Gold Price India: भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में सोने के दामों (Gold Price India) में जारी हालिया उठा-पटक के बाद, निवेशकों के मन में यह सवाल गहरा रहा है कि इस कीमती धातु का भविष्य क्या है? बीते दिनों रिकॉर्ड-तोड़ तेज़ी और फिर उसमें मामूली गिरावट ने खरीदारों और विक्रेताओं, दोनों को असमंजस में डाल दिया है। जिस प्रकार से 22 अप्रैल को सोना (Gold Rate) अपने उच्च स्तर पर जाकर कुछ नरमी दिखाया था, और फिर 16 जून को एक बार फिर नए रिकॉर्ड पर पहुँचने के बाद उसमें कटौती दर्ज की गई, ये बताता है कि बाजार में अस्थिरता है। लेकिन अब, बाजार विशेषज्ञों से एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो सोने की कीमतों (Gold Prices) में एक और ऐतिहासिक उछाल (Historic Gold Rally) की संभावना को प्रबल करती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में सोने के भाव (Sone Ke Bhav) मौजूदा कीमतों से काफी अधिक बढ़ सकते हैं, और यह ₹1.20 लाख प्रति 10 ग्राम (Gold Price ₹1.20 Lakh) के चौंकाने वाले आंकड़े को छू सकता है। यह खबर निश्चित रूप से उन आम लोगों के लिए चिंता का विषय है जो अपनी जरूरतों के लिए सोने की खरीदारी करते हैं, और उनके मन में यह सवाल उठता है कि आख़िर सोने में इतनी तेज़ी क्यों आ रही है। आइए, इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि किन प्रमुख वजहों से सोने में यह बड़ी तेज़ी (Massive Gold Price Surge) आ सकती है और यह आपके निवेश को कैसे प्रभावित करेगा।
2026 तक सोने के भाव में कितना इजाफा संभव? विशेषज्ञों का आकलन (Gold Price Forecast Till 2026)
बाज़ार के प्रमुख विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की कीमतों (Sone Ki Kimatein) में आने वाले समय में एक बड़े उछाल की प्रबल संभावना है। जानकारों के अनुसार, अगले साल यानी 2026 की पहली छमाही (First Half of 2026 Gold Forecast) तक गोल्ड के भाव में लगभग 18 प्रतिशत (18 Percent Gold Price Increase) तक का जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है।
देशभर में आज, 20 जून को 24 कैरेट सोने का भाव (24 Carat Gold Price Today) ₹1,01,210 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा है। इस मौजूदा दर को आधार मानें और विशेषज्ञ अनुमानों को देखें, तो 2026 की पहली छमाही तक देशभर में सोने का भाव आसानी से ₹1.20 लाख प्रति 10 ग्राम (Gold at ₹1.20 Lakh per 10 Grams) के स्तर पर पहुँचने की संभावना है। यह उन निवेशकों के लिए एक बहुत बड़ी खबर है जो सोने में निवेश (Invest in Gold) की योजना बना रहे हैं।
जेपी मॉर्गन के एक्सपर्ट का बड़ा अनुमान (JP Morgan Gold Price Prediction):
जेपी मॉर्गन (J.P. Morgan) के ग्लोबल मैक्रो रिसर्च हेड (Global Macro Research Head) का कहना है कि सोने की कीमतों (Sone Ke Bhav) में आने वाले समय में एक ज़ोरदार उछाल आ सकता है। उनके विश्लेषण के मुताबिक, सोने के बढ़ते भावों के चलते यह 2026 की पहली छमाही में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में $4,000 प्रति औंस (Gold Price $4000 per Ounce) के स्तर तक पहुँचने के आसार हैं।
वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव (Gold Price in International Market) $3,365 प्रति औंस पर है। इस आंकड़े को देखते हुए, यदि $4,000 प्रति औंस का लक्ष्य हासिल होता है, तो अंतरराष्ट्रीय सोने के भाव में 18.87 प्रतिशत तक का उछाल (18.87% Gold Price Jump) आने की संभावना है। यह दिखाता है कि कैसे वैश्विक कारक भारतीय बाजार को भी प्रभावित करेंगे।
सोने के भाव क्यों बढ़ रहे हैं? प्रमुख वजहें (Why are Gold Prices Rising? Main Reasons):
विशेषज्ञ बताते हैं कि समय के साथ-साथ गोल्ड (Gold Rate Updates) में यह ‘रैली’ तेज़ी होती जा रही है, और इसके पीछे कुछ मजबूत मैक्रो-इकोनॉमिक कारण हैं:
- सेंट्रल बैंक की खरीद (Central Bank Gold Purchase): इस समय दुनिया भर के सेंट्रल बैंक (Central Banks Buying Gold) अब अपनी करेंसी स्टेबिलिटी (Currency Stability) और वैश्विक वित्तीय दबाव (Global Financial Pressure) के चलते सोने में निवेश (Gold Investment by Central Banks) को प्रमुखता दे रहे हैं।
- वित्तीय अनिश्चितताएं (Financial Uncertainties): सेंट्रल बैंकों को अब यह चिंता सताने लगी है कि विकसित देशों की करेंसी (Developed Countries Currency Weakness) धीरे-धीरे कमजोर होने की संभावना है, खासकर मौजूदा वित्तीय तनाव और अनियमितताओं (Financial Stress and Irregularities) के चलते करेंसी में और अधिक कमजोरी आ सकती है। इस कारण, सोने में निवेश (Gold Investment Increase) बढ़ सकता है क्योंकि इसे एक सुरक्षित और स्थिर परिसंपत्ति (Safe and Stable Asset) के रूप में देखा जाता है।
- होल्डिंग में बदलाव (Changes in Gold Holdings): विशेषज्ञों का कहना है कि विकसित देशों के सेंट्रल बैंकों में गोल्ड का हिस्सा कुल रिजर्व (Total Gold Reserve by Central Banks) का लगभग 20 प्रतिशत रहा है। हालांकि, उभरते बाजारों (Emerging Markets Gold Holdings) के सेंट्रल बैंकों में सोने का हिस्सा अब 9 प्रतिशत हो गया है, जो कि 10 साल पहले सिर्फ 4 प्रतिशत था। यह सोने की मांग (Gold Demand) में एक स्ट्रक्चरल बदलाव (Structural Shift in Gold Demand) को दर्शाता है।
सेंट्रल बैंक क्यों परचेज कर रहे हैं गोल्ड? एक बड़ा कारण! (Why Central Banks are Buying Gold?):
जेपी मॉर्गन के ग्लोबल मैक्रो रिसर्च हेड ने यह स्पष्ट किया है कि डेवलप (Developed Markets) और इमर्जिंग मार्केट (Emerging Markets) के कुल रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी (Share of Gold in Reserves) को बढ़ाना कोई शॉर्ट-टर्म मूव (Short-term Move) नहीं है, बल्कि यह एक तरह से फॉरेक्स रिजर्व (Forex Reserves) की एक स्ट्रक्चरल रीबैलेंसिंग (Structural Rebalancing) है। इसमें सोने (Sone Ke Taja Bhav) को ज़्यादा स्थिर और लॉन्ग टर्म एसेट (Long Term Asset) के तौर पर देखा जा रहा है। वे अपनी मुद्रा की अस्थिरता से बचने और भविष्य के वित्तीय झटकों को झेलने के लिए सोने के भंडार (Gold Reserves) को बढ़ा रहे हैं।
उनके मुताबिक, अब गोल्ड खरीदने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही, विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों के सेंट्रल बैंक सोने की होल्डिंग (Increasing Gold Holdings) को इंक्रीज कर रहे हैं। यह एक दीर्घकालिक रुझान (Long-term Trend in Gold) है जो सोने की कीमतों (Gold Price Outlook) को मजबूत करेगा।
यदि आप सोने की कीमतों के ट्रैक (Gold Price Track) को देखें तो, सोना $1,000 से $2,000 तक पहुँचने में 12 साल का समय ले सकता है। हालांकि, $2,000 से $3,000 तक पहुँचने में सिर्फ 4 साल का समय लगा। इस हिसाब से देखें तो सोना (Sone Ke Rate) $3,000 से $4,000 तक जाने में एक साल से भी कम समय ले सकता है, जो इसके आने वाले तेज़ उछाल (Rapid Gold Price Jump) का संकेत देता है। निवेशकों को इस ट्रेंड को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति (Gold Investment Strategy) बनानी चाहिए।