Gold Rate : सोना! एक ऐसी चीज़ जिसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ती। लेकिन इस साल सोने ने आम आदमी से लेकर निवेशकों तक, सबको चौंका दिया है। एक तरफ कीमतें रॉकेट की तरह बढ़कर नए रिकॉर्ड बना रही थीं, जिससे निवेशकों की तो चांदी हो गई, लेकिन शादी-ब्याह जैसे शुभ मौकों पर सोना खरीदने वालों की जेब पर मानो डाका पड़ गया। लेकिन कहानी में एक और बड़ा मोड़ है! इतनी महंगाई के बावजूद, सोने के गहनों की खरीदारी ने 16 साल का सबसे बुरा दौर देखा है। आखिर सोने के बाजार में ये हो क्या रहा है? आइए समझते हैं पूरा माजरा।
क्यों मचा था सोने की कीमतों में हाहाकार?
इस साल की शुरुआत से ही सोने के दाम लगातार चढ़ते गए। इसके पीछे कई वैश्विक कारण थे:
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अंतर्राष्ट्रीय तनाव: दुनिया भर में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल और युद्ध जैसे हालातों ने निवेशकों को डरा दिया।
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सुरक्षित निवेश की तलाश: जब बाजार में अनिश्चितता होती है, तो निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोने जैसी सुरक्षित चीज़ों में लगाते हैं, जिससे सोने की मांग अचानक बढ़ जाती है।
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केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी अपने भंडार के लिए सोना खरीद रहे थे।
इन सब वजहों से सोने की मांग बढ़ी और कीमतें आसमान छूने लगीं। अप्रैल में तो सोना घरेलू बाजार में ₹74,000 प्रति 10 ग्राम (MCX पर लगभग ₹73,958) के ऐतिहासिक स्तर को भी पार कर गया था।
फिर आया चौंकाने वाला आंकड़ा: 16 साल की सबसे बड़ी गिरावट!
कीमतें बढ़ीं, ये तो सबने देखा। लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की ताजा रिपोर्ट ने एक हैरान करने वाली तस्वीर पेश की:
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गहनों की मांग धड़ाम: 2024 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में, भारत में सोने के गहनों की मांग पिछले साल की तुलना में 25% घट गई! यह 2008 के बाद यानी पिछले 16 सालों में किसी भी पहली तिमाही की सबसे कम मांग है। साफ है, बेतहाशा बढ़ी कीमतों ने आम खरीदारों को सोना खरीदने से रोक दिया।
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निवेश मांग में उछाल: इसके ठीक उलट, सोने में निवेश (जैसे सिक्के, बार, गोल्ड ETF) की मांग 7% बढ़ गई और 46.7 टन तक पहुंच गई। यह दिखाता है कि लोग सोने को निवेश के एक अच्छे विकल्प के तौर पर देख रहे थे।
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कुल मांग में निवेश का दबदबा: पहली तिमाही में सोने की कुल मांग में निवेश की हिस्सेदारी बढ़कर 39.5% हो गई, जो पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है।
यानी, लोग सोना खरीद तो रहे थे, पर पहनने के लिए नहीं, रखने (निवेश) के लिए!
आम खरीदार ‘देखो और इंतजार करो’ मोड में
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के इंडिया सीईओ सचिन जैन के मुताबिक, ज्यादातर गहनों के खरीदार फिलहाल ‘प्राइस वॉच मोड’ में हैं। वो कीमतों के स्थिर होने या थोड़ा और कम होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि खरीदारी कर सकें। हाल के दिनों में सोने की कीमतों में कुछ नरमी आई भी है, जिसने थोड़ी उम्मीद जगाई है।
आगे क्या होगा? सोने का भविष्य किस ओर?
अब सबसे बड़ा सवाल – क्या सोना सस्ता होगा या और महंगा? इसे लेकर एक्सपर्ट्स की राय बंटी हुई है:
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कुछ का मानना है: अगर वैश्विक हालात सुधरते हैं और निवेशक वापस शेयर बाजार की ओर जाते हैं, तो सोने की मांग घटेगी और कीमतें नीचे आ सकती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कीमतें गिरकर ₹56,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर तक भी जा सकती हैं।
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दूसरों का अनुमान है: वैश्विक अनिश्चितता बनी रह सकती है और सेंट्रल बैंक खरीदारी जारी रख सकते हैं, जिससे सोने की कीमतें साल के अंत तक ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम या उससे भी ऊपर जा सकती हैं (विदेशी अनुमानों के आधार पर)।
सोने का बाजार फिलहाल एक दिलचस्प मोड़ पर है। रिकॉर्ड कीमतों ने जहाँ निवेश को बढ़ावा दिया, वहीं आम आदमी की गहनों की खरीदारी पर ब्रेक लगा दिया। भविष्य अनिश्चित है और कीमतें वैश्विक हालातों पर निर्भर करेंगी। अगर आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो बाजार पर नजर बनाए रखें और कीमतों के स्थिर होने का इंतजार करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।