Delhi High Court : तलाकशुदा बेटी को पिता की संपत्ति में मिलेगा हिस्सा? दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

Published On: May 17, 2025
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Delhi High Court : तलाकशुदा बेटी को पिता की संपत्ति में मिलेगा हिस्सा? दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
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Delhi High Court : संपत्ति और विरासत से जुड़े नियम अक्सर काफी जटिल होते हैं और लोगों को इनकी पूरी जानकारी नहीं होती। खासकर पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकार को लेकर कई सवाल रहते हैं। इसी कड़ी में, हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसा महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसने इस मामले में एक बड़ी बात साफ कर दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, कुछ खास परिस्थितियों में बेटियों को पिता की संपत्ति में हक नहीं मिलेगा। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है और यह फैसला किन बेटियों पर लागू होगा।

दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: किसे मिलेगा पिता की संपत्ति में हक?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी अविवाहित (Unmarried) या विधवा (Widowed) बेटी का अपने मृत पिता की संपत्ति (Property of Deceased Father) में अधिकार होता है। यानी, अगर पिता का देहांत हो जाता है और बेटी अविवाहित है या पति के देहांत के बाद विधवा हो गई है, तो वह पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा पाने की हकदार होती है।

लेकिन, तलाकशुदा बेटियों पर यह नियम लागू नहीं!

हाईकोर्ट ने साफ कहा कि पिता की संपत्ति में हकदार होने का यह नियम तलाकशुदा (Divorced) बेटियों पर लागू नहीं होता। अदालत का तर्क बहुत सीधा है: तलाकशुदा बेटी अपने भरण-पोषण (Maintenance) या गुजारा भत्ते (Alimony) के लिए कानूनी तौर पर अपने पूर्व पति पर आश्रित मानी जाती है। कानून उसे यह अधिकार देता है कि वह अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता ले सके।

कोर्ट ने कहा कि चूंकि तलाकशुदा बेटी के पास अपने जीवन यापन के लिए पूर्व पति से भरण-पोषण मांगने का कानूनी रास्ता मौजूद है, इसलिए वह अपने मृत पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी की हकदार नहीं होगी।

फैसले का आधार: हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने इस फैसले के पीछे हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956) की धारा 21 का जिक्र किया। इस धारा के तहत, कुछ खास श्रेणियों के आश्रितों (dependents) को भरण-पोषण का दावा करने का अधिकार दिया गया है, जिनके पास जीवनयापन का कोई और सहारा नहीं होता।

कोर्ट ने समझाया कि अविवाहित या विधवा बेटी के पास अक्सर अपने खर्चों या जीवनयापन के लिए परिवार (पिता या अन्य) से गुजारा भत्ता और संपत्ति में हिस्सा लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता। लेकिन, तलाकशुदा बेटी के मामले में, कानून यह मानता है कि उसका प्राथमिक सहारा उसका पूर्व पति है जिससे वह गुजारा भत्ता पाने का हक रखती है। अधिनियम की धारा 21 में रिश्तेदारों की नौ श्रेणियां बताई गई हैं जो भरण-पोषण के अधिकारी हैं, लेकिन इसमें सीधे तौर पर तलाकशुदा बेटी का जिक्र नहीं है।

यह फैसला किस मामले में आया?

यह अहम फैसला दिल्ली हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। इस महिला ने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसकी मां और भाई से भरण-पोषण दिलाए जाने की उसकी मांग को खारिज कर दिया गया था। महिला ने दलील दी थी कि कानूनी वारिस होने के नाते उसे अपने मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिला है और चूंकि उसके पूर्व पति का कुछ पता नहीं है, इसलिए वह उससे गुजारा भत्ता नहीं ले पा रही है।

महिला ने यह भी दावा किया था कि उसकी मां और भाई ने उसे संपत्ति में हिस्सा न मांगने की शर्त पर हर महीने 45,000 रुपये देने का वादा किया था, और उन्हें नवंबर 2014 तक यह खर्च दिया भी था।

लेकिन, हाईकोर्ट ने हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 के प्रावधानों को देखते हुए कहा कि इन परिस्थितियों को आधार बनाकर कानून की धारा को बदला नहीं जा सकता। कोर्ट ने महिला को सलाह दी कि वह अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए कानूनी विकल्पों का सहारा ले।

दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला पिता की संपत्ति पर बेटियों के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण व्याख्या प्रदान करता है। यह स्पष्ट करता है कि कानून की नजर में, तलाकशुदा बेटियां भरण-पोषण के लिए मुख्य रूप से अपने पूर्व पति पर निर्भर मानी जाती हैं, और इस आधार पर उन्हें अविवाहित या विधवा बेटियों की तरह मृत पिता की संपत्ति में स्वतः हिस्सा लेने का अधिकार नहीं मिल सकता। हालांकि, ऐसे कानूनी मामलों में हमेशा किसी योग्य वकील से सलाह लेना सबसे सुरक्षित रहता है।

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