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Join NowSavings account: क्या आप भी अक्सर अपने सेविंग अकाउंट (savings account) में न्यूनतम औसत मासिक शेष राशि (Average Monthly Balance – AMB) बनाए रखने के चक्कर में परेशान रहते हैं? क्या हर महीने बैंक की पेनाल्टी (bank penalty) आपके खून-पसीने की कमाई को कम कर रही है? अगर हाँ, तो अब आपके लिए एक बड़ी और बेहद राहत भरी खुशखबरी है! देश के 5 प्रमुख पब्लिक सेक्टर बैंकों (Public Sector Banks) ने अपने ग्राहकों को बड़ी सुविधा देते हुए, सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के नियम को ही खत्म कर दिया है। जी हाँ, अब आपको अपने खाते में पैसे की कमी की चिंता करने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है, और न ही बैंक की पेनाल्टी से डरने की! यह वित्तीय आज़ादी (financial freedom) की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
दरअसल, भारत सरकार और पब्लिक सेक्टर बैंक लगातार अपने ग्राहकों को बेहतर बैंकिंग अनुभव (better banking experience) और अधिक सुविधाएँ देने की ओर अग्रसर हैं। इसी कड़ी में, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), केनरा बैंक (Canara Bank), इंडियन बैंक (Indian Bank) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे दिग्गज बैंकों ने पहले ही अपने सेविंग अकाउंट पर न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था। अब इस महत्वपूर्ण सूची में एक और बड़ा नाम शामिल हो गया है – बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda)। अगर आपका बैंक खाता इनमें से किसी भी बैंक में है, तो अब आप निश्चिंत हो सकते हैं। इन बैंकों द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद, आपके सेविंग अकाउंट में भले ही बैलेंस कम हो जाए, अब उस पर कोई अतिरिक्त चार्ज (extra charges) नहीं लगेगा। यह बदलाव देश भर के लाखों ग्राहकों, विशेषकर छात्रों (students), वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) और निम्न-आय वर्ग (low-income group) के लोगों के लिए वरदान साबित होगा।
क्या है AMB और क्यों यह ग्राहकों के लिए था परेशानी का सबब?
सबसे पहले, आइए समझते हैं कि आखिर ये ‘एवरेज मंथली बैलेंस’ (Average Monthly Balance – AMB) या न्यूनतम औसत मासिक शेष राशि क्या होती है। AMB वह न्यूनतम औसत धनराशि होती है जिसे बैंक यह उम्मीद करता है कि उसके खाताधारक (account holders) प्रत्येक कैलेंडर माह में अपने बचत खाते (saving account) में बनाए रखें। यदि खाताधारक इस निर्धारित औसत राशि को बनाए रखने में असफल होते हैं, तो बैंक उन पर जुर्माना (fine) लगाता है। यह शुल्क न केवल राशि की कमी पर निर्भर करता है, बल्कि खाते के प्रकार (account type) और उस विशिष्ट बैंक की नीतियों के अनुसार भी भिन्न होता था। अक्सर, यह पेनाल्टी छोटी लगने वाली राशि से शुरू होकर काफी बड़ी हो सकती थी, जो अनजाने में ही ग्राहकों के पैसे काट लेती थी और उन्हें लगातार अपने खाते का बैलेंस चेक करते रहने का तनाव देती थी।
ये 5 बैंक हुए मेहरबान: जानिए किसने कब और क्या बदलाव किए!
ग्राहकों को वित्तीय राहत पहुँचाने के लिए, निम्नलिखित 5 प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने सेविंग अकाउंट नियमों में अहम बदलाव किए हैं:
- बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda):
- बदलाव कब से लागू: 1 जुलाई 2025 से।
- किन अकाउंट्स पर लागू: यह महत्वपूर्ण छूट बैंक के सभी ‘स्टैंडर्ड सेविंग अकाउंट्स’ (Standard Savings Accounts) पर लागू होगी। ध्यान दें कि ‘प्रीमियम सेविंग अकाउंट्स’ (Premium Savings Accounts) जैसी विशेष सेवाओं के लिए यह नियम लागू नहीं हो सकता है, जहाँ संभवतः न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता बनी रह सकती है।
- वर्तमान ब्याज दरें: 1 लाख रुपये तक के बैलेंस पर 2.50%, जबकि 1,000 करोड़ रुपये से ऊपर के बैलेंस पर 4.25% ब्याज दर अभी भी जारी है (यह न्यूनतम बैलेंस माफ़ी से अलग है)।
- इंडियन बैंक (Indian Bank):
- बदलाव कब से लागू: 7 जुलाई 2025 से।
- मुख्य लाभ: सभी प्रकार के सेविंग अकाउंट्स पर न्यूनतम बैलेंस चार्जेस (minimum balance charges) को पूरी तरह से माफ़ कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब आपको बैलेंस कम होने पर किसी भी प्रकार की पेनाल्टी का भुगतान नहीं करना होगा।
- केनरा बैंक (Canara Bank):
- बदलाव कब से लागू: मई 2025 से ही यह व्यवस्था लागू हो चुकी है।
- कवर अकाउंट्स: इस नई सुविधा का लाभ ‘रेगुलर सेविंग अकाउंट्स’, ‘सैलरी अकाउंट्स’ (Salary Accounts) और ‘एनआरआई सेविंग अकाउंट्स’ (NRI Savings Accounts) सहित विभिन्न प्रकार के खातों पर मिलेगा।
- वर्तमान ब्याज दरें: 50 लाख रुपये तक की राशि पर 2.55% और 2,000 करोड़ रुपये से ऊपर की बड़ी राशियों पर 4.00% ब्याज दर जारी है।
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB):
- बदलाव का स्वरूप: PNB ने अपने सभी सेविंग अकाउंट्स के लिए न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।
- पहले की स्थिति: पहले इस बैंक में खाते में राशि कम होने पर शॉर्टफॉल (shortfall) के आधार पर पेनाल्टी लगाई जाती थी। उदाहरण के लिए, 10 लाख रुपये से कम की राशि पर 2.50% और 100 करोड़ रुपये से ऊपर की राशि पर 2.70% तक पेनल्टी लग सकती थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है।
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI):
- ऐतिहासिक बदलाव: SBI ने यह महत्वपूर्ण कदम काफी पहले, यानी 2020 में ही उठा लिया था।
- वर्तमान स्थिति: SBI के सभी सेविंग अकाउंट्स पर मिनिमम बैलेंस रखने की शर्त अब पूरी तरह से लागू नहीं है। ग्राहकों को अब सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस बनाए रखने के लिए कोई पेनाल्टी नहीं देनी पड़ती है।
ग्राहकों को इस बड़े बदलाव से क्या फायदा होगा?
इन बैंकों द्वारा मिनिमम बैलेंस की शर्त को खत्म करने से ग्राहकों को कई जबरदस्त फायदे होंगे:
- पेनाल्टी से मुक्ति: सबसे बड़ा फायदा यह है कि ग्राहकों को अब अपने सेविंग अकाउंट में बैलेंस कम होने पर लगने वाली पेनाल्टी का डर नहीं रहेगा।
- वित्तीय चिंता में कमी: इससे खासकर वे लोग, जो नियमित रूप से अपना बैलेंस चेक नहीं कर पाते या जिनकी आय अनियमित है, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। यह स्टूडेंट्स, छोटे व्यापारियों, पेंशनर्स और低 आय वाले व्यक्तियों के लिए एक बड़ा संबल है।
- निवेश के लिए अधिक स्वतंत्रता: अब ग्राहक अपनी ज़रूरत का पैसा ही सेविंग अकाउंट में रखकर, बाकी अतिरिक्त राशि को बेहतर रिटर्न के लिए अन्य सुरक्षित निवेश योजनाओं (investment options) जैसे FD, म्यूचुअल फंड (mutual funds), या स्टॉक मार्केट (stock market) में लगा सकते हैं, बिना इस चिंता के कि उनके सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस कैसे बना रहेगा।
- सरल बैंकिंग अनुभव: बैंकिंग को और अधिक ग्राहक-केंद्रित बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्राहकों को अधिक सुविधा और कम झंझट प्रदान करता है।
यह निश्चित रूप से एक बड़ा और स्वागत योग्य कदम है जो लाखों भारतीय बैंकिंग ग्राहकों के जीवन को आसान बनाएगा और उन्हें अपनी वित्तीय योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की स्वतंत्रता देगा। यह पहल यह भी दर्शाती है कि कैसे बैंक डिजिटल इंडिया (Digital India) और ग्राहक सुविधा को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसका लाभ अब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों (NRIs) को भी अप्रत्यक्ष रूप से मिल सकता है, जो अक्सर भारत में अपने बैंक खातों को मैनेज करते हैं।