Income Tax : आजकल इनकम टैक्स भरने का सीजन चल रहा है, और बहुत सारे टैक्सपेयर्स के मन में एक बड़ा सवाल है: कौन सी टैक्स व्यवस्था चुनें? सरकार ने हमें दो विकल्प दिए हैं – पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime)। दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, और आपके लिए कौन सी सही है, ये आपकी कमाई और आपके खर्चों पर निर्भर करता है। आइए, इसे थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं।
पुरानी टैक्स व्यवस्था: कटौतियों का खेल
ये वो सिस्टम है जिसे हम लंबे समय से जानते हैं। इसमें इनकम टैक्स के रेट्स (tax slabs) थोड़े ज़्यादा हैं, लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि आपको टैक्स बचाने के लिए ढेरों रास्ते मिलते हैं। आप इनकम टैक्स एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत कटौतियों (deductions) और छूटों (exemptions) का फायदा ले सकते हैं।
जैसे, धारा 80C के तहत आप PPF, ELSS, FD, बच्चों की ट्यूशन फीस, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम वगैरह में निवेश या खर्च दिखाकर टैक्स बचा सकते हैं (इसकी एक लिमिट होती है)। इसके अलावा, होम लोन के ब्याज़ पर छूट, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), मेडिकल खर्च (80D), एजुकेशन लोन का ब्याज़ – ऐसे बहुत सारे विकल्प हैं जिनसे आप अपनी कुल टैक्सेबल इनकम को काफी कम कर सकते हैं। अगर आप इन कटौतियों का अच्छा इस्तेमाल करते हैं, तो आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है।
नई टैक्स व्यवस्था: कम रेट्स, कम छूटें
यह व्यवस्था कुछ साल पहले लाई गई थी। इसका मकसद टैक्स सिस्टम को आसान बनाना था। इसमें पुरानी व्यवस्था के मुकाबले टैक्स के रेट्स (टैक्स स्लैब) कम रखे गए हैं, खासकर कम और मध्यम आय वर्ग के लिए। इसमें अलग-अलग इनकम लेवल पर टैक्स का प्रतिशत कम है।
लेकिन यहाँ सबसे बड़ा बदलाव ये है कि आपको ज़्यादातर कटौतियों और छूटों का फायदा नहीं मिलता। 80C, HRA, LTA, होम लोन का ब्याज़ जैसी आम कटौतियाँ इसमें लागू नहीं होतीं। इसमें टैक्स बचाने के विकल्प बहुत सीमित हैं। इसमें सिर्फ़ स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) ₹50,000 (सैलरीड क्लास के लिए) और कुछ बहुत ही खास तरह की छूटें मिलती हैं।
मुख्य फर्क क्या है?
सीधा-सादा फर्क ये है:
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पुरानी व्यवस्था: टैक्स रेट थोड़े ज़्यादा, लेकिन छूटें और कटौतियाँ बहुत ज़्यादा उपलब्ध।
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नई व्यवस्था: टैक्स रेट कम, लेकिन छूटें और कटौतियाँ बहुत कम उपलब्ध।
आपके लिए कौन सी व्यवस्था बेहतर है, यह पूरी तरह आपकी निजी स्थिति पर निर्भर करता है। अगर आप साल भर में अच्छी रकम 80C में निवेश करते हैं, आपका होम लोन चल रहा है, या आपको HRA/LTA जैसे भत्ते मिलते हैं जिन पर आप छूट ले सकते हैं, तो पुरानी व्यवस्था आपके लिए ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है। वहीं, अगर आप ज़्यादा निवेश नहीं करते हैं और आपके खर्चे ऐसे नहीं हैं जिन पर टैक्स छूट मिलती हो, या आपकी इनकम कम है जहाँ नई व्यवस्था के कम टैक्स रेट्स का फायदा ज़्यादा मिल रहा है, तो नई व्यवस्था आपके लिए अच्छी हो सकती है।
आजकल नई टैक्स व्यवस्था डिफ़ॉल्ट (Default) रूप से लागू होती है, यानी अगर आप टैक्स भरते समय कोई विकल्प नहीं चुनते हैं, तो सिस्टम आपको अपने आप नई व्यवस्था में मान लेगा। इसलिए, टैक्स भरते समय सोच समझकर चुनाव करना बहुत ज़रूरी है। अपनी इनकम, निवेश और संभावित कटौतियों का हिसाब लगाएं और देखें कि आपको किस सिस्टम में कम टैक्स देना पड़ रहा है।