Loan EMI : EMI न भर पाने वालों के लिए बड़ी राहत RBI का ये नियम बचाएगा आपको ‘डिफॉल्टर’ होने से

Published On: May 13, 2025
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EMI न भर पाने वालों के लिए बड़ी राहत RBI का ये नियम बचाएगा आपको 'डिफॉल्टर' होने से
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Loan EMI : आज के समय में पैसों की जरूरत के लिए लोन लेना काफी आम हो गया है, चाहे वो घर के लिए हो, गाड़ी के लिए हो या किसी और काम के लिए। लेकिन, लोन लेने के बाद हर महीने उसकी ईएमआई (EMI – Equated Monthly Installment) चुकाना कई बार एक बड़ी चुनौती बन जाता है। अगर एक के बाद एक ईएमआई छूटने लगे, तो बैंक आपको ‘डिफॉल्टर’ (Loan Defaulter) घोषित कर देते हैं। एक बार ‘डिफॉल्टर’ का टैग लग जाए, तो आपकी मुश्किलें बहुत बढ़ जाती हैं।

लेकिन अब, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का एक खास नियम ऐसे लोगों के लिए ढाल बनकर सामने आया है, जो ईएमआई भरने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। यह नियम आपको ‘डिफॉल्टर’ होने से बचा सकता है और वाकई में लोनधारकों के लिए एक बड़ी राहत है। आइए विस्तार से जानते हैं इस नियम के बारे में।

क्यों मुश्किल होती है EMI चुकाना?

लोग अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए जैसे-तैसे लोन तो ले लेते हैं, लेकिन कई बार नौकरी चले जाने, बिज़नेस में घाटा होने, या किसी अचानक खर्च आ जाने की वजह से मासिक किस्त (EMI) भरना मुश्किल हो जाता है। जब ऐसा होता है, तो बैंक की तरफ से दबाव आना शुरू हो जाता है, और अगर समय पर भुगतान न हो पाए, तो व्यक्ति को ‘डिफॉल्टर’ घोषित कर दिया जाता है।

RBI का कौन सा नियम है मददगार?

यहीं पर RBI का नया नियम (RBI Loan Rules) आपके काम आता है। यह नियम खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो अपनी किस्तें समय पर नहीं भर पा रहे हैं या जिन्हें भविष्य में दिक्कत होने की आशंका है।

इस नियम के तहत, ‘लोन रीस्ट्रक्चर’ (Loan Restructure) का विकल्प उन लोगों के लिए ‘वरदान’ साबित हो सकता है।

लोन रीस्ट्रक्चर क्या है और यह कैसे मदद करता है?

लोन रीस्ट्रक्चर का मतलब है, आपके मौजूदा लोन की शर्तों में बदलाव करना ताकि आप उसे आसानी से चुका सकें। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी हर महीने की ईएमआई की रकम (EMI Amount) को कम करा सकते हैं।

यह कैसे होता है? बैंक या वित्तीय संस्थान आपके लोन की अवधि (Loan Tenure) को बढ़ा देते हैं। जब लोन की अवधि बढ़ती है, तो हर महीने चुकाई जाने वाली राशि (EMI) अपने आप कम हो जाती है, भले ही कुल ब्याज थोड़ा बढ़ जाए।

उदाहरण के लिए, अगर आपकी ईएमआई अभी 50,000 रुपये है और आपको इसे चुकाने में दिक्कत हो रही है, तो लोन रीस्ट्रक्चर के बाद आपकी ईएमआई घटकर 25,000 रुपये तक भी हो सकती है। इससे आप पर हर महीने का बोझ कम हो जाएगा और किस्त भरना आसान हो जाएगा।

डिफॉल्टर होने का खतरा टलेगा

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोन रीस्ट्रक्चर कराने से आप ‘लोन डिफॉल्टर’ (Loan Defaulter) होने से बच जाते हैं। जब आप बैंक से संपर्क करके अपने लोन को रीस्ट्रक्चर कराते हैं, तो यह माना जाता है कि आप अपनी लोन चुकाने की जिम्मेदारी से भाग नहीं रहे हैं, बल्कि सिर्फ मौजूदा परिस्थितियों के कारण आपको थोड़ी मदद की जरूरत है। बैंक नियमों के अनुसार इस पर विचार करते हैं।

सिबिल स्कोर भी रहेगा सुरक्षित

लोन लेने जाते समय बैंक सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) या क्रेडिट स्कोर (Credit Score) चेक करते हैं। यह एक तरह से आपकी लोन चुकाने की साख होती है। ईएमआई छूटने या डिफॉल्टर होने पर आपका सिबिल स्कोर बुरी तरह खराब हो जाता है। एक बार सिबिल स्कोर खराब हो जाए, तो भविष्य में किसी भी बैंक या संस्था से नया लोन मिलना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

लेकिन, अगर आप समय रहते लोन रीस्ट्रक्चर (Loan Restructure) का विकल्प चुन लेते हैं, तो आपका सिबिल स्कोर खराब होने से बच जाता है। आपकी ईएमआई भी कम हो जाती है और आपकी वित्तीय साख (Financial Credibility) भी बनी रहती है।

सिबिल स्कोर की रेंज क्या है?

आपका सिबिल या क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। अगर आपका स्कोर 750 या उससे ज़्यादा है, तो इसे अच्छा माना जाता है। ऐसे ग्राहकों को बैंक आसानी से और अक्सर कम ब्याज दरों पर लोन दे देते हैं। वहीं, खराब सिबिल स्कोर वालों को लोन लेने में काफी मुश्किल आती है।

कुल मिलाकर, RBI का यह लोन रीस्ट्रक्चरिंग नियम उन लोगों के लिए एक जीवनदान है जो मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के कारण अपनी लोन ईएमआई चुकाने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं। यह उन्हें ‘डिफॉल्टर’ का बुरा टैग लगने और सिबिल स्कोर खराब होने से बचाता है, जिससे उनका वित्तीय भविष्य सुरक्षित रहता है। अगर आप ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और लोन रीस्ट्रक्चर के विकल्प के बारे में जानकारी लें।

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