Property Rights : दहेज लेने से बेटी का पिता की संपत्ति पर हक खत्म हो जाता है? हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्या कहता है कानून

Published On: May 10, 2025
Follow Us
Property Rights : दहेज लेने से बेटी का पिता की संपत्ति पर हक खत्म हो जाता है? हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जानें क्या कहता है कानून
---Advertisement---

Property Rights : हमारे समाज में अक्सर यह माना जाता है कि अगर पिता अपनी बेटी की शादी में दहेज देते हैं, तो उसके बाद पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार समाप्त हो जाता है। यह एक ऐसी गलतफहमी है जो कई परिवारों में संपत्ति विवाद का कारण बनती है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? क्या कानून दहेज को संपत्ति के अधिकार से जोड़ता है? इसी अहम सवाल पर अब हाईकोर्ट ने एक बड़ा और बेहद स्पष्ट फैसला सुनाया है। आइए, जानते हैं अदालत ने क्या कहा और भारतीय कानून संपत्ति के बंटवारे को लेकर बेटियों को क्या अधिकार देता है।

क्या था हाईकोर्ट में आया मामला?

हाल ही में हाईकोर्ट में पिता की संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा एक मामला आया था, जिसमें भाई-बहनों के बीच विवाद था। इस मामले में, एक बेटी ने पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा मांगा। बेटियों के भाइयों ने अदालत में यह तर्क दिया कि चूंकि उनकी बहनों को शादी के समय दहेज मिल चुका है, इसलिए अब उनका पिता की संपत्ति (खासकर एक दुकान और अन्य पारिवारिक संपत्ति) पर कोई हक नहीं बनता।

निचली अदालत का फैसला और हाईकोर्ट का रुख:

शुरुआत में, निचली अदालत ने शायद भाइयों के तर्क को मान लिया था, लेकिन जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो अदालत ने इस पूरे मुद्दे पर गहराई से विचार किया। हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सिर्फ इसलिए कि बेटियों को शादी के समय दहेज दिया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि उनका पिता की संपत्ति में कानूनी अधिकार समाप्त हो जाता है।

हाईकोर्ट ने क्या स्पष्ट किया?

अदालत ने जोर देकर कहा कि पिता की संपत्ति पर बेटी का अधिकार एक कानूनी अधिकार है, जिसे दहेज जैसी चीज़ों से नहीं जोड़ा जा सकता। दहेज एक अलग मुद्दा है और संपत्ति का उत्तराधिकार एक अलग कानूनी प्रक्रिया है। शादी के समय दिया गया दहेज, बेटी के पैतृक संपत्ति या पिता की स्व-अर्जित संपत्ति में कानूनी हिस्से को प्रभावित नहीं करता।

कानून क्या कहता है: बेटी का संपत्ति पर अधिकार

भारतीय कानून में, खासकर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) के तहत, बेटियों को संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार दिए गए हैं।

  • पैतृक संपत्ति (Ancestral Property): यह वो संपत्ति होती है जो आपको अपने पिता, दादा या परदादा से विरासत में मिलती है (कम से कम चार पीढ़ियों से)। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 में हुए संशोधन के बाद से, बेटी का पैतृक संपत्ति पर जन्म से ही बेटे के बराबर हक होता है। इस अधिकार को कोई छीन नहीं सकता, चाहे उसकी शादी हो गई हो या उसे दहेज मिला हो।

  • स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property): यह वो संपत्ति है जिसे व्यक्ति ने खुद अपनी कमाई से खरीदा हो। इस मामले में, पिता अपनी संपत्ति जिसे चाहें उसे वसीयत (Will) के ज़रिए दे सकते हैं। अगर पिता बिना वसीयत बनाए गुज़र जाते हैं, तो उनकी स्व-अर्जित संपत्ति में सभी कानूनी वारिसों (बेटे, बेटी, पत्नी) का बराबर का हक होता है। यहाँ भी दहेज या शादी का संपत्ति के अधिकार से कोई लेना-देना नहीं है।

उस खास मामले में ‘समय सीमा’ (Limitation) का मुद्दा:

जिस मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, उसमें भाइयों ने यह भी तर्क दिया था कि बेटी ने संपत्ति ट्रांसफर होने के कई साल बाद मुकदमा दायर किया है, जो कानून के अनुसार तय समय सीमा के बाहर है। इस पर कोर्ट ने लिमिटेशन एक्ट (Limitation Act, 1963) का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी कानूनी दस्तावेज़ (जैसे संपत्ति ट्रांसफर डीड) को चुनौती देने की समय सीमा 3 साल होती है, लेकिन यह अवधि तब से गिनी जाती है जब आपको उस दस्तावेज़ या ट्रांसफर की जानकारी मिली हो। अगर बेटी यह साबित कर दे कि उसे ट्रांसफर की जानकारी बाद में मिली थी, तो समय सीमा का तर्क मान्य नहीं होगा। उस मामले में, हाईकोर्ट ने पाया कि भाइयों के पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे कि बहन को ट्रांसफर की जानकारी पहले से थी, इसलिए बेटी का मुकदमा समय सीमा के अंदर ही माना गया।

कब बेटी का संपत्ति पर दावा कमज़ोर हो सकता है?

कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं जहाँ बेटी का संपत्ति पर अधिकार सीमित हो सकता है:

  1. रिलीज़ डीड (Release Deed): अगर बेटी ने अपनी मर्ज़ी से, कानूनी तौर पर (एक रजिस्टर्ड रिलीज़ डीड के ज़रिए) पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा अपने भाई या किसी अन्य वारिस के पक्ष में छोड़ दिया हो।

  2. मान्य वसीयत (Valid Will): अगर पिता ने अपनी स्व-अर्जित संपत्ति की एक वैध और रजिस्टर्ड वसीयत बनाई हो और उसमें स्पष्ट रूप से बेटी को हिस्सा न दिया हो। (ध्यान दें: पैतृक संपत्ति में वसीयत के नियम अलग होते हैं)।

हाईकोर्ट का यह फैसला इस बात को पूरी तरह स्पष्ट करता है कि शादी में दहेज लेना या मिलना बेटी के पिता की संपत्ति में कानूनी उत्तराधिकार के अधिकार को खत्म नहीं करता। भारतीय कानून, खासकर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के बाद, बेटे और बेटी को संपत्ति में बराबर का हक देते हैं। यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो सभी को पता होनी चाहिए ताकि संपत्ति बंटवारे से जुड़े विवादों को रोका जा सके और बेटियों को उनका सही कानूनी हक मिल सके।


Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Related Posts

Abbas Ansari News: हेट स्पीच मामले में अब्बास अंसारी को 2 साल की कैद, हाई कोर्ट में चुनौती, विधायकी रहेगी बरकरार

Abbas Ansari News: हेट स्पीच मामले में अब्बास अंसारी को 2 साल की कैद, हाई कोर्ट में चुनौती, विधायकी रहेगी बरकरार

May 31, 2025
Haryana Crime News: पति की ऐसी थी 'गंदी डिमांड', सुनकर बौखला गई पत्नी

Haryana Crime News: पति की ऐसी थी ‘गंदी डिमांड’, सुनकर बौखला गई पत्नी

May 31, 2025
PM Modi Bhopal Visit: लाखों महिलाओं ने कहा 'धन्यवाद मोदीजी', 'ऑपरेशन सिंदूर' की कामयाबी पर भोपाल में जताया दिल से आभार

PM Modi Bhopal Visit: लाखों महिलाओं ने कहा ‘धन्यवाद मोदीजी’, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी पर भोपाल में जताया दिल से आभार

May 31, 2025
Gold Price Today: 4 महीने बाद इतने में मिलेगा 10 ग्राम सोना? जानें क्या है गोल्ड रेट में गिरावट का अनुमान

Gold Price Today: 4 महीने बाद इतने में मिलेगा 10 ग्राम सोना? जानें क्या है गोल्ड रेट में गिरावट का अनुमान

May 31, 2025
Gold Silver Price : खरीदना है सोना-चांदी? रॉकेट की तरह दौड़े भाव, जानें 22k, 24k गोल्ड के आज के रेट

Gold Silver Price : खरीदना है सोना-चांदी? रॉकेट की तरह दौड़े भाव, जानें 22k, 24k गोल्ड के आज के रेट

May 31, 2025