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Join NowSEBI: भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) से एक बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिकी ट्रेडिंग दिग्गज जेन स्ट्रीट (Jane Street) को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के निर्देशों का पालन करने के बाद घरेलू बाजारों में फिर से प्रवेश करने की अनुमति मिल गई है। यह अनुमति 14 जुलाई से पहले 4,844 करोड़ रुपये के कथित “अवैध लाभ” (Unlawful Gains) को एक एस्क्रो खाते (Escrow Account) में जमा कराने की शर्त पर मिली है।
सेबी का बड़ा फैसला: जेन स्ट्रीट की बाजार में वापसी!
बिजनेस स्टैंडर्ड (Business Standard) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन स्ट्रीट को सेबी से औपचारिक संचार (Formal Communication) प्राप्त हुआ है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि भारतीय प्रतिभूति बाजारों (Indian Securities Markets) तक उसकी पहुंच पर लगी प्रतिबंध (Restriction) हटा दी गई है। यह सेबी के 3 जुलाई के अंतरिम आदेश (Interim Order) के बाद हुआ, जिसमें कहा गया था कि “जमा अनुपालन पर, प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा।” रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेबी ने पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क स्थित फर्म को ईमेल के माध्यम से सूचित किया था कि यह प्रतिबंध वापस ले लिया गया है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि एक्सचेंज जेन स्ट्रीट के भविष्य के सौदों (Future Dealings) पर बारीकी से नजर रखेंगे।
बाजारों को हिला देने वाला मामला: डेरिवेटिव्स में हेरफेर के आरोप!
यह घटनाक्रम भारतीय पूंजी बाजारों (Indian Capital Markets) में सबसे महत्वपूर्ण प्रवर्तन कार्रवाइयों (Enforcement Actions) में से एक है। जेन स्ट्रीट को इस महीने की शुरुआत में बाजार में हेरफेर (Market Manipulation) के सेबी के गंभीर आरोपों के बाद घरेलू ट्रेडिंग से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसने भारत के डेरिवेटिव्स पारिस्थितिकी तंत्र (Derivatives Ecosystem) में हलचल मचा दी थी।
प्रतिबंध के तुरंत बाद, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इंडेक्स ऑप्शंस प्रीमियम टर्नओवर (Index Options Premium Turnover) में तेज गिरावट देखी – जो F&O सेगमेंट में जोखिम उठाने की क्षमता (Risk Appetite) और पूंजी नियोजन (Capital Deployment) का एक प्रमुख संकेतक है। 17 जुलाई को, जो एक्सपायरी-डे (Expiry Day) था, टर्नओवर 39,625.77 करोड़ रुपये तक गिर गया, जो जून के औसत 60,605 करोड़ रुपये से 35% कम था। जुलाई के दौरान एक्सपायरी-डे वॉल्यूम में लगातार गिरावट देखी गई, जो जेन स्ट्रीट की अनुपस्थिति से उत्पन्न निर्वात (Vacuum) को दर्शाती है।
36,500 करोड़ रुपये का मुनाफा और एक्सपायरी-डे की रणनीतियों पर जांच!
सेबी की जांच से पता चला है कि जेन स्ट्रीट ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच 36,502.12 करोड़ रुपये का भारी मुनाफा कमाया था। इसमें से 43,289 करोड़ रुपये इंडेक्स ऑप्शंस से आए थे, जबकि फर्म ने कैश और फ्यूचर्स सेगमेंट में 7,687 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया था। सेबी ने इन लाभों में से 4,840 करोड़ रुपये को अवैध बताते हुए फ्रीज (Freeze) करने का आदेश दिया था।
बाजार नियामक ने आरोप लगाया कि जेन स्ट्रीट ने एक्सपायरी दिनों (Expiry Days) पर इंडेक्स मूवमेंट्स (Index Movements)—विशेष रूप से Nifty और Bank Nifty— में हेरफेर करने के लिए एक परिष्कृत योजना (Sophisticated Scheme) में भाग लिया। सेबी के अनुसार, फर्म बार-बार F&O में “‘कैश-इक्विवेलेंट’ शर्तों में अब तक का सबसे बड़ा जोखिम” उठा रही थी, और उसके ट्रेडिंग पैटर्न (Trading Pattern) ” प्रथम दृष्टया (Prima Facie) हेरफेरपूर्ण” (Manipulative) थे, जो उनके हस्तक्षेप की तीव्रता और पैमाने (Intensity and Sheer Scale of Intervention) के कारण था।
17 जनवरी 2024 को, जेन स्ट्रीट ने कथित तौर पर एक ही दिन में 734.93 करोड़ रुपये कमाए, जो सेबी द्वारा वर्णित एक जानबूझकर की गई रणनीति (Deliberate Strategy) का परिणाम था। फर्म ने सुबह इंडेक्स को ऊपर धकेलने के लिए बैंक निफ्टी (Bank Nifty) शेयरों और फ्यूचर्स (Futures) में 4,370 करोड़ रुपये का आक्रामक रूप से खरीदारी (Buying) की, जबकि साथ ही ऑप्शंस (Options) में मंदी की स्थितियां (Bearish Positions) भी बनाए रखीं। दोपहर में इन ट्रेडों को उलटने (Reversing) से, फर्म ने इंडेक्स में तेज गिरावट लाई, जिससे ऑप्शन्स की ओर भारी मुनाफा हुआ।
प्रणालीगत प्रभाव और सेबी के रेड फ्लैग्स!
अपनी जांच के दौरान, सेबी ने 18 एक्सपायरी-डे ट्रेडों (Expiry-Day Trades) की समीक्षा की और उनमें से 15 में हेरफेरपूर्ण रणनीतियों (Manipulative Strategies) का पता लगाया। इनमें एक “पंप-एंड-डंप” प्लेबुक (Pump-and-Dump Playbook) शामिल था और कुछ मामलों में, इंडेक्स को नीचे धकेलने के लिए क्लोजिंग पर भारी बिकवाली के ऑर्डर (Heavy Sell Orders at the Close) भी थे।
जेन स्ट्रीट ने कथित तौर पर रिलायंस, टीसीएस, एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, और इंफोसिस (Reliance, TCS, SBI, HDFC Bank, and Infosys) सहित 40 से अधिक लार्ज-कैप शेयरों (Large-cap Stocks) में आक्रामक ट्रेड (Aggressive Trades) निष्पादित किए, ताकि इंडेक्स स्तरों (Index Levels) को प्रभावित किया जा सके। सेबी ने कहा कि फर्म के कार्यों ने खुदरा व्यापारियों (Retail Traders) को गुमराह किया, जिन्होंने कृत्रिम इंडेक्स चालों (Artificial Index Moves) को वास्तविक बाजार संकेतों (Genuine Market Signals) के रूप में व्याख्या की।
फरवरी 2025 में NSE के माध्यम से एक चेतावनी पत्र (Cautionary Letter) प्राप्त करने के बावजूद, जेन स्ट्रीट ने अपनी रणनीतियों को जारी रखा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने अंततः फर्म के भारतीय भागीदार, नुवामा (Nuvama) से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद अपनी जांच बंद कर दी। लेकिन सेबी ने चल रहे उल्लंघनों (Ongoing Violations) और प्रणालीगत जोखिम (Systemic Risk) का हवाला देते हुए प्रवर्तन (Enforcement) जारी रखा।
निरंतर जांच के अधीन वापसी:
पिछले हफ्ते, जेन स्ट्रीट ने सेबी से अंतरिम आदेश के तहत शर्तों पर लगे प्रतिबंधों को हटाने (Lift the Conditional Restrictions) का अनुरोध किया, यह बताते हुए कि उसने एस्क्रो खाता बनाने के निर्देश का अनुपालन (Complied) किया है। सेबी ने अनुरोध स्वीकार किया और पुष्टि की कि वह 3 जुलाई के आदेश की शर्तों के तहत मामले की जांच (Examining the Matter) कर रहा है।
अब जब प्रतिबंध औपचारिक रूप से हटा लिया गया है, जेन स्ट्रीट भारत में ट्रेडिंग संचालन फिर से शुरू (Resume Trading Operations) कर सकती है। लेकिन उसकी वापसी एक स्पष्ट चेतावनी के साथ आती है: बढ़ी हुई नियामक निगरानी (Heightened Regulatory Surveillance)। एक्सचेंजों से उम्मीद की जाती है कि वे अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फर्म की भविष्य की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी करेंगे – जबकि व्यापक बाजार अभी भी इसके पीछे छोड़े गए विघटन (Disruption) से जूझ रहा है।