OM Parvat News: क्या भगवान शिव ने लिखा है ओम पर्वत पर ‘ऊं’? जानें इस चमत्कारी पर्वत का धार्मिक महत्व और स्थान

Published On: June 1, 2025
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OM Parvat News: क्या भगवान शिव ने लिखा है ओम पर्वत पर 'ऊं'? जानें इस चमत्कारी पर्वत का धार्मिक महत्व और स्थान

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OM Parvat News: हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसे स्थान हैं जो भक्तों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। इन्हीं में से एक पवित्र और बेहद महत्वपूर्ण यात्रा है कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra)। हिंदू धर्म (Hindu Religion) में इस यात्रा का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव (Lord Shiva) के निवास स्थान कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) और पवित्र मानसरोवर झील (Mansarovar Lake) तक ले जाती है। इस दुर्गम लेकिन फलदायी यात्रा के दौरान कई ऐसे अद्भुत और रहस्यमयी स्थान (Mysterious Places) पड़ते हैं जो यात्रियों को विस्मय और भक्ति से भर देते हैं। ऐसा ही एक अविश्वसनीय स्थान है ‘ओम पर्वत’ (OM Parvat)। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल (Kumaon Region) में स्थित यह पर्वत कैलाश मानसरोवर यात्रा के मुख्य पड़ावों में से एक है और इसकी सबसे अनूठी बात यह है कि इसकी चोटी पर प्राकृतिक रूप से बर्फ से ‘ऊँ’ (OM) अक्षर बना हुआ दिखाई देता है। इस चमत्कारिक पर्वत का क्या रहस्य है और इसका धार्मिक महत्व (Religious Significance) क्या है, आइए इस पर विस्तार से जानते हैं।

कहां स्थित है ओम पर्वत?
ओम पर्वत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के धारचूला तहसील (Dharchula Tehsil) में भारत और नेपाल की सीमा (India-Nepal Border) के पास स्थित है। यह पर्वत अपनी विशिष्ट भौगोलिक बनावट के कारण दूर से ही पहचाना जा सकता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 5,900 मीटर (5900 Meters Altitude) है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले भारतीय श्रद्धालु नाभीढांग (Nabhidhang) नामक स्थान से इस पर्वत के दिव्य दर्शन (Darshan of OM Parvat) करते हैं। नाभीढांग कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है। ओम पर्वत से पवित्र कैलाश मानसरोवर झील की दूरी लगभग 85 किलोमीटर (85 km from Kailash Mansarovar) है। यह पर्वत यात्रा मार्ग पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जो भक्तों को आगे की पवित्र यात्रा के लिए प्रेरित करता है।

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ओम पर्वत का रहस्य और धार्मिक महत्व
ओम पर्वत को ‘ऊँ’ पर्वत क्यों कहा जाता है, इसका रहस्य इसकी चोटी पर बनी उस विशिष्ट आकृति में छिपा है। प्राकृतिक रूप से बर्फ जमने और चट्टानों की बनावट ऐसी है कि पर्वत के ऊपरी हिस्से पर हिंदी अक्षर ‘ऊँ’ या संस्कृत शब्दांश ‘ॐ’ साफ-साफ उकेरा हुआ दिखाई देता है। यह नजारा इतना अद्भुत और अविश्वसनीय है कि इसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।

मान्यताएं और पौराणिक कथाएं (Beliefs and Legends):
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इस प्राकृतिक रूप से बने ‘ऊँ’ अक्षर को सीधे भगवान शिव से जोड़कर देखते हैं।

  • शिव का बीजाक्षर: ‘ऊँ’ को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे भोलेनाथ भगवान शिव का ‘बीजाक्षर’ या primal sound कहा जाता है, जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ है। ओम पर्वत पर ‘ऊँ’ का दिखाई देना शिव भक्तों के लिए एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव (Spiritual Experience) है।

  • ईश्वरीय संकेत: कई श्रद्धालु इसे भगवान शिव या प्रकृति का एक ईश्वरीय संकेत (Divine Sign) मानते हैं, जो दर्शाता है कि यह स्थान कितना पवित्र और ऊर्जावान है।

  • पौराणिक कथाएं: स्थानीय लोगों और कुछ पौराणिक कथाओं (Mythological Stories) के अनुसार, पर्वत पर लिखा यह ‘ऊँ’ अक्षर स्वयं भगवान शिव ने रचा है। यह कथा पर्वत के प्रति स्थानीय लोगों की गहरी आस्था और श्रद्धा को दर्शाती है। एक अन्य प्राचीन कथा यह भी कहती है कि सैकड़ों वर्ष पहले इस ओम पर्वत पर ऋषि-मुनियों (Rishis and Munis) ने घोर तपस्या (Meditation and Austerities) की थी और उनकी तपस्या की ऊर्जा से ही यह ‘ऊँ’ अक्षर यहां प्रकट हुआ।

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आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार:
‘ऊँ’ अक्षर को सनातन धर्म में ब्रह्मांड की ध्वनि (Sound of Universe) और विशिष्ट धार्मिक तथा आध्यात्मिक ऊर्जा (Spiritual Energy) के संचार का प्रतीक माना जाता है। इसका उच्चारण मन को शांत करता है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। ओम पर्वत पर ‘ऊँ’ के दर्शन करके यात्री एक तीव्र सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। कई यात्रियों ने अपने अनुभवों (Traveller Experiences) में बताया है कि इस पर्वत को देखकर उन्हें एक अद्वितीय शांति और दिव्य अनुभूति (Divine Feeling) का अहसास होता है। यह दर्शन उनकी आगे की कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए उन्हें शक्ति, उत्साह और सकारात्मकता प्रदान करता है।

केवल एक ‘ऊं’ पर्वत नहीं?
दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में ऐसे कई पर्वत हैं जो प्राकृतिक रूप से ‘ऊं’ या ‘ॐ’ जैसी आकृतियां बनाते हैं। हालांकि, कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित यह पर्वत सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित है। इसे ‘लिटिल कैलाश’ (Little Kailash) या ‘आदि कैलाश’ (Adi Kailash) से भी जोड़ा जाता है, जो उत्तराखंड में ही स्थित एक अन्य पवित्र स्थान है और जिसे कैलाश पर्वत का छोटा रूप माना जाता है।

उत्तराखंड का ओम पर्वत वास्तव में एक रहस्यमय और अत्यंत धार्मिक महत्व का स्थान है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान इसकी चोटी पर बर्फ से बना ‘ऊँ’ अक्षर देखना किसी चमत्कार से कम नहीं है। चाहे यह एक प्राकृतिक अजूबा हो या ईश्वरीय संकेत, यह पर्वत हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए गहरी श्रद्धा और प्रेरणा का स्रोत है। यह न केवल यात्रियों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है बल्कि हिमालय की अविश्वसनीय सुंदरता और प्रकृति के चमत्कारों का भी एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। ओम पर्वत के दर्शन कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक अविस्मरणीय हिस्सा हैं, जो भक्तों के मन में भक्ति और विस्मय का भाव जगाते हैं।

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