Home Loan EMI : हर किसी का सपना होता है – अपना एक घर, सिर पर अपनी एक छत! ये सपना सिर्फ ईंट-पत्थर का नहीं, बल्कि सुकून और सुरक्षा का भी है। लेकिन आजकल आसमान छूती घरों की कीमतें और होम लोन की उलझनें इस सपने को पूरा करने की राह में बड़ी चुनौती बन जाती हैं।
कई बार लोग जोश में आकर या बिना सोचे-समझे घर तो खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में होम लोन की भारी EMI चुकाते-चुकाते परेशान हो जाते हैं। कभी लगता है जल्दी खरीद लिया, तो कभी देर करने का मलाल होता है। कहीं ऐसा न हो कि घर खरीदने की खुशी, बाद में पैसों की टेंशन में बदल जाए!
इसीलिए, अपना आशियाना बनाने के इस बड़े और भावनात्मक फैसले को लेने से पहले, पर्सनल फाइनेंस का एक सीधा-सादा लेकिन बेहद ज़रूरी नियम समझ लेना चाहिए – 50:30:20 का फॉर्मूला! यह फॉर्मूला आपकी जेब का हाल देखकर सही फैसला लेने में आपकी मदद करेगा।
ताकि एक सपने के लिए, बाकी सपनों की बलि न चढ़े!
घर खरीदने में लगता है मोटा पैसा, और ज़्यादातर लोग लेते हैं होम लोन का सहारा। ये लोन कोई एक-दो साल का नहीं, बल्कि 20-25 साल या उससे भी ज़्यादा का लंबा साथ होता है! और इसकी EMI (यानी महीने की किश्त) आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है।
अगर आपने बिना सोचे-समझे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा EMI में बांध दिया, तो हो सकता है कि घर का सपना पूरा करने के चक्कर में आपको अपने परिवार के कई दूसरे ज़रूरी सपनों (जैसे बच्चों की अच्छी पढ़ाई, घूमना-फिरना, रिटायरमेंट की प्लानिंग) की बलि चढ़ानी पड़ जाए। इसलिए ज़रूरी है कि पहले अपनी जेब टटोलें!
क्या कहता है ये 50:30:20 का नियम? समझिए आसान भाषा में:
यह नियम आपकी महीने की कमाई (Take-Home Salary) को बांटने का एक स्मार्ट तरीका है, ताकि आपके सारे खर्चे भी पूरे हों और भविष्य के लिए बचत भी हो:
-
50% ज़रूरतों (Needs) पर:
-
आपकी कमाई का आधा हिस्सा उन चीज़ों पर खर्च होना चाहिए जिनके बिना गुज़ारा मुश्किल है।
-
इसमें आपका घर का किराया (अगर दे रहे हैं), राशन-पानी, बिजली-टेलीफोन के बिल, बच्चों की स्कूल फीस, आने-जाने का खर्च और सबसे महत्वपूर्ण – आपके सभी लोन्स की EMI (खासकर होम लोन EMI) शामिल है।
-
-
30% इच्छाओं (Wants) पर:
-
यह हिस्सा उन चीज़ों के लिए है जो ज़रूरी तो नहीं हैं, पर ज़िंदगी को थोड़ा बेहतर और मज़ेदार बनाती हैं।
-
जैसे – बाहर खाना, घूमना-फिरना, शॉपिंग, मनोरंजन, गैजेट्स आदि।
-
-
20% बचत और निवेश (Savings & Investments) पर:
-
आपकी कमाई का कम से कम पांचवां हिस्सा भविष्य के लिए बचाना या निवेश करना चाहिए।
-
इसमें इमरजेंसी फंड बनाना, रिटायरमेंट के लिए निवेश करना, बच्चों की शादी या पढ़ाई के लिए बचत करना आदि शामिल है।
-
सबसे खास बात: आपकी कुल EMI (सिर्फ होम लोन नहीं, बल्कि कार लोन, पर्सनल लोन आदि मिलाकर) कोशिश करें कि आपकी महीने की कमाई के 30% से 40% से ज़्यादा न हो। यह आपके 50% वाले ‘ज़रूरतों’ के हिस्से में आसानी से फिट होनी चाहिए, ताकि बाकी ज़रूरी खर्चों पर दबाव न पड़े।
चलिए, एक उदाहरण से समझते हैं सारा गणित:
मान लीजिए आपकी महीने की कमाई (सारे टैक्स कटने के बाद हाथ में आने वाली सैलरी) ₹1 लाख है। 50:30:20 नियम के हिसाब से:
-
₹50,000 (50%) आपकी ज़रूरतों (जिसमें आपकी EMI भी शामिल होगी) के लिए।
-
₹30,000 (30%) आपकी इच्छाओं और लाइफस्टाइल खर्चों के लिए।
-
₹20,000 (20%) आपकी बचत और निवेश के लिए।
अब, अगर आप इस नियम को मानते हैं, तो आपकी होम लोन की EMI आदर्श रूप से ₹30,000 के आसपास या उससे कम होनी चाहिए (क्योंकि 50 हज़ार में बाकी ज़रूरतें भी पूरी करनी हैं)।
-
अगर आप ₹30,000 के आसपास EMI भर सकते हैं, तो (लगभग 8.65% ब्याज दर मानते हुए):
-
20 साल के लिए आप करीब ₹35 लाख का होम लोन लेने का सोच सकते हैं।
-
25 साल के लिए आप करीब ₹38 लाख का होम लोन लेने का सोच सकते हैं।
-
30 साल के लिए आप करीब ₹40 लाख का होम लोन लेने का सोच सकते हैं।
-
(नोट: ये आंकड़े ब्याज दर और बैंक की शर्तों के हिसाब से थोड़े बदल सकते हैं।)
सिर्फ EMI नहीं, इन खर्चों का भी रखें ध्यान!
घर खरीदने का मतलब सिर्फ लोन लेना और EMI देना नहीं है। कुछ और बड़े खर्चे भी होते हैं:
-
डाउन पेमेंट (Down Payment): बैंक आपको घर की पूरी कीमत का लोन नहीं देता। आमतौर पर 80-90% तक ही लोन मिलता है। बाकी 10-20% रकम आपको अपनी जेब से देनी पड़ती है, जिसे डाउन पेमेंट कहते हैं। (यानी ₹50 लाख के घर के लिए ₹5-10 लाख आपके पास पहले से होने चाहिए)। आप जितना ज़्यादा डाउन पेमेंट करेंगे, आपकी EMI उतनी ही कम होगी और लोन का बोझ हल्का होगा।
-
अन्य खर्चे (Other Charges): घर खरीदते समय स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, प्रोसेसिंग फीस, वकील की फीस जैसे कई और खर्चे भी होते हैं। इनका इंतज़ाम भी आपको अलग से करना होगा।
-
चेतावनी: भूलकर भी डाउन पेमेंट या इन अतिरिक्त खर्चों के लिए पर्सनल लोन न लें! वरना आप दो-दो EMI के बोझ तले दब जाएंगे और कर्ज़ के जाल में फंस सकते हैं।
इन बातों की बांध लें गांठ:
घर खरीदना ज़िंदगी का एक बड़ा और खूबसूरत पड़ाव है, लेकिन इसे समझदारी से प्लान करना ज़रूरी है।
-
होम लोन लेने से पहले अपनी कमाई, मौजूदा खर्चे और EMI चुकाने की क्षमता का ईमानदारी से आकलन करें।
-
सिर्फ सपनों में न बहें, ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखकर बजट बनाएं।
-
50:30:20 नियम को एक गाइड की तरह इस्तेमाल करें।
-
थोड़ा ज़्यादा डाउन पेमेंट करने की कोशिश करें।
-
अतिरिक्त खर्चों के लिए पहले से बचत करें।