EMI Bounce : अपना घर, हर किसी का सबसे बड़ा सपना होता है। पाई-पाई जोड़कर, ज़िंदगी भर की कमाई लगाकर लोग अपने सपनों का आशियाना बनाते हैं। अक्सर इस सपने को पूरा करने के लिए बैंक से होम लोन लेना पड़ता है, जिसमें आपकी वही कीमती प्रॉपर्टी गारंटी के तौर पर रखी जाती है। लेकिन सोचिए, अगर किसी मुश्किल वक्त में आप लोन की किस्तें (EMI) नहीं चुका पाए तो? क्या बैंक तुरंत आपका घर छीन लेगा? सबसे बड़ा डर होता है घर की नीलामी का। घबराएं नहीं! बैंक सीधे नीलामी नहीं करता, इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है और इस दौरान आपके पास कई अधिकार होते हैं जिनसे आप अपनी प्रॉपर्टी बचाने की कोशिश कर सकते हैं। आइए, समझते हैं पूरी प्रक्रिया और आपके अधिकारों को।
बैंक कब और क्यों करता है प्रॉपर्टी नीलाम?
सीधी सी बात है, बैंक ने आपको लोन दिया है और उसे अपना पैसा वापस चाहिए। होम लोन एक ‘सिक्योर्ड लोन’ होता है, यानी आपकी प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी है। अगर आप लगातार लोन चुकाने में असफल रहते हैं, तो बैंक के पास आखिरी हथियार के तौर पर उस प्रॉपर्टी को नीलाम करके अपना बकाया वसूलने का अधिकार होता है।
लेकिन, एक-दो किस्त चूकने पर ही नहीं होती नीलामी! (बैंक की प्रक्रिया समझें)
बैंक आपको डिफॉल्टर मानकर सीधे नीलामी नहीं करता। प्रक्रिया कुछ इस तरह आगे बढ़ती है:
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पहली चूक (1-2 EMI): अगर आप 1 या 2 महीने की किस्त नहीं भरते, तो बैंक आपको प्यार से रिमाइंडर (याद दिलाने वाले मैसेज/कॉल/लेटर) भेजता है।
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लगातार तीसरी चूक: अगर आप लगातार तीसरी EMI भी नहीं भरते, तो बैंक थोड़ा सख्त होता है और आपको कानूनी नोटिस भेजता है। यह एक गंभीर चेतावनी होती है।
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NPA घोषित करना: नोटिस के बाद भी अगर भुगतान नहीं होता, तो बैंक आपके लोन खाते को NPA (नॉन-परफॉर्मिंग असेट) घोषित कर देता है। इसका मतलब है कि बैंक अब मान रहा है कि इस लोन से कमाई (ब्याज) नहीं हो रही और यह एक ‘बुरा लोन’ बन गया है। आपको आधिकारिक तौर पर डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है।
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NPA के बाद भी समय: NPA घोषित होने का मतलब तुरंत नीलामी नहीं है। बैंक इसे पहले कुछ समय (लगभग 1 साल तक) ‘सबस्टैंडर्ड असेट’, फिर ‘डाउटफुल असेट’ मानता है। जब लोन वसूली की कोई उम्मीद नहीं दिखती, तब इसे ‘लॉस असेट’ माना जाता है। आमतौर पर ‘लॉस असेट’ बनने के बाद ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू होती है।
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नीलामी का नोटिस: नीलामी से पहले, बैंक को एक पब्लिक नोटिस जारी करना होता है, जिसमें प्रॉपर्टी का मूल्यांकन (वैल्यू), नीलामी की रिजर्व कीमत (कम से कम बोली), नीलामी की तारीख, समय और शर्तें साफ-साफ बतानी होती हैं। यह नोटिस आपको भी भेजा जाता है।
नीलामी को कैसे रोकें या चुनौती दें? (आपके अधिकार)
यहीं पर आपको सबसे ज्यादा सावधान और सक्रिय रहने की जरूरत है:
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बातचीत करें (सबसे पहला कदम): जैसे ही आपको लगे कि आप EMI देने में असमर्थ हो रहे हैं, बैंक से संपर्क करें। अपनी परेशानी बताएं। बैंक कई बार लोन रीस्ट्रक्चर करने (किस्तें कम, अवधि ज्यादा), कुछ मोहलत देने या कोई और समाधान निकालने में मदद कर सकता है। चुप न बैठें!
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मूल्यांकन को चुनौती दें: अगर नीलामी का नोटिस आ गया है और आपको लगता है कि बैंक ने आपकी प्रॉपर्टी की कीमत (रिजर्व प्राइस) बाजार भाव से बहुत कम लगाई है, तो आप इसे कानूनी रूप से चुनौती दे सकते हैं। सही मूल्यांकन आपका अधिकार है।
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खरीदार लाएं: नीलामी से पहले, अगर आप खुद कोई ऐसा खरीदार ढूंढ सकते हैं जो बैंक के बकाये से ज़्यादा कीमत देने को तैयार हो, तो आप बैंक से बात करके प्राइवेट सेल की कोशिश कर सकते हैं (बैंक की सहमति जरूरी है)।
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सरप्लस राशि पर हक: नीलामी प्रक्रिया पर पूरी नजर रखें। अगर आपकी प्रॉपर्टी लोन की बकाया रकम + नीलामी के खर्चे से ज़्यादा में बिकती है, तो बची हुई अतिरिक्त रकम पर आपका हक है। बैंक को वह पैसा आपको लौटाना होगा। इसे क्लेम करना न भूलें।
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कानूनी सलाह लें: अगर मामला गंभीर हो जाए, तो किसी अच्छे वकील या वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें जो आपको SARFAESI एक्ट (जिसके तहत बैंक यह कार्रवाई करते हैं) और आपके अधिकारों के बारे में सही सलाह दे सके।
होम लोन न चुका पाना एक मुश्किल स्थिति है, लेकिन यह दुनिया का अंत नहीं है। बैंक की प्रक्रिया को समझें, अपने अधिकारों को जानें और सबसे महत्वपूर्ण, समय रहते बैंक से संवाद करें। सक्रिय रहकर और सही कदम उठाकर आप अपने सपनों के घर को नीलाम होने से बचाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं।