Marriage Act : शादी, जिसे भारत में सात जन्मों का पवित्र बंधन माना जाता है, कभी-कभी ज़िंदगी के ऐसे मोड़ पर आ जाती है जहाँ सवाल और उलझनें खड़ी हो जाती हैं। एक ऐसी ही स्थिति है जब पति या पत्नी में से कोई एक घर छोड़कर चला जाए। ऐसे में अक्सर मन में सवाल उठता है, खासकर पति के मन में, कि क्या वो दूसरी शादी कर सकता है? और अगर हाँ, तो कितने समय बाद? कानून इस बारे में क्या कहता है?
हाल ही में नागपुर में एक दिवंगत जवान की पेंशन को लेकर उठा विवाद इसी सवाल को और गहरा करता है। जवान की पहली पत्नी लापता हो गई थी, जिसके बाद उसने दूसरी शादी कर ली। अब पेंशन पर हक को लेकर दोनों पत्नियों (पहली और दूसरी) के बीच कानूनी लड़ाई छिड़ गई है। इस मामले ने फिर से इस बात पर रोशनी डाली है कि अगर जीवनसाथी लापता हो जाए तो दूसरी शादी के क्या नियम हैं।
क्या कहता है भारत का कानून?
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय कानून (विशेषकर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और भारतीय दंड संहिता) एक समय में एक से अधिक जीवित पति या पत्नी रखने की अनुमति नहीं देता है।
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बिना तलाक दूसरी शादी अपराध: अगर किसी व्यक्ति का जीवनसाथी जीवित है और उसने कानूनी तौर पर तलाक नहीं लिया है, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के तहत द्विविवाह (Bigamy) का अपराध माना जाता है, जिसके लिए सजा का प्रावधान है।
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छोड़कर जाना तलाक नहीं: सिर्फ घर छोड़कर चले जाना, चाहे कितने भी समय के लिए क्यों न हो, कानूनी रूप से रिश्ते को खत्म नहीं करता। जब तक अदालत द्वारा तलाक की डिक्री पारित नहीं हो जाती, तब तक पहली शादी कानूनी रूप से मान्य रहती है। सरकारी दस्तावेजों और सुविधाओं (जैसे पेंशन) में पहली पत्नी का ही कानूनी हक बना रहता है।
तो फिर दूसरी शादी कब संभव है? वो 7 साल वाला नियम क्या है?
कानून में एक विशेष परिस्थिति का जिक्र है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 108 के अनुसार:
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अगर किसी व्यक्ति के बारे में सात साल तक उन लोगों ने कुछ भी नहीं सुना है, जिन्हें सामान्य रूप से उसके बारे में पता होना चाहिए था (जैसे परिवार, करीबी दोस्त), तो कानून यह मान सकता है कि वह व्यक्ति अब जीवित नहीं है (Presumption of Death)।
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महत्वपूर्ण: यह सिर्फ ‘लापता’ होना नहीं है, बल्कि ‘सात साल तक उसके जीवित होने की कोई खबर न मिलना’ है।
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इस कानूनी धारणा (Presumption) के बाद ही दूसरा जीवनसाथी, बिना तलाक के भी, दूसरी शादी करने पर द्विविवाह (IPC 494) के अपराध से बच सकता है।
उस जवान के मामले में क्या हुआ?
जवान के मामले में, पहली पत्नी लापता तो हुई थी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसने दूसरी शादी सात साल की अवधि पूरी होने और कानूनी प्रक्रिया (अगर कोई हो) के बाद की थी या पहले। साथ ही, उसने सरकारी दस्तावेजों में दूसरी पत्नी का नाम भी अपडेट नहीं कराया था, जिससे पेंशन पहली पत्नी के खाते में जाती रही।
दूसरी पत्नी के अधिकार क्या हैं?
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अगर पहली पत्नी जीवित है (या 7 साल की अवधि पूरी नहीं हुई है): हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, पहली पत्नी के जीवित रहते और बिना कानूनी तलाक के की गई दूसरी शादी अमान्य (Void) होती है।
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पेंशन पर हक: ऐसी स्थिति में, दूसरी पत्नी का पति की पेंशन पर कानूनी रूप से कोई अधिकार नहीं बनता, क्योंकि कानूनी नजर में पहली पत्नी ही वैध है (जब तक तलाक न हुआ हो या मृत्यु साबित न हो)।
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बच्चों का अधिकार: हालांकि, अगर दूसरी (अमान्य) शादी से कोई बच्चा होता है, तो कानून उसे नाजायज नहीं मानता। ऐसे बच्चे को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Self-acquired property) में हिस्सा मांगने का अधिकार हो सकता है (यह पैतृक संपत्ति पर लागू नहीं होता)। लेकिन, बच्चे का अधिकार माँ (दूसरी पत्नी) को पेंशन जैसे लाभों का हकदार नहीं बनाता जो कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के लिए होते हैं।
जीवनसाथी के घर छोड़कर चले जाने की स्थिति भावनात्मक रूप से कठिन होती है, लेकिन कानूनी रूप से दूसरी शादी करने के लिए भावनाओं से ऊपर उठकर नियमों का पालन करना अनिवार्य है। बिना तलाक या जीवनसाथी के जीवित न होने की कानूनी पुष्टि (7 साल की अवधि और संबंधित प्रक्रिया के बाद) के बिना दूसरी शादी करना आपको कानूनी मुश्किलों में डाल सकता है और दूसरी पत्नी व बच्चों के अधिकारों को भी खतरे में डाल सकता है। ऐसी किसी भी स्थिति में कोई भी कदम उठाने से पहले कानूनी सलाह लेना बेहद जरूरी है।