा करता है।

ऐसी स्थिति में, किराएदारों के लिए अपने कानूनी अधिकारों (Tenant Legal Rights) के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। आपको यह जानकर राहत मिलेगी कि मकान मालिक अपनी मनमर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकते हैं। किराए की राशि (Rent Amount) में किसी भी तरह का बदलाव (Change in Rent) करने के लिए उन्हें कुछ विशिष्ट नियमों (Specific Rules) और स्थानीय कानूनों (Local Laws) का पालन करना अनिवार्य होता है। मकान मालिक द्वारा बिना नियमों के किराया बढ़ाना कानूनी रूप से अवैध (Legally Illegal) माना जाता है। भारत में हर राज्य में किराएदारी और किराया नियंत्रण (Rent Control) को लेकर अपने-अपने अलग-अलग नियम (State Specific Rules) बनाए गए हैं।

लीज या रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) की शर्तें हैं महत्वपूर्ण

जब आप कोई घर एक निश्चित अवधि (Fixed Period) के लिए किराए पर लेते हैं, जैसे कि 11 महीने या 1 साल के लिए, तो इस अवधि के दौरान मकान मालिक (Landlord) आमतौर पर किराया नहीं बढ़ा सकता है। यह एक स्टैंडर्ड प्रैक्टिस (Standard Practice) है और आपके रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) का हिस्सा होती है। हालांकि, किराया बढ़ाना तभी संभव है जब रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख (Clearly Mentioned) किया गया हो कि किराया किस समय और कितना बढ़ेगा।

उदाहरण के लिए, यदि आपके किराएनामे (Lease Agreement) में यह शर्त शामिल है कि हर साल किराए में 10 प्रतिशत की वृद्धि (10% Annual Increase) की जाएगी, तो यह शर्त कानूनी रूप से मान्य (Legally Valid) मानी जाएगी और मकान मालिक (House Owner) उस शर्त के अनुसार किराया बढ़ा सकता है। लेकिन, इस पूर्व-निर्धारित (Pre-determined) शर्त के अलावा, जब तक आपका एग्रीमेंट (Agreement) समाप्त नहीं हो जाता, मकान मालिक के पास अपनी मर्जी से किराया बढ़ाने का कोई अन्य कानूनी विकल्प (Legal Option) नहीं होता। इसलिए, कोई भी एग्रीमेंट (Agreement) साइन करने से पहले उसकी सभी शर्तों (Terms and Conditions) को ध्यान से पढ़ना किराएदारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राज्य और स्थानीय कानून (State and Local Laws) तय करते हैं सीमा

रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) की शर्तों के अलावा, भारत के विभिन्न राज्यों (Indian States) में बनाए गए किराया नियंत्रण कानून (Rent Control Acts) भी किराया बढ़ाने (Rent Hike) की प्रक्रिया और उसकी सीमा (Limit on Rent Increase) तय करते हैं। कई राज्यों में, यह नियम है कि मकान मालिक (Landlord) एक साल में किराए में अधिकतम कितना प्रतिशत (Maximum Percentage) बढ़ा सकता है। मसलन, कुछ राज्यों में यह सीमा सालाना 10 प्रतिशत (10% Annual Cap) तक तय की गई है।

इसके अतिरिक्त, अधिकांश किराया कानूनों (Rent Laws) के तहत, मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किराएदार (Tenant) को लिखित में नोटिस (Written Notice) देना अनिवार्य होता है। इस नोटिस (Rent Increase Notice) में बढ़ी हुई किराए की राशि (Increased Rent Amount) और यह कब से लागू होगी, इसका उल्लेख होना चाहिए। बिना किसी पूर्व सूचना (Prior Notice) के अचानक किराया बढ़ाना या किराएदार पर दबाव डालना गैर-कानूनी (Illegal) माना जाता है और किराएदार (Tenant) इसके खिलाफ कानूनी कदम (Legal Action) उठा सकता है।

महाराष्ट्र में किराया वृद्धि के नियम (Rent Increase Rules in Maharashtra)

महाराष्ट्र राज्य (Maharashtra State) में किराएदारी (Tenancy) को नियंत्रित करने के लिए 31 मार्च, 2000 से महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम (Maharashtra Rent Control Act, 1999) लागू है। यह अधिनियम मकान मालिकों (Landlords) को किराए पर दिए गए आवासीय या व्यावसायिक परिसर (Residential or Commercial Property) के किराए में सालाना चार प्रतिशत (4% Annual Increase) की मानक बढ़ोतरी (Standard Increase) करने का अधिकार देता है।

इस 4% की वार्षिक वृद्धि (Annual Hike) के अलावा, यदि मकान मालिक (House Owner) ने संपत्ति में कोई बड़ी मरम्मत (Property Repairs), बदलाव (Alterations) या सुधार (Improvements) करवाया है, जिससे संपत्ति का मूल्य बढ़ा हो, तो ऐसी स्थिति में भी किराए में वृद्धि (Rent Increase) की जा सकती है। हालांकि, इस तरह की वृद्धि कराए गए निर्माण कार्य (Construction Work) या सुधार की लागत (Cost of Improvement) के 15 प्रतिशत (15% of Cost) से अधिक नहीं हो सकती। यह अधिनियम (Act) महाराष्ट्र में किराएदार (Tenant) और मकान मालिक (Landlord) दोनों के अधिकारों (Rights) और जिम्मेदारियों (Responsibilities) को संतुलित करने का प्रयास करता है।

देश की राजधानी दिल्ली में लागू है यह नियम (Rent Rules in Delhi)

देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi, National Capital) में भी किराएदारी (Tenancy) के नियमों को लेकर विशेष प्रावधान हैं। दिल्ली में, साल 2009 में दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम (Delhi Rent Control Act, 1995 – though usually referred with its effective period or amendments, the 2009 mention points to specific rules or discussions around it) लागू किया गया था, जिसमें किराया वृद्धि (Rent Increase) को लेकर महत्वपूर्ण बातें कही गई हैं। इस अधिनियम (Act) के तहत, यदि कोई किराएदार (Tenant) किसी संपत्ति में लगातार लंबे समय से रह रहा है, तो मकान मालिक (Landlord) या पट्टेदार (Lessor/Lessee) को सालाना सात फीसदी (7% Annual Increase) से अधिक किराया बढ़ाने की इजाजत (Permission) नहीं है।

यह नियम (Rule) पुराने किराएदारों (Old Tenants) को अत्यधिक किराया वृद्धि (Excessive Rent Hike) से बचाने के लिए बनाया गया है। हालांकि, नए रेंट एग्रीमेंट (New Rent Agreements) या प्रॉपर्टी एंड टेनेंसी एक्ट 2021 (Proposed Model Tenancy Act 2021 – though not fully implemented uniformly) के तहत नियमों में कुछ बदलाव संभावित हैं, लेकिन मौजूदा कानूनी प्रावधानों (Existing Legal Provisions) के तहत, दिल्ली में किराएदार (Tenant in Delhi) इस 7% की सीमा (7% Cap) के बारे में जागरूक रह सकते हैं।

किराएदारों (Renters) के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे सिर्फ किराए का भुगतान (Rent Payment) करने के लिए ही नहीं हैं, बल्कि उनके पास कानूनी अधिकार (Legal Rights) भी हैं जो उन्हें मकान मालिकों (Landlords) की संभावित मनमानी से बचाते हैं। अपने अधिकारों (Tenant Rights India) को जानने और जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग करने से किराएदार बेहतर और सुरक्षित माहौल (Safe Environment) में रह सकते हैं।

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