Property Possession

Property Possession : कहीं 12 साल बाद किरायेदार न बन जाए आपकी प्रॉपर्टी का मालिक? जानें क्या कहता है कानून और कैसे रहें सुरक्षित

Property Possession : क्या आपने अपना घर, दुकान या ज़मीन किराये पर दे रखी है? अगर हाँ, तो यह खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है! कई बार अनजाने में या लापरवाही के चलते प्रॉपर्टी मालिक को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्या आप जानते हैं कि कुछ खास परिस्थितियों में, लंबे समय तक आपकी प्रॉपर्टी पर रहने वाला किरायेदार उस पर मालिकाना हक़ भी जता सकता है? जी हाँ, भारत में ऐसा एक कानून मौजूद है!

लेकिन घबराइए नहीं! आज हम आपको इसी कानून के बारे में आसान भाषा में समझाएंगे और यह भी बताएंगे कि आप अपनी मेहनत की कमाई से बनाई प्रॉपर्टी को कैसे पूरी तरह सुरक्षित रख सकते हैं।

क्या सच में किरायेदार मालिक बन सकता है?

यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन कानून में एक प्रावधान है जिसे “प्रतिकूल कब्ज़ा” (Adverse Possession) कहा जाता है। यह आजादी से भी पहले का नियम है।

  • क्या कहता है यह नियम? इसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति (चाहे वह किरायेदार हो या कोई और) किसी दूसरे की प्रॉपर्टी पर बिना किसी रोक-टोक के, लगातार 12 सालों तक काबिज़ रहता है, और इस दौरान असली मालिक उस कब्ज़े पर कोई आपत्ति नहीं जताता या अपना हक साबित करने के लिए कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो 12 साल बाद कब्ज़ा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक का दावा कर सकता है।

लेकिन, किरायेदार के मामले में यह कैसे लागू होता है?

यहीं पर सबसे बड़ा पेंच है और मकान मालिकों के लिए राहत की बात भी! प्रतिकूल कब्ज़ा का नियम सीधे तौर पर उस किरायेदार पर लागू नहीं होता जिसके साथ आपने वैध रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) किया हुआ है।

आपकी प्रॉपर्टी का सुरक्षा कवच – रेंट एग्रीमेंट!

अपनी प्रॉपर्टी को ऐसे किसी भी झंझट से बचाने का सबसे अचूक तरीका है रेंट एग्रीमेंट।

  1. क्यों है ज़रूरी? रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज़ होता है जो यह साबित करता है कि आपने अपनी प्रॉपर्टी किरायेदार को सिर्फ इस्तेमाल करने के लिए दी है, मालिकाना हक नहीं दिया। इसमें किराये की रकम, भुगतान की शर्तें और किरायेदारी की अवधि (आमतौर पर 11 महीने) साफ-साफ लिखी होती है।

  2. कैसे बचाता है? जब तक वैलिड रेंट एग्रीमेंट है, किरायेदार का कब्ज़ा ‘प्रतिकूल’ यानी मालिक की इच्छा के विरुद्ध नहीं माना जा सकता। वह सिर्फ एक किरायेदार है, मालिक नहीं।

  3. समय पर रिन्यूअल: आमतौर पर रेंट एग्रीमेंट 11 महीने के लिए बनता है। इसे समय पर रिन्यू कराना ज़रूरी है। इससे आपकी किरायेदारी हमेशा कानूनी दायरे में रहती है और आप चाहें तो रिन्यूअल के समय (राज्य के नियमों के अनुसार) किराया भी बढ़ा सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  • हमेशा लिखित एग्रीमेंट करें: कभी भी बिना लिखित एग्रीमेंट के प्रॉपर्टी किराये पर न दें।

  • एग्रीमेंट रजिस्टर कराएं (यदि आवश्यक हो): कुछ मामलों में एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।

  • समय पर रिन्यू करें: 11 महीने पूरे होने से पहले एग्रीमेंट रिन्यू करने की प्रक्रिया शुरू कर दें।

  • किराये की रसीद दें: हमेशा किरायेदार को किराये की रसीद दें। यह भी एक रिकॉर्ड होता है।

‘प्रतिकूल कब्ज़ा’ का कानून मौजूद ज़रूर है, लेकिन एक जागरूक मकान मालिक, जो सही कानूनी प्रक्रिया (जैसे रेंट एग्रीमेंट) का पालन करता है, उसे इससे डरने की ज़रूरत नहीं है। रेंट एग्रीमेंट आपकी प्रॉपर्टी का सुरक्षा कवच है, इसे कभी नज़रअंदाज़ न करें!