Employees Gratuity Calculation : किसी कंपनी में सालों तक मेहनत और लगन से काम करने के बाद, जब आप नौकरी छोड़ने या रिटायर होने का सोचते हैं, तो एक सवाल मन में ज़रूर आता है – “आखिर मुझे ग्रेच्युटी (Gratuity) कितनी मिलेगी?” यह सिर्फ़ एक सवाल नहीं, बल्कि आपकी मेहनत और वफ़ादारी का हक़ है!
ग्रेच्युटी, दरअसल, कंपनी की तरफ़ से आपकी लंबी और बेहतरीन सेवाओं के बदले दिया जाने वाला एक तरह का ‘धन्यवाद’ या रिवॉर्ड है. अगर आपने भी किसी एक ही कंपनी में लगातार 5 साल या उससे ज़्यादा समय तक काम किया है, तो कानूनन आप ग्रेच्युटी पाने के हकदार हैं.
तो, अगर आपने 10 साल नौकरी की और आखिरी सैलरी ₹70,000 थी, तो कितनी मिलेगी ग्रेच्युटी?
चलिए, इसे एक आसान से फ़ॉर्मूले से समझते हैं. ग्रेच्युटी की गणना का एक तय तरीका है, जो आपकी सेवा के वर्षों और आपकी आखिरी सैलरी पर निर्भर करता है.
यह है ग्रेच्युटी निकालने का जादुई फॉर्मूला:
ग्रेच्युटी = (आपकी आखिरी सैलरी) x (आपने जितने साल नौकरी की) x (15/26)
आइए इस फॉर्मूले को थोड़ा और समझें:
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आखिरी सैलरी: इसका मतलब है आपकी बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता (DA) + कमीशन (अगर आपकी सैलरी का हिस्सा है). आमतौर पर, यह नौकरी छोड़ने से ठीक पहले के महीनों की सैलरी होती है.
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नौकरी के साल: आपने कंपनी में कुल कितने साल पूरे किए हैं. (अगर आपने 5 साल 6 महीने से ज़्यादा काम किया है, तो उसे 6 साल गिना जाएगा).
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15/26: यह फॉर्मूले का मानक हिस्सा है. ऐसा माना जाता है कि महीने में औसतन 26 दिन काम के होते हैं (रविवार हटाकर), और ग्रेच्युटी की गणना साल में 15 दिनों की सैलरी के आधार पर की जाती है.
₹70,000 सैलरी और 10 साल की नौकरी पर कितनी बनेगी ग्रेच्युटी?
अब हमारे उदाहरण पर वापस आते हैं:
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आखिरी सैलरी = ₹70,000
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नौकरी के साल = 10 साल
फॉर्मूला में ये नंबर डालते हैं:
ग्रेच्युटी = (₹70,000) x (10) x (15/26)
ग्रेच्युटी = ₹7,00,000 x (15/26)
ग्रेच्युटी = ₹1,05,00,000 / 26
ग्रेच्युटी = ₹4,03,846 (लगभग)
तो, इस गणना के हिसाब से, 10 साल की सेवा और ₹70,000 की आखिरी सैलरी पर आपको कंपनी से ₹4,03,846 की ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए! आप भी इस फॉर्मूले का इस्तेमाल करके अपनी अनुमानित ग्रेच्युटी का हिसाब लगा सकते हैं.
एक ज़रूरी बात: अगर कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट में रजिस्टर्ड न हो?
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि ऊपर बताया गया फॉर्मूला उन कंपनियों पर लागू होता है जो पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत रजिस्टर्ड हैं. अगर आपकी कंपनी इस एक्ट के दायरे में नहीं आती है, तो वे आपको ग्रेच्युटी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं.
हालांकि, कई अच्छी कंपनियाँ फिर भी अपने कर्मचारियों को स्वेच्छा से ग्रेच्युटी देती हैं. ऐसी स्थिति में, ग्रेच्युटी की गणना का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है, जहाँ महीने के कामकाजी दिन 30 माने जा सकते हैं (26 की जगह), जिससे ग्रेच्युटी की रकम थोड़ी कम हो सकती है.
ग्रेच्युटी आपकी सालों की मेहनत का सम्मान है. अपने अधिकारों को जानना और यह समझना कि इसकी गणना कैसे होती है, यह सुनिश्चित करता है कि आपको आपका सही हक़ मिले.