Gold Investment India: आप भी सोने में लगाते हैं दाँव? तो जान लें RBI की ‘गोल्ड स्ट्रेटेजी

Published On: June 21, 2025
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Gold Investment India: आप भी सोने में लगाते हैं दाँव? तो जान लें RBI की 'गोल्ड स्ट्रेटेजी

Gold Investment India: अगर आप सोचते हैं कि सोना (Gold Investment India) सिर्फ आपकी तिजोरी में होता है, तो जान लीजिए कि देश का केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) भी बहुत बड़ी मात्रा में यह बहुमूल्य धातु अपने पास जमा करता है। यह भंडार देश की वित्तीय स्थिरता (Financial Stability of India) और अंतरराष्ट्रीय साख के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि इस साल RBI के पास मौजूद सोने का मूल्य (Value of RBI’s Gold Holdings) बढ़कर ₹4.32 लाख करोड़ (₹4.32 Lakh Crore Gold) से भी अधिक हो गया है। इस बारे में आरबीआई (RBI) ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट (RBI Annual Report) में विस्तृत जानकारी दी है, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (India’s Foreign Exchange Reserve) की बढ़ती शक्ति को दर्शाती है।

RBI के पास सोने का मूल्य ₹4.32 लाख करोड़ से अधिक (RBI’s Gold Value Exceeds ₹4.32 Lakh Crore):

आरबीआई (RBI Annual Report) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट (New Annual Report RBI) के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक, भारतीय रिज़र्व बैंक के पास मौजूद सोने (Gold Holdings of RBI) का कुल मूल्य आश्चर्यजनक रूप से ₹4,32,000 करोड़ से भी अधिक (More Than ₹4.32 Lakh Crore) हो गया है। यह आंकड़ा भारत के बढ़ते वित्तीय शक्ति और देश की सोने के प्रति निरंतर वरीयता को दर्शाता है। पिछले एक साल (One Year Gold Value Increase) में, इस मूल्य में 57.12 प्रतिशत (57.12% Increase in RBI Gold Value) की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। तुलना के लिए, मार्च 2024 (March 2024 RBI Gold Holdings) में यह आंकड़ा लगभग 2.74 लाख करोड़ रुपये था, जिससे पता चलता है कि यह वृद्धि कितनी महत्वपूर्ण रही है। यह बढ़ोतरी न केवल सोने की बढ़ती वैश्विक कीमतों (Global Gold Rates) बल्कि रुपये के मुकाबले डॉलर के मज़बूत होने (Dollar vs Rupee Impact) के कारण भी हुई है।

RBI के पास कितना सोना है? (How Much Gold Does RBI Hold?):

मूल्य के अलावा, सोने की भौतिक मात्रा भी महत्वपूर्ण है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI’s Gold Holdings in Tonnes) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक, आरबीआई के पास कुल 879.58 टन सोना (879.58 Tonnes of Gold with RBI) है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, क्योंकि 31 मार्च 2024 (March 2024 Gold Holdings) तक यह 822.10 टन था, यानी एक साल में 57.48 टन (57.48 Tonnes More Gold) अधिक सोने का भंडार बढ़ा है।

इस कुल सोने में से, RBI अपने आंतरिक उपयोग और प्रचलन के लिए विभिन्न विभागों में रखता है:

  • निर्गम विभाग (Issue Department RBI): कुल 311.38 टन सोना RBI के निर्गम विभाग के पास है (जो मार्च 2024 में 308.03 टन था)। यह हिस्सा मुख्य रूप से मुद्रा जारी करने (Currency Issuance) के समर्थन में होता है।
  • बैंकिंग विभाग (Banking Department RBI): शेष 568.20 टन सोना बैंकिंग विभाग की संपत्ति (Banking Department Assets) के तौर पर दर्ज किया गया है (जो पिछले साल 514.07 टन था)। यह हिस्सा बैंक की स्थिरता (Bank Stability) और अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में काम आता है।

यह विभाजन RBI की रणनीतिक संपत्ति प्रबंधन (Strategic Asset Management) और विभिन्न वित्तीय उद्देश्यों के लिए सोने का उपयोग करने के तरीके को दर्शाता है।

सोने की कीमत और डॉलर-रुपया का गहरा असर (Impact of Gold Price and Dollar-Rupee Exchange Rate):

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट (RBI Annual Report on Gold) में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सोने की कीमतों में (Global Gold Price Increase) विश्व स्तर पर दर्ज की गई तेज़ी और डॉलर (Dollar Value against Rupee) के मुकाबले रुपये की गिरावट (Rupee Depreciation Impact on Gold Value) ने भारत के सोने के भंडार के मूल्य को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगा होता है और भारतीय रुपया कमजोर होता है, तो भारत में मौजूद सोने के मूल्य में भारतीय रुपये के संदर्भ में वृद्धि होती है।

इसके साथ ही, रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Gold Strategy) ने अपनी गोल्ड होल्डिंग (Gold Holding) में भी सक्रिय रूप से इज़ाफा किया है, यानी उसने अधिक सोने की खरीदारी की है। इन तीनों कारकों – वैश्विक सोने की दरों में उछाल, रुपये की कमजोरी और आरबीआई द्वारा सोने की सक्रिय खरीदारी (RBI Active Gold Buying) – के संयोजन ने आरबीआई के कुल सोने के भंडार के मूल्य (Total Value of Gold Reserve) को बहुत ज़्यादा बढ़ा दिया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की लचीलापन (Indian Economy Resilience) और अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थितियों के प्रति उसकी प्रतिक्रिया को दर्शाता है।

RBI के पास इतना सोना होना क्यों मायने रखता है? (Why is So Much Gold Important for RBI?):

भारतीय रिजर्व बैंक के पास सोने का भंडार (Importance of Gold Reserve for RBI) होना किसी भी देश के लिए कई मायनों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ एक मूल्यवान धातु का संग्रह नहीं है, बल्कि यह देश की वित्तीय संप्रभुता (Financial Sovereignty) और आर्थिक शक्ति (Economic Power) का प्रतीक है:

  1. विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा (Key Component of Forex Reserve): आरबीआई के पास मौजूद सोना देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve – Forex Reserve) का एक बहुत अहम हिस्सा होता है। विदेशी मुद्रा भंडार एक देश की अर्थव्यवस्था की स्थिरता (Economic Stability) और किसी भी अंतर्राष्ट्रीय झटके को झेलने की क्षमता (Ability to Absorb International Shocks) का संकेतक होता है।
  2. अर्थव्यवस्था को मजबूती (Strengthens Economy): बड़ी मात्रा में सोना होने से देश की अर्थव्यवस्था को आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर मजबूती मिलती है। यह निवेशकों (Investor Confidence) के लिए आत्मविश्वास बढ़ाता है और देश की भुगतान क्षमता पर भरोसा (Trust in Payment Capacity) बनाए रखता है।
  3. अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन में भरोसा (Trust in International Transactions): अंतरराष्ट्रीय लेन-देन और व्यापार में, एक देश का सोने का भंडार उसकी वित्तीय विश्वसनीयता (Financial Credibility) का प्रतीक होता है। संकट के समय में, सोना एक विश्वसनीय बैकअप एसेट (Reliable Backup Asset) के रूप में कार्य करता है।
  4. मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव (Hedge Against Inflation): सोना ऐतिहासिक रूप से मुद्रास्फीति (Inflation) के खिलाफ एक प्रभावी बचाव (Inflation Hedge) के रूप में कार्य करता रहा है, जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power) बनाए रखने में मदद मिलती है।
  5. निवेशकों के लिए संकेत (Signal for Investors): आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी अक्सर निजी निवेशकों (Private Investors Gold Strategy) के लिए एक संकेत होती है कि सोना भविष्य में मूल्य बनाए रखेगा या बढ़ेगा।

आरबीआई का सोने के भंडार को लगातार बढ़ाना यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक वित्तीय अस्थिरता (Global Financial Volatility) के बीच अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है। यह भारतीय नागरिकों और निवेशकों के लिए विश्वास का स्रोत है कि देश का वित्तीय भविष्य सुरक्षित हाथों में है।

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