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Income Tax Rule : सेविंग अकाउंट में कितना पैसा रखें ताकि इनकम टैक्स नोटिस न आए? 10 लाख का नियम और जरूरी बातें जानें
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Income Tax Rule : सेविंग अकाउंट में कितना पैसा रखें ताकि इनकम टैक्स नोटिस न आए? 10 लाख का नियम और जरूरी बातें जानें

Priyanshiby PriyanshiMay 20, 2025May 20, 2025

Income Tax Rule : बैंक खाता तो आजकल सबकी जरूरत है, खासकर बचत खाता (Saving Account)। हम इसमें अपनी कमाई जमा करते हैं, खर्चों के लिए पैसे रखते हैं और भविष्य के लिए बचत करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आप एक साथ कितने बचत खाते रख सकते हैं और उनमें कितना पैसा जमा कर सकते हैं ताकि इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) से कोई सवाल न उठे या नोटिस न आए?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन्हें लेकर लोगों के मन में अक्सर कन्फ्यूजन रहता है। कई लोग सोचते हैं कि ज्यादा बैंक खाते रखने से या खाते में ज्यादा पैसा पड़े रहने से इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है। आइए, इन सारे भ्रमों को दूर करते हैं और इनकम टैक्स के नियमों को आसान भाषा में समझते हैं।

कितने बचत खाते खुलवा सकते हैं?

सबसे पहला सवाल जो कई लोगों के मन में होता है: ‘मैं कितने सेविंग अकाउंट खोल सकता हूँ?’ इसका सीधा जवाब है… आप जितने चाहें उतने बैंक खाते खुलवा सकते हैं! भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने किसी व्यक्ति के बैंक खाते खोलने की संख्या पर कोई रोक नहीं लगाई है। मतलब, एक हो, दो हो या दस, संख्या को लेकर कोई चिंता नहीं। इनकम टैक्स के नियमों में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो आपको ज्यादा बचत खाते रखने से रोके या इसकी वजह से आपको नोटिस भेजे।

तो फिर इनकम टैक्स विभाग किस पर ध्यान देता है?

यहाँ असली बात आती है… इनकम टैक्स विभाग की नज़र आपके खातों की संख्या पर नहीं, बल्कि उन खातों में होने वाले वित्तीय लेन-देन (Financial Transactions) पर होती है। खासकर नकद लेन-देन (Cash Transactions) उनके रडार पर रहते हैं। आप अपने खाते में कितनी भी रकम रख सकते हैं, इस पर कोई ऊपरी लिमिट नहीं है, लेकिन आप उस खाते से कितना नकद जमा कर रहे हैं या निकाल रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है।

बचत खाते में कैश लेन-देन की लिमिट: 10 लाख का नियम!

अगर आप इनकम टैक्स के नोटिस से बचना चाहते हैं, तो आपको कैश लेन-देन (Cash Transactions) पर खास ध्यान देना होगा। सेविंग अकाउंट के लिए नियम यह है कि:

एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में आप अपने बचत खाते में कुल 10 लाख रुपये से ज़्यादा कैश जमा (Total Cash Deposits) या कुल 10 लाख रुपये से ज़्यादा कैश निकाल (Total Cash Withdrawals) नहीं सकते।

याद रखें, यह लिमिट सालभर में कुल कैश लेन-देन की है। ऐसा नहीं है कि आपको एक बार में ही 10 लाख जमा करने होंगे। अगर आप छोटे-छोटे अमाउंट में भी कैश जमा करते या निकालते रहें और साल के आखिर में (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) यह कुल जोड़ 10 लाख रुपये से ज़्यादा हो जाता है, तो आपके बैंक द्वारा इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को भेज दी जाती है।

अगर 10 लाख की लिमिट पार हो जाए तो क्या होता है?

जैसे ही आपके सेविंग अकाउंट में कैश लेन-देन (जमा या निकासी) की कुल राशि एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये की सीमा पार करती है, बैंक इसकी सूचना इनकम टैक्स विभाग को दे देता है। यह एक ‘वित्तीय लेनदेन विवरण’ (Statement of Financial Transaction – SFT) का हिस्सा होता है। इसके बाद, इनकम टैक्स विभाग आपके ITR (Income Tax Return) से इस जानकारी का मिलान करता है।

अगर आपके ITR में दिखाई गई आय और आपके बैंक खाते में हुए बड़े नकद लेन-देन मेल नहीं खाते या आपकी आय का स्रोत स्पष्ट नहीं है, तो आपको इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है। यह नोटिस आपसे उन लेन-देनों और पैसों के स्रोत के बारे में सवाल पूछ सकता है।

इनकम टैक्स विभाग को कैसे पता चलता है?

बैंक को यह जानकारी कैसे मिलती है?

  1. पैन कार्ड लिंकेज: अगर आपका पैन कार्ड (PAN Card) बैंक खाते से जुड़ा है (जो कि अब लगभग अनिवार्य है), तो बैंक के लिए आपके बड़े लेन-देन को ट्रैक करना आसान हो जाता है।

  2. रिपोर्टिंग: बैंक (शेड्यूल्ड बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक) और पोस्ट ऑफिस भी 10 लाख रुपये से ऊपर के नकद लेन-देन की रिपोर्टिंग इनकम टैक्स विभाग को करते हैं।

दूसरे खातों और लेन-देनों के नियम क्या हैं?

  • चालू खाता (Current Account): चालू खाते के लिए यह नकद लेन-देन की लिमिट 50 लाख रुपये प्रति वित्तीय वर्ष है।

  • अन्य नकद लेन-देन: ₹2 लाख से ज़्यादा का कोई भी एक नकद लेन-देन (जैसे प्रॉपर्टी खरीदना, गाड़ी खरीदना आदि) भी रिपोर्ट किया जाता है। ₹10 लाख से ज़्यादा नकद देकर बैंक ड्राफ्ट या पे ऑर्डर खरीदना या प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट्स (जैसे कुछ तरह के कार्ड) खरीदना भी रिपोर्ट किया जाता है।

इनकम टैक्स नोटिस से बचने के लिए क्या करें?

  • कैश लेन-देन से बचें: बड़ी रकम के लेन-देन के लिए हमेशा बैंक के डिजिटल माध्यमों (जैसे नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, NEFT, RTGS, UPI) या चेक का इस्तेमाल करें।

  • अपने लेन-देन का रिकॉर्ड रखें: अगर आपको कैश में बड़ी रकम मिलती या देनी पड़ती है, तो उसका पूरा हिसाब और यह पैसा कहाँ से आया, इसका प्रूफ जरूर रखें।

  • पैन कार्ड लिंक करें: सुनिश्चित करें कि आपका पैन कार्ड सभी बैंक खातों, निवेशों और बड़े लेन-देनों से जुड़ा हुआ है।

  • ITR सही भरें: अपनी सभी आय, बचत खाते से मिली ब्याज की आय और बड़े वित्तीय लेन-देनों की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में ईमानदारी से और सही-सही दें।

  • जरूरत न हो तो खाते बंद करें: जिन बचत खातों का आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं या जिनमें बहुत कम लेन-देन होता है, उन्हें बंद करवा देना चाहिए। इससे आप मिनिमम बैलेंस पेनल्टी या निष्क्रिय होने की समस्या से बचेंगे और आपके लिए अपने खातों का मैनेजमेंट आसान होगा।

संक्षेप में कहें तो, आप कितने भी बचत खाते खुलवा सकते हैं, इसकी कोई कानूनी रोक नहीं है। लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि आप अपने खातों में होने वाले नकद लेन-देन (खासकर 10 लाख रुपये की वार्षिक कुल लिमिट) का ध्यान रखें। लेन-देन में पारदर्शिता रखें, डिजिटल माध्यमों का ज्यादा इस्तेमाल करें और अपना इनकम टैक्स रिटर्न सही समय पर और सही जानकारी के साथ फाइल करें। ऐसा करके आप बेवजह के इनकम टैक्स नोटिस से बच सकते हैं।

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