Property rights : प्रॉपर्टी यानी संपत्ति! ये एक ऐसा शब्द है जिसके इर्द-गिर्द अक्सर रिश्तों में तनाव और विवाद खड़े हो जाते हैं। दुख की बात ये है कि ज़्यादातर लोग अपने ही संपत्ति अधिकारों के बारे में पूरी तरह जानते नहीं हैं। इसी जानकारी की कमी के चलते कई बार ससुर और दामाद के बीच भी प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े कोर्ट तक पहुँच जाते हैं।
लेकिन अब चिंता की बात नहीं! हाल ही में हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में बिल्कुल साफ़ कर दिया है कि ससुर की प्रॉपर्टी में दामाद का कितना अधिकार होता है और कितना नहीं। आइए, जानते हैं इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और समझते हैं कानून क्या कहता है।
ससुराल की संपत्ति पर दामाद का अधिकार: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
अक्सर लोग सोचते हैं कि जैसे पारिवारिक संपत्ति में हक होता है, वैसे ही शायद ससुराल की संपत्ति में भी कुछ अधिकार मिल जाता होगा। लेकिन ऐसा नहीं है!
हाईकोर्ट ने एक ताज़ा मामले में ससुर-दामाद के प्रॉपर्टी विवाद पर फैसला सुनाते हुए दामाद के अधिकारों को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है। कोर्ट ने साफ़ कहा है:
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दामाद का कोई कानूनी हक़ नहीं: ससुर की किसी भी संपत्ति पर, चाहे वो उन्होंने खुद खरीदी हो या उन्हें विरासत में मिली हो, दामाद का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है।
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पैसे लगाने से भी नहीं बनता हक़: भले ही दामाद ने ससुर के घर बनवाने या प्रॉपर्टी खरीदने में पैसों से मदद ही क्यों न की हो, वह उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक़ का दावा नहीं कर सकता।
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ससुर की मर्ज़ी ही सब कुछ: हाँ, अगर ससुर अपनी मर्ज़ी से, बिना किसी दबाव के, अपनी कोई प्रॉपर्टी दामाद के नाम कर दे (जैसे गिफ्ट या वसीयत), तब वो प्रॉपर्टी कानूनी तौर पर दामाद की हो जाती है। ऐसा होने के बाद ही दामाद को उस प्रॉपर्टी के कानूनी अधिकार मिलते हैं और फिर उस पर ससुर का अधिकार ख़त्म हो जाता है।
ज़बरदस्ती करना पड़ेगा भारी!
हम जानते हैं कि एक बेटी का अपने पिता की प्रॉपर्टी में कानूनी हिस्सा होता है। कई बार शादी के बाद पति सोचने लगता है कि पत्नी के इस हक़ वाली प्रॉपर्टी को किसी तरह अपने नाम करवा लिया जाए। लेकिन सावधान!
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अगर कोई दामाद अपनी पत्नी पर दबाव डालकर या जबरदस्ती करके उसके पिता (यानी अपने ससुर) की प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना चाहता है, तो यह गैर-कानूनी है।
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ससुर इस तरह की ज़बरदस्ती के खिलाफ कोर्ट जा सकते हैं और कानून ऐसे मामलों में आमतौर पर दामाद का साथ नहीं देता।
क्या बहू का होता है ससुराल की संपत्ति में अधिकार?
यह जानना भी ज़रूरी है कि बहू के अधिकार दामाद से अलग हैं।
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जैसे बेटे और बेटी का पिता की संपत्ति में हक़ होता है, वैसा सीधा हक़ बहू का ससुराल की संपत्ति पर नहीं होता।
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बहू को ससुराल की प्रॉपर्टी पर अधिकार अपने पति के ज़रिए मिल सकता है। यानी, जो संपत्ति पति के नाम पर है, उसमें पत्नी का हक़ होता है।
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पति के निधन के बाद, अगर सास-ससुर ने प्रॉपर्टी की कोई वसीयत किसी और के नाम नहीं की है, तब बहू को ससुराल की पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
केरल हाईकोर्ट का वो मामला जिसने सब साफ़ किया
हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने डेविस राफेल नाम के एक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी। डेविस ने अपने ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर कब्ज़ा कर लिया था और उस पर अपना अधिकार जता रहा था।
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ससुर का दावा: हेंड्री थॉमस का कहना था कि यह प्रॉपर्टी उन्हें उपहार में मिली थी और उन्होंने अपनी मेहनत से उस पर घर बनाया है। दामाद जबरन कब्ज़ा करना चाहता है, जबकि उसका कोई हक़ नहीं है।
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दामाद की दलील: डेविस का तर्क था कि यह प्रॉपर्टी चर्च ने परिवार के लिए दी थी। चूंकि उसने हेंड्री की इकलौती बेटी से शादी की है, इसलिए उसे परिवार का सदस्य माना गया और उस घर में रहने का उसका भी अधिकार है।
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कोर्ट का फैसला: हाईकोर्ट ने डेविस की याचिका और दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि बेटी से शादी करने मात्र से दामाद को ससुर की प्रॉपर्टी पर रहने या मालिकाना हक़ का अधिकार नहीं मिल जाता। कोर्ट ने प्रॉपर्टी पर ससुर का ही अधिकार माना।
कानून को समझें, विवादों से बचें
तो कुल मिलाकर बात साफ़ है – दामाद का ससुर की प्रॉपर्टी पर कोई जन्मसिद्ध या कानूनी अधिकार नहीं है, जब तक कि ससुर खुद उसे वो प्रॉपर्टी न दे। यह फैसला उन तमाम विवादों पर स्थिति स्पष्ट करता है जो अक्सर ससुर और दामाद के बीच संपत्ति को लेकर खड़े हो जाते हैं। अपने अधिकारों को जानना और दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना ही रिश्तों और कानून, दोनों के लिए बेहतर है।