RBI – ₹1 का सिक्का बनाने में सरकार/RBI कितना खर्च करती है? RTI जवाब में आया ‘पाई-पाई का हिसाब’

Published On: May 30, 2025
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RBI – क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी जेब में मौजूद ₹1 का सिक्का (₹1 Coin) या कोई अन्य भारतीय नोट या सिक्का (Indian Currency) बनाने में वास्तव में सरकार या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का कितना खर्च आता है? यह एक ऐसा सवाल है जिसकी जानकारी ज़्यादातर लोगों को नहीं होती। लेकिन, एक RTI (सूचना का अधिकार) आवेदन के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नोटों और सिक्कों को बनाने में आने वाली लागत (Cost of Making Currency) का ‘पाई-पाई का हिसाब’ दिया है। यह खुलासा काफी हैरान करने वाला है।

आपको बता दें कि भारत में 1 रुपये का नोट और सभी तरह के सिक्के (Indian Coins) ढालने का काम भारत सरकार (Government of India) के दायरे में आता है, जबकि 2 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के बैंक नोटों (Banknotes) की छपाई (Printing of Notes) का ज़िम्मा भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) का होता है।

₹1 का सिक्का बनाने में आता है ₹1.11 का खर्च!

एक RTI के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने साल 2018 में यह जानकारी दी थी कि एक रुपये का सिक्का (₹1 Coin) बनाने में भारत सरकार को 1.11 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। जबकि उस सिक्के का अंकित मूल्य (Face Value) केवल 1 रुपया ही है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि ₹1 के हर सिक्के पर सरकार को 11 पैसे का नुकसान (Loss) उठाना पड़ता है। यह आंकड़ा वाकई दिलचस्प है और दिखाता है कि सिक्के का वास्तविक मूल्य (Actual Cost) उसके अंकित मूल्य से ज़्यादा है।

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अन्य सिक्कों की लागत क्या है?

सिर्फ ₹1 का सिक्का ही नहीं, अन्य सिक्कों की लागत (Cost of Coins) भी सामने आई है। RTI के अनुसार, ₹2 के सिक्के (₹2 Coin) की लागत लगभग 1.28 रुपये, ₹5 के सिक्के (₹5 Coin) की लागत 3.69 रुपये और ₹10 के सिक्के (₹10 Coin) को बनाने में 5.54 रुपये का खर्च आता है। ये सभी सिक्के भारत सरकार की टकसालों (Government Mints) में ढाले जाते हैं, जिनमें मुंबई (Mumbai Mint) और हैदराबाद (Hyderabad Mint) की टकसालें प्रमुख हैं। ₹1 के सिक्के के कुछ और तथ्य भी जान लें – यह स्टेनलेस स्टील से बनता है, इसका वजन करीब 3.76 ग्राम होता है, व्यास 21.93 मिमी और मोटाई 1.45 मिमी होती है। (Indian currency facts)

नोटों की छपाई का खर्च

सिक्कों के साथ-साथ, बैंक नोटों की छपाई (Banknote Printing) पर भी काफी खर्च आता है। जैसा कि बताया गया है, 2 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के नोटों की छपाई का काम RBI करता है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि 2000 रुपये के नोटों की छपाई (₹2000 Note Printing) अब बंद कर दी गई है। RBI इन नोटों को छापने पर अलग-अलग दर से खर्च करता है, जिसकी लागत नोट के मूल्यवर्ग (Denomination) के आधार पर बदलती रहती है।

मुद्रा निर्माण के पीछे की रणनीति

यह सारी जानकारी दिखाती है कि मुद्रा (Currency) का निर्माण केवल उसके अंकित मूल्य पर आधारित नहीं होता, बल्कि इसके पीछे गहरी आर्थिक और रणनीतिक सोच (Economic and Strategic Decisions) होती है। सिक्के नोटों की तुलना में कहीं ज़्यादा टिकाऊ (Durable) होते हैं और दशकों तक चलन में रह सकते हैं, जबकि नोट घिसने या फटने पर जल्दी बदलने पड़ते हैं। भले ही 1 रुपये जैसे कुछ सिक्कों को बनाने में थोड़ा नुकसान होता हो, लेकिन वे हमारी पूरी मुद्रा प्रणाली (Currency System) को स्थिरता (Stability) और मज़बूती (Robustness) प्रदान करते हैं, जो अर्थव्यवस्था (Economy) के लिए बहुत ज़रूरी है।

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यह RTI जवाब हमें बताता है कि हमारे पैसे को तैयार करने में कितनी लागत और योजना शामिल होती है। अगली बार जब आप कोई सिक्का देखें, तो याद रखें कि उसे बनाने में उसके अंकित मूल्य से ज़्यादा मेहनत और पैसा लगा है!


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