Tenant Landlord Dispute : सावधान किराएदारों! किराया न देना पड़ा बहुत महंगा, कोर्ट ने लगाया 20 लाख का जुर्माना और दिया घर खाली करने का आदेश

Published On: April 26, 2025
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Tenant Landlord Dispute
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Tenant Landlord Dispute : अगर आप किराए के मकान में रहते हैं, तो ये खबर आपके होश उड़ा सकती है! नोएडा से एक ऐसा मामला सामने आया है जहाँ किराएदार को सालों तक किराया न चुकाना बेहद भारी पड़ गया। मकान मालिक की शिकायत पर कोर्ट ने न सिर्फ किराएदार पर 20 लाख रुपये का तगड़ा जुर्माना लगाया है, बल्कि उसे 6 महीने के अंदर फ्लैट खाली करने का सख्त आदेश भी दिया है। ये मामला नोएडा के सेक्टर 107 की पॉश ग्रेट वैल्यू शरणम सोसाइटी का है और ये हर उस व्यक्ति के लिए एक सबक है जो किराएदारी के नियमों को हल्के में लेता है।

आखिर क्या है ये पूरा चौंकाने वाला मामला?

नोएडा के सेक्टर 107 स्थित ग्रेट वैल्यू शरणम सोसाइटी के टॉवर-बी में रहने वाले एक किराएदार के बुरे दिन आ गए हैं। एडीएम (वित्त) की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए किराएदार को 6 महीने में फ्लैट खाली करने और मकान मालिक को 20 लाख रुपये बतौर हर्जाना देने का आदेश दिया है। आरोप है कि किराएदार साल 2021 से लगातार किराया नहीं दे रहा था, यानी लगभग 4 साल से बिना किराया दिए फ्लैट में रह रहा था!

कैसे शुरू हुआ ये विवाद?

ग्रेट वैल्यू शरणम सोसाइटी के टॉवर-बी की 19वीं मंजिल पर मनोरमा देवी का एक फ्लैट है। उन्होंने मई 2019 में दिल्ली के रहने वाले मुकेश गुप्ता को यह फ्लैट 20,000 रुपये महीने किराए पर दिया था, जिसका मेंटेनेंस चार्ज अलग से देना तय हुआ था। दोनों के बीच 1 मई, 2019 को 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा) भी बना था।

कोर्ट ने क्यों खारिज की किराएदार की दलीलें?

मकान मालकिन मनोरमा देवी के वकील के अनुसार, रेंट एग्रीमेंट 31 मार्च, 2020 को ही खत्म हो गया था और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इसके बावजूद किराएदार मुकेश गुप्ता ने फ्लैट खाली नहीं किया और न ही किराया दिया।

किराएदार ने कोर्ट में दावा किया कि उसने मकान मालकिन को 9 लाख रुपये नकद दिए थे, जो कथित तौर पर 3 साल का एडवांस किराया था, और बाद में किराया घटाकर 3000 रुपये महीना कर दिया गया था। लेकिन, कोर्ट ने किराएदार की इन सभी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने पाया कि इस कथित एडवांस पेमेंट या घटे हुए किराए का कोई लिखित या रजिस्टर्ड एग्रीमेंट (पक्का किरायानामा) नहीं था, इसलिए किराएदार के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं बनता।

क्या सबक मिलता है इस मामले से?

यह मामला साफ तौर पर दिखाता है कि:

  1. रेंट एग्रीमेंट जरूरी है: हमेशा 11 महीने या उससे अधिक समय के लिए रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट बनवाएं।

  2. समय पर किराया दें: किराएदार को समय पर किराया देना चाहिए।

  3. कानूनी प्रक्रिया अपनाएं: विवाद होने पर मकान मालिक को कानूनी रास्ता अपनाना चाहिए।

  4. कैश पेमेंट से बचें: किराए या एडवांस का लेन-देन बैंक के माध्यम से करें ताकि उसका रिकॉर्ड रहे।

यह फैसला उन सभी मकान मालिकों और किराएदारों के लिए एक नजीर है जो किराएदारी से जुड़े नियमों और लिखित समझौतों के महत्व को समझने में मदद करेगा।

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