Home Loan EMI : लोन लेते समय ये एक गलती पड़ सकती है भारी, 20 साल का कर्ज़ 30 साल में चुकाना पड़ेगा

Published On: May 9, 2025
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Home Loan EMI : अपना घर खरीदने का सपना तो हर कोई देखता है, और इस सपने को पूरा करने के लिए ज़्यादातर लोग होम लोन का सहारा लेते हैं। अपनी पूरी ज़िंदगी की कमाई और बचत भी इसमें लगा देते हैं। सब कुछ ठीक चलता रहता है, जब तक एक आम लेकिन बहुत बड़ी गलती सामने नहीं आती… ये एक गलती आपके 20 साल के होम लोन को 30 साल या उससे भी ज़्यादा लंबा कर सकती है!

कैसे 20 साल का होम लोन 30 साल तक खिंच जाता है?

दरअसल, ये सारा खेल ब्याज दरों (Interest Rates) का है। होम लोन की ब्याज दरें अक्सर ‘फ्लोटिंग’ होती हैं, यानि ये बाज़ार के उतार-चढ़ाव, खासकर रेपो रेट के हिसाब से बदलती रहती हैं।

जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो क्या होता है? अक्सर बैंक चालाकी से आपकी मासिक किस्त (EMI – Equated Monthly Installment) की रकम को नहीं बदलते, उसे लगभग उतना ही रखते हैं ताकि आप पर अचानक से ज़्यादा भार न आए। लेकिन इसके बदले, वे आपके लोन चुकाने की अवधि (Loan Tenure) को बढ़ा देते हैं!

शुरू में ज़्यादातर ग्राहक इस बात पर ध्यान नहीं देते। उन्हें लगता है, “चलो, EMI तो उतनी ही आ रही है।” लेकिन बाद में जब उन्हें पता चलता है कि उनका लोन तो सालों तक खिंच गया है और उन्हें मूलधन (Principal Amount) से ज़्यादा ब्याज (Interest) चुकाना पड़ेगा, तब उन्हें असली झटका लगता है।

उदाहरण से समझिए ये ‘अवधि का जाल’ (Tenure Trap):

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए आपने 8% सालाना ब्याज दर पर ₹30 लाख का होम लोन 20 सालों के लिए लिया। आपकी मासिक किस्त (EMI) लगभग ₹25,093 बनेगी।

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अब मान लीजिए, 5 साल बाद रेपो रेट बढ़ने की वजह से आपके लोन की ब्याज दर 8% से बढ़कर 11% हो गई। इन 5 सालों में आपने कुछ EMI भरी हैं, तो अब आपका बकाया मूलधन लगभग ₹26 लाख के आसपास होगा। ध्यान दें, शुरुआती सालों की EMI में ब्याज का हिस्सा ज़्यादा होता है, मूलधन का कम।

5 साल बाद आपको लगेगा कि बचे हुए ₹26 लाख तो अगले 15 सालों में चुक जाएंगे (क्योंकि कुल अवधि 20 साल थी)। लेकिन ऐसा नहीं होता! बैंक नई ब्याज दर 11% को आपकी पुरानी EMI (लगभग ₹25,093) के साथ एडजस्ट करने के बजाय, लोन की अवधि को बढ़ा देते हैं।

नतीजा ये होता है कि ₹25,093 की उसी EMI पर आपका बचा हुआ 15 साल का लोन बढ़कर 28 साल तक जा सकता है! सोचिए, जो लोन 20 साल में खत्म होना था, वो कुल मिलाकर 5 साल + 28 साल = 33 साल तक चल सकता है!

वहीं, अगर आप चाहते कि आपका लोन बाकी बचे 15 सालों में ही खत्म हो जाए, तो 11% की बढ़ी हुई ब्याज दर पर आपकी EMI बढ़कर करीब ₹29,500 हो जाएगी।

बैंक ऐसा क्यों करते हैं? एक तो ताकि ग्राहकों पर तुरंत EMI का बोझ न पड़े, दूसरा – आप जितने ज़्यादा समय तक EMI देते रहेंगे, बैंक की ब्याज से कमाई उतनी ही ज़्यादा होगी।

इस ‘अवधि जाल’ से खुद को कैसे बचाएं?

अगर आप नहीं चाहते कि आपका होम लोन बेवजह 20 साल से बढ़कर 25 या 30 साल का हो जाए, तो इसका सीधा सा उपाय ये है:

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जब भी आपके होम लोन की ब्याज दरें बढ़ें, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें। उनसे साफ तौर पर कहें कि वे आपकी लोन की अवधि न बढ़ाएं, बल्कि नई बढ़ी हुई ब्याज दर के हिसाब से आपकी EMI की रकम बढ़ा दें।

अधिकतर ग्राहक यहीं गलती करते हैं और बैंक से अपना लोन ‘रीस्ट्रक्चर’ (Loan Restructuring) या पुनर्गठन नहीं करवाते। वे सोचते हैं कि EMI तो उतनी ही आ रही है, सब ठीक है। लेकिन इस ‘आराम’ के चक्कर में उन्हें सालों तक ज़्यादा ब्याज भरना पड़ता है और लोन की अवधि बेतहाशा बढ़ जाती है। याद रखें, थोड़ी सी जागरूकता और सही समय पर उठाया गया कदम आपके होम लोन की अवधि को बेवजह बढ़ने से रोक सकता है और आपको लाखों रुपयों का अतिरिक्त ब्याज चुकाने से बचा सकता है!

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