SBI - SBI ने करोड़ों ग्राहकों को फिर दिया 'झटका', अब FD पर इतना कम मिलेगा ब्याज

SBI – SBI ने करोड़ों ग्राहकों को फिर दिया ‘झटका’, अब FD पर इतना कम मिलेगा ब्याज

SBI – देश के सबसे बड़े सरकारी बैंकभारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक बार फिर अपने करोड़ों ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, SBI ने फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit or FD) पर मिलने वाली ब्याज दरों (Interest Rates) में बड़ी कटौती कर दी है। इसके साथ ही, बैंक ने अपनी एक खास स्पेशल स्कीम (Special Scheme) पर मिलने वाले ब्याज में भी कमी की है। इस कटौती के चलते अब ग्राहकों को अपनी FD पर पहले से कम ब्याज मिलेगा।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 3 करोड़ रुपये से कम की रिटेल फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में 0.20% तक की कटौती की है। यह कटौती सभी मैच्योरिटी (अवधि) वाली FD पर लागू है। इसका सीधा असर वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) की FD पर भी पड़ेगा, हालांकि उन्हें अतिरिक्त ब्याज का लाभ पहले की तरह मिलता रहेगा।

ब्याज दरों में यह कटौती 16 मई से लागू हो चुकी है। बैंक की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, 3 करोड़ रुपये से कम की रिटेल डोमेस्टिक टर्म डिपॉजिट पर अब ये नई ब्याज दरें प्रभावी हैं:

  • 1 साल से लेकर 2 साल से कम अवधि वाली FD पर अब 6.5% ब्याज मिलेगा।

  • 2 साल से 3 साल से कम अवधि की FD पर अधिकतम 6.7 फीसदी ब्याज मिलेगा।

  • 3 साल से 5 साल से कम समय वाली जमा पर 6.55 फीसदी ब्याज मिल रहा है।

  • 5 साल से 10 साल तक की FD पर 6.30 फीसदी ब्याज मिलेगा।

‘अमृत वृष्टि योजना’ पर भी हुई कटौती:

SBI की खास अवधि वाली स्पेशल स्कीम, ‘अमृत वृष्टि योजना’ (Amrit Vrishi Scheme), जिसकी अवधि 444 दिन है, उसकी ब्याज दरों में भी कटौती की गई है। इस स्कीम पर ब्याज दर 7.05 प्रतिशत से घटाकर 6.85 प्रतिशत कर दिया गया है। यह बदलाव भी 16 मई से लागू हो गया है। जैसा कि पहले बताया गया, सीनियर सिटीजन (60 वर्ष से अधिक) और अति वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक) को इन ब्याज दरों पर अतिरिक्त लाभ मिलता रहेगा।

बैंक ने ब्याज दरों में कटौती क्यों की?

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर उसे 6% किए जाने के बाद, SBI ने भी जमा दरों में 0.10% से 0.25% तक की कटौती की है। यह ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले अप्रैल में भी SBI ने ब्याज दरों में कटौती की थी। RBI का यह कदम अमेरिकी टैरिफ जैसे वैश्विक आर्थिक दबावों के बीच देश की विकास दर को सहारा देने के उद्देश्य से उठाया गया था। इसी नीतिगत बदलाव का असर अब बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दरों पर दिख रहा है।