EMI Bounce Rule : अगर लोन की EMI नहीं भरी तो बैंक कब नीलाम कर सकता है आपकी प्रॉपर्टी? जानिए RBI और SARFAESI Act के पूरे नियम

Published On: May 15, 2025
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EMI Bounce Rule : अगर लोन की EMI नहीं भरी तो बैंक कब नीलाम कर सकता है आपकी प्रॉपर्टी? जानिए RBI और SARFAESI Act के पूरे नियम
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EMI Bounce Rule : अपना खुद का घर होना हर किसी का सपना होता है, और आजकल बैंक इस सपने को पूरा करने में बड़ी मदद कर रहे हैं। होम लोन (Home Loan) पर आकर्षक ऑफर देकर बैंक आम आदमी के लिए किराए के घर से निकलकर अपने घर में जाना आसान बना रहे हैं।

लेकिन होम लोन लेना जितना आकर्षक लगता है, उतना ही इसे चुकाना एक बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। लोन की ईएमआई (EMI) कई बार लोगों के बजट पर भारी पड़ सकती है। ऐसे में अगर किसी वजह से आप लोन की किश्त (EMI) चुकाने में मुश्किल महसूस करते हैं, तो क्या होता है? क्या बैंक आपकी प्रॉपर्टी तुरंत नीलाम कर देगा? ज़्यादातर लोन लेने वालों को इन नियमों की पूरी जानकारी नहीं होती। आइए, समझते हैं कि लोन न चुकाने की स्थिति में बैंक क्या कदम उठा सकता है और इससे जुड़े RBI और SARFAESI Act के नियम क्या कहते हैं।

EMI छूटने पर बैंक के अधिकार और रिकवरी प्रोसेस

जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है और समय पर उसकी ईएमआई नहीं चुका पाता, तो बैंक या वित्तीय संस्थान के पास उस लोन की रिकवरी (Loan Recovery) के लिए कई कानूनी अधिकार होते हैं। अगर स्थिति बहुत बिगड़ जाती है, तो बैंक गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी (Property) को नीलाम (Auction) करके अपना बकाया वसूल कर सकता है। लेकिन बैंक ऐसा मनमाने ढंग से नहीं कर सकता। इसके लिए कुछ तय नियम और एक पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है। इसी प्रक्रिया से जुड़ा एक महत्वपूर्ण कानून है SARFAESI Act 2002 (सरफेसी एक्ट)

क्या है SARFAESI Act 2002?

SARFAESI Act का पूरा नाम है ‘Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest Act, 2002’। यह कानून बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को यह ताकत देता है कि अगर कोई कर्जदार (Borrower) अपना बकाया नहीं चुकाता है, तो वे कोर्ट या ट्रिब्यूनल में जाए बिना, सीधे गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्ज़ा करके उसे बेचकर अपना पैसा वसूल सकें।

हालांकि, इस एक्ट के तहत भी बैंकों को एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना होता है, जो कर्जदार को अपना पक्ष रखने और समाधान निकालने का मौका देती है। इस एक्ट से जुड़े किसी भी विवाद की सुनवाई विशेष रूप से ‘डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल’ (DRT) और ‘डेट रिकवरी एपेलेट ट्राइब्यूनल’ (DRAT) में होती है।

EMI छूटने पर बैंक कब और कैसे शुरू करता है नीलामी की प्रक्रिया?

नीलामी की प्रक्रिया अचानक शुरू नहीं होती, बल्कि यह कई चरणों में पूरी होती है:

  1. पहला डिफॉल्ट (EMI Bounce): जैसे ही आपकी पहली ईएमआई छूटती है, बैंक आपसे संपर्क करने की कोशिश करता है।

  2. 30 दिन बाद (SMA-1): अगर ईएमआई 30 दिनों से ज़्यादा समय तक नहीं चुकाई जाती, तो बैंक उस लोन अकाउंट को ‘स्पेशल मेंशन अकाउंट’ (SMA) की कैटेगरी 1 में डाल देता है (SMA-1)।

  3. 60 दिन बाद (SMA-2): अगर 60 दिनों से ज़्यादा तक पेमेंट नहीं आता, तो अकाउंट SMA-2 बन जाता है।

  4. 90 दिन बाद (NPA): अगर लगातार 90 दिनों तक लोन की किश्त नहीं चुकाई जाती है, तो बैंक आपके लोन अकाउंट को ‘नॉन-परफॉर्मिंग एसेट’ (NPA) यानी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देता है।

जैसे ही आपका अकाउंट SMA या NPA घोषित होता है, बैंक इसकी जानकारी क्रेडिट ब्यूरो कंपनियों (जैसे CIBIL, Experian, CRIF) को भेज देता है। इसका सीधा और बहुत बुरा असर आपकी और अगर कोई गारंटर है तो उसकी, क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है। भविष्य में आपको लोन मिलना बहुत मुश्किल हो सकता है।

SARFAESI Act के तहत आगे की कानूनी कार्रवाई:

NPA घोषित होने के बाद बैंक SARFAESI Act के तहत कार्रवाई शुरू कर सकता है:

  • धारा 13(2) के तहत नोटिस: बैंक कर्जदार को SARFAESI Act की धारा 13(2) के तहत एक कानूनी नोटिस भेजता है। इस नोटिस में बकाया राशि और उसे चुकाने के लिए 60 दिनों का समय दिया जाता है।

  • धारा 13(4) के तहत कब्ज़ा: यदि 60 दिनों के नोटिस पीरियड में भी कर्जदार बकाया चुकाने या बैंक से बातचीत करके कोई समाधान निकालने में असफल रहता है, तो बैंक SARFAESI Act की धारा 13(4) के तहत गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी पर कानूनी रूप से कब्ज़ा कर सकता है। इसके बाद बैंक को उस संपत्ति को बेचकर अपना बकाया वसूल करने का अधिकार मिल जाता है।

  • प्रॉपर्टी की नीलामी: कब्ज़ा करने के बाद बैंक प्रॉपर्टी की नीलामी के लिए प्रक्रिया शुरू करता है। नीलामी से पहले बैंक को सार्वजनिक नोटिस (जैसे अखबारों में) देना होता है, जिसमें नीलामी की तारीख, समय और संपत्ति का विवरण होता है।

क्या नीलामी टाली जा सकती है?

हां, अगर आप नोटिस मिलने के बाद बैंक से संपर्क करके बकाया चुकाने या लोन को रीस्ट्रक्चर करने के लिए बातचीत करते हैं, तो नीलामी टाली जा सकती है। कुछ मामलों में, अगर कर्जदार वास्तव में अप्रत्याशित कारणों से ईएमआई नहीं चुका पा रहा है, तो बैंक थोड़ी मोहलत या पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त समय दे सकता है। हालांकि, कानूनी नोटिस मिलने के बाद गंभीरता दिखाना और बैंक के साथ सहयोग करना बेहद ज़रूरी है।

संक्षेप में, बैंक तुरंत आपकी प्रॉपर्टी नीलाम नहीं करता। यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें कई चरणों का पालन किया जाता है। लेकिन 90 दिन से ज़्यादा EMI डिफॉल्ट होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है और SARFAESI Act के तहत बैंक आपकी प्रॉपर्टी ज़ब्त कर सकता है। इसलिए, लोन लेते समय और चुकाते समय नियमों की पूरी जानकारी रखना बेहद ज़रूरी है।


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