Gold Rate Crash: सोने के बाजार (gold market) में पिछले कुछ समय से भारी उतार-चढ़ाव (volatility) का दौर देखने को मिल रहा है, जिसने निवेशकों और आम खरीदारों, दोनों को ही असमंजस में डाल दिया है। कुछ समय पहले तक जहां सोने की कीमतें (gold prices) आसमान छू रही थीं और नित नए रिकॉर्ड बना रही थीं, वहीं अब उनमें एक बड़ी गिरावट (significant fall) दर्ज की गई है। सोमवार को जो सोना अपने रिकॉर्ड हाई (record high) स्तर पर कारोबार कर रहा था, वह अचानक से धड़ाम से नीचे आ गया, यहां तक कि अपने कुछ पिछले रिकॉर्ड स्तरों से भी नीचे चला गया। इससे पहले, सोने के दामों (gold rates) में निरंतर और तेज बढ़ोतरी का रुख बना हुआ था, जिसने कई निवेशकों को मालामाल किया था, लेकिन आम उपभोक्ताओं की पहुंच से इसे दूर कर दिया था।
क्यों आई सोने की कीमतों में यह अचानक गिरावट? (Reasons for the Fall in Gold Prices)
विशेषज्ञों के अनुसार, सोने के दामों (gold price today) में इस तेज गिरावट के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारक जिम्मेदार हैं:
- भू-राजनीतिक तनाव का कम होना (Easing Geopolitical Tensions): हाल के दिनों में इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव (Israel-Iran conflict) के कारण सोने की कीमतों को एक सुरक्षित निवेश (safe-haven buying) के रूप में जबरदस्त समर्थन मिला था। जब भी वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता या युद्ध जैसे हालात बनते हैं, निवेशक इक्विटी जैसे जोखिम भरे बाजारों से पैसा निकालकर सोने जैसी सुरक्षित संपत्तियों में लगाते हैं, जिससे सोने की मांग और कीमतें बढ़ जाती हैं। परंतु, विश्लेषकों का मानना है कि यह भू-राजनीतिक तनाव लंबे समय तक बाजारों को उस तरह से प्रभावित नहीं कर सका जैसा कि प्रारंभिक आशंका थी। बाजार को यह अंदेशा था कि स्थिति और बिगड़ सकती है और शेयर बाजार अचानक गिर सकते हैं, जिसके चलते निवेशकों ने एहतियात के तौर पर सोने की मांग (demand for gold) को काफी बढ़ा दिया था।
- बाजारों का सामान्य होना और मुनाफावसूली (Market Normalization and Profit Booking): जैसे-जैसे भू-राजनीतिक स्थिति थोड़ी शांत हुई और बाजार अधिक सामान्य रूप से व्यवहार करने लगे, वैसे-वैसे निवेशक फिर से शेयर बाजारों और अन्य परिसंपत्ति वर्गों (asset classes) की ओर लौटने लगे हैं। इसके अतिरिक्त, जिन निवेशकों ने निचले स्तरों पर सोना खरीदा था, वे अब ऊंची कीमतों पर मुनाफावसूली (profit booking) कर रहे हैं, जिससे बाजार में सोने की आपूर्ति बढ़ी है और कीमतों पर दबाव आया है। इस प्रकार, सोने के दामों पर जो अचानक आया कृत्रिम दबाव (artificial pressure) था, वह कम हो गया, जिसके परिणामस्वरूप कीमतों में यह तेज गिरावट देखी गई।
सोने के दामों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक (Key Factors Affecting Gold Rates):
सोना सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि एक बहुमूल्य वैश्विक संपत्ति (precious global commodity) है। इसकी कीमतें कई जटिल कारकों से प्रभावित होती हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक हलचल (International Politics and Economic Events): वैश्विक संघर्ष, चुनाव, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की नीतियां और केंद्रीय बैंकों के फैसले (जैसे ब्याज दरों में बदलाव) सोने की कीमतों पर सीधा असर डालते हैं।
- शेयर बाजारों की चाल (Stock Market Movements): आमतौर पर सोने और शेयर बाजार में विपरीत संबंध देखा जाता है। जब शेयर बाजार गिरते हैं, तो सोना चढ़ता है और इसके विपरीत।
- अमेरिकी डॉलर का मूल्य (Value of the US Dollar): सोने का कारोबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर में होता है। डॉलर के मजबूत होने पर सोना अन्य मुद्राओं में महंगा हो जाता है, जिससे मांग घट सकती है और कीमतें गिर सकती हैं।
- मुद्रास्फीति (Inflation): उच्च मुद्रास्फीति के दौर में लोग अपनी क्रय शक्ति को बचाने के लिए सोने में निवेश करते हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ती है।
- ब्याज दरें (Interest Rates): जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो सोने जैसी गैर-ब्याज वाली संपत्ति को रखने की अवसर लागत बढ़ जाती है, जिससे इसकी कीमतें गिर सकती हैं।
- टैक्स और आयात शुल्क (Taxes and Import Duties): विभिन्न देशों में सोने पर लगाए जाने वाले कर और आयात शुल्क भी स्थानीय कीमतों को प्रभावित करते हैं।
- त्योहारी और शादियों का सीजन (Festive and Wedding Seasons): भारत जैसे देशों में सांस्कृतिक रूप से सोने का बहुत महत्व है। त्योहारी सीजन (जैसे दिवाली, अक्षय तृतीया) और शादियों के सीजन में भौतिक सोने की मांग (physical gold demand) बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में तेजी आ सकती है।
इस साल सोने ने दिया है शानदार 35% का रिटर्न (Gold Delivered Excellent 35% Returns This Year):
तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद, अगर हम इस साल समग्र रूप से देखें तो सोने ने निवेशकों को तगड़ा रिटर्न (gold gave strong returns) दिया है। रिटर्न देने के मामले में इसने कई अन्य पारंपरिक निवेश विकल्पों को पीछे छोड़ दिया है। उदाहरण के तौर पर, यदि साल की शुरुआत में सोने की कीमत (Gold Price India) लगभग ₹76,000 प्रति दस ग्राम के आसपास थी, तो यह साल के मध्य तक ही ₹1,00,000 प्रति दस ग्राम के आंकड़े को पार कर चुकी थी। इस प्रकार, सोने ने निवेशकों को कुछ ही महीनों में लगभग 35% का शानदार रिटर्न (approx. 35% return on gold) दिया है। इस अभूतपूर्व रिटर्न ने सोने में निवेश करने वालों की वाकई में मौज कर दी है।
निवेशकों ने सोने में क्यों किया भारी निवेश? (Why Did Investors Invest Heavily in Gold?)
सोने में हालिया निवेश वृद्धि का एक सबसे बड़ा कारण वैश्विक टैरिफ वॉर (global tariff wars) और व्यापारिक तनाव रहा है। विशेष रूप से, अमेरिका (USA) की ओर से अन्य देशों पर लगाए गए पारस्परिक कर (reciprocal taxes) या आयात शुल्क के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में समय-समय पर गिरावट और अस्थिरता का माहौल देखने को मिला। ऐसे में, निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित करने और सुरक्षित निवेश (safe investment) के लिए सोने की ओर रुख किया। आंकड़ों पर गौर करें तो सोने ने पिछले 11 वर्षों में से आठ बार सकारात्मक रिटर्न (positive returns) दिया है, और जब गिरावट आई भी है, तो वह अन्य परिसंपत्तियों की तुलना में आमतौर पर ज्यादा बड़ी या विनाशकारी नहीं रही है, जो इसे एक विश्वसनीय संपत्ति बनाता है।
आभूषणों की खरीदारी में 25% की भारी गिरावट (Jewellery Purchases Fell by 25%):
एक दिलचस्प विरोधाभास यह देखने को मिला है कि जहां एक ओर सोने के दाम (Current Gold Rate) बढ़ने की वजह से निवेशकों ने सोने में अपनी रुचि दिखाई है और गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) तथा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) जैसे वित्तीय उत्पादों में निवेश बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर आम ग्राहक (common consumers) ऊँची कीमतों के कारण भौतिक सोने, खासकर आभूषणों की खरीदारी से दूर हो गए हैं। रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 16 साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी साल की पहली तिमाही में आभूषणों की खरीदारी में 25% तक की भारी गिरावट (25% fall in jewellery demand) दर्ज की गई है। इसके विपरीत, पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों को देखें तो कुल सोने की मांग में निवेशकों का प्रतिशत (investment demand percentage) 7 अंक तक बढ़ गया है, जो सोने को एक निवेश संपत्ति के रूप में बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
एक ही दिन में सोने में भारी गिरावट का उदाहरण:
इस अस्थिरता का हालिया उदाहरण देखें तो, 16 जून को एमसीएक्स (MCX – Multi Commodity Exchange) पर सोने के दाम ₹1,01,078 रुपये प्रति दस ग्राम के उच्च स्तर पर थे। परंतु, अगले ही 24 घंटों में सोने के दामों (Live Gold Rate) में ₹2200 प्रति दस ग्राम से भी ज्यादा की गिरावट आ गई। 17 जून को सोना गिरकर ₹98,810 रुपये प्रति दस ग्राम तक आ गया।
यहां तक कि यह लेख लिखे जाने के समय भी (जैसा कि मूल पाठ में संदर्भित है), सोने के दाम पिछले दिन के मुकाबले कम ही चल रहे हैं। 22 अप्रैल के पिछले रिकॉर्ड हाई ₹99,358 से भी सोने के दाम नीचे आ गए थे। एक विशेष समय (जैसे 11:56 AM पर) सोने के दाम पिछले दिन के मुकाबले ₹108.00 (या 0.11%) कम होकर ₹99,070 पर ट्रेंड कर रहे थे।
सोने की कीमतों में मौजूदा गिरावट (correction in gold prices) निवेशकों के लिए एक नया अवसर भी हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो पिछली तेजी से चूक गए थे। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सोने का बाजार अल्पकालिक तौर पर अस्थिर रह सकता है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए, सोना अभी भी पोर्टफोलियो विविधीकरण (portfolio diversification) और मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव का एक अच्छा साधन माना जाता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपनी जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना और यदि आवश्यक हो तो किसी वित्तीय सलाहकार (financial advisor) से परामर्श करना बुद्धिमानी होगी। सोने का भविष्य (future of gold) कई वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगा, और इस पर कड़ी नजर बनाए रखना महत्वपूर्ण है।