Join WhatsApp
Join NowCheque Bounce: आज के डिजिटल युग में, जहां यूपीआई (UPI) और नेट बैंकिंग (Net Banking) जैसे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन (Online Transactions) का बोलबाला है, वहीं चेक (Cheque) अभी भी व्यावसायिक लेन-देन का एक महत्वपूर्ण और भरोसेमंद जरिया बना हुआ है। बिजनेस (Business) जगत में आज भी चेक के माध्यम से भुगतान का चलन काफी आम है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेक से पेमेंट करते समय एक छोटी सी चूक आपको भारी मुसीबत में डाल सकती है? जी हां, चेक बाउंस (Cheque Bounce) का मामला जिसे अक्सर लोग मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, वह वाकई गंभीर है और इसके लिए आपको जेल (Jail) भी हो सकती है और मोटा जुर्माना (Fine) भी भरना पड़ सकता है।
चेक ट्रांजैक्शन: भरोसेमंद पर कानून के दायरे में!
चेक को हमेशा से ही एक सुरक्षित और भरोसेमंद भुगतान माध्यम माना गया है। हालांकि, अगर आप चेक जारी कर रहे हैं तो आपको चेक ट्रांजैक्शन के नियमों (Cheque Transaction Rules) की पूरी जानकारी होनी चाहिए। अक्सर लोग चेक बाउंस होने के कारणों (Cheque Bounce Reasons) से अनजान रहते हैं, जिसके कारण वे अनजाने में ही एक बड़े कानूनी अपराध के दायरे में आ जाते हैं।
बैंक की तकनीकी भाषा में, जिस चेक का भुगतान खाते में अपर्याप्त राशि या अन्य किसी कारण से नहीं हो पाता, उसे ‘डिशऑनर्ड चेक’ (Dishonoured Cheque) या चेक बाउंस कहा जाता है। बहुत से लोग इसे एक सामान्य सी बात मानते हैं, लेकिन भारतीय कानून के तहत यह एक दंडनीय अपराध (Punishable Offence) है।
चेक बाउंस: एक गंभीर दंडनीय अपराध, जानिए IPC की धाराएं!
चेक बाउंस होने के मामले को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 138 (Section 138) के तहत एक गंभीर अपराध माना गया है। इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी चेक को जानबूझकर अपर्याप्त शेष राशि या किसी अन्य ऐसे कारण से बाउंस करवाता है जिससे उसका भुगतान न हो सके, तो उसे दंडित किया जा सकता है। इस अपराध के लिए 2 साल तक की जेल की सजा और चेक पर लिखी गई राशि के दोगुने तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। कई बार तो जेल और जुर्माना दोनों की सजा भी सुनाई जा सकती है, जो मामले की गंभीरता पर निर्भर करता है।
चेक बाउंस क्यों होता है? जानिए इसके आम कारण!
चेक बाउंस (Cheque Bounce Case) होने के पीछे कई मुख्य कारण हो सकते हैं, जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है:
- अपर्याप्त शेष राशि (Insufficient Balance): यह चेक बाउंस होने का सबसे आम कारण है। जब चेक जारी करने वाले के बैंक खाते में चेक पर लिखी गई राशि से कम पैसे होते हैं, तो बैंक चेक को बाउंस कर देता है।
- हस्ताक्षर का न मिलना (Signature Mismatch): यदि चेक पर किए गए हस्ताक्षर, बैंक खाते में दर्ज हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते हैं, तो बैंक उसे भुगतान के लिए अस्वीकार कर सकता है।
- ओवरराइटिंग या गलती (Overwriting or Error): चेक पर किसी भी तरह की ओवरराइटिंग या गलत जानकारी (जैसे तारीख या राशि में गलती) भी चेक बाउंस का कारण बन सकती है।
- चेक की वैधता समाप्त होना (Expired Cheque): चेक आमतौर पर जारी होने की तारीख से 3 महीने (3 Months Validity) के लिए वैध होता है। यदि तय समय सीमा के अंदर चेक बैंक में जमा नहीं किया जाता है, तो वह बाउंस हो सकता है।
- खाता बंद होना (Account Closed): यदि चेक जारी करने वाले का बैंक खाता बंद हो गया है, तो भी चेक बाउंस हो जाएगा।
- बैंक को निर्देश (Stop Payment Instruction): कुछ मामलों में, चेक जारी करने वाला व्यक्ति खुद बैंक को उस चेक का भुगतान रोकने का निर्देश दे सकता है।
- कंपनी के चेक पर मोहर न होना (No Company Seal): यदि कंपनी के खाते से जारी चेक पर कंपनी की अधिकृत मोहर (Seal) नहीं है, तो भी बैंक उसे बाउंस कर सकता है।
चेक बाउंस होने पर कब होता है मुकदमा? कानूनी प्रक्रिया समझें!
यह समझना महत्वपूर्ण है कि चेक बाउंस होते ही आप पर तुरंत मुकदमा नहीं चलता है। कानून आपको अपनी गलती सुधारने का एक मौका देता है। पूरी कानूनी प्रक्रिया इस प्रकार है:
- चेक का डिसऑनर होना: जब आपका चेक बैंक द्वारा बाउंस किया जाता है, तो बैंक आपको एक रिटर्न मेमो (Return Memo) देता है, जिसमें बाउंस होने का कारण लिखा होता है।
- 30 दिनों के भीतर कानूनी नोटिस (Legal Notice): जिस व्यक्ति को चेक दिया गया था (यानी लेनदार/भुगतान प्राप्तकर्ता), उसे चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर चेक जारी करने वाले (देनदार) को एक लिखित कानूनी नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में उसे यह सूचित किया जाता है कि उसका चेक बाउंस हो गया है और भुगतान की मांग की जाती है।
- 15 दिनों के भीतर भुगतान का मौका: इस नोटिस में देनदार को 15 दिनों के भीतर चेक की पूरी राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाता है।
- मुकदमा की शुरुआत: यदि देनदार नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करता है या संतोषजनक जवाब नहीं देता है, तभी लेनदार अगले 30 दिनों के भीतर मजिस्ट्रेट की अदालत में धारा 138 के तहत शिकायत (Complaint under Section 138) दर्ज कर सकता है।
चेक बाउंस पर सजा और जुर्माने का प्रावधान क्या है?
यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो उसे निम्नलिखित दंड मिल सकते हैं:
- सजा: 2 साल तक की कैद हो सकती है।
- जुर्माना: चेक पर लिखी गई राशि का दोगुना तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- दोनों सजाएं: अदालत मामले की गंभीरता को देखते हुए जेल और जुर्माने दोनों की सजा सुना सकती है।
बैंक भी वसूलता है चेक बाउंस चार्ज!
यह भी ध्यान रखें कि कानून के तहत, बैंक भी चेक बाउंस होने पर पेनल्टी (Penalty) लगाते हैं। यह पेनल्टी चेक जारी करने वाले पर भी लग सकती है और जिसके खाते में चेक जमा किया गया है, उस पर भी लग सकती है। हालांकि, सभी बैंकों के नियम और पेनल्टी की राशि अलग-अलग हो सकती है।
इसलिए, चेक जारी करते समय हमेशा अपने खाते में पर्याप्त शेष राशि सुनिश्चित करें और अन्य सभी नियमों का पालन करें ताकि आप इस गंभीर कानूनी समस्या से बच सकें।