Bank Cheque Bounce

Bank Cheque Bounce : चेक बाउंस मतलब सिर्फ़ जुर्माना नहीं, जेल भी! चेक से करते हैं लेन-देन? तो ये नए नियम जान लीजिए, वरना पछताएंगे

Bank Cheque Bounce : आज के डिजिटल दौर में भी चेक लेन-देन का एक अहम ज़रिया है, चाहे बिजनेस हो या पर्सनल काम। पर ज़रा सी लापरवाही और ‘चेक बाउंस’ आपकी नींद उड़ा सकता है! बहुत से लोग सोचते हैं कि चेक बाउंस होने पर बस थोड़ी सी पेनल्टी लगती है, लेकिन सच तो यह है कि अब नियम काफी सख्त हो गए हैं।

अगर आप भी चेक बुक का इस्तेमाल करते हैं या चेक से पेमेंट लेते/देते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है। क्या आप जानते हैं कि चेक बाउंस होने पर अब कितना जुर्माना लग सकता है? क्या इसके लिए जेल भी जाना पड़ सकता है? आइए जानते हैं चेक बाउंस से जुड़े नए और महत्वपूर्ण नियम, आसान भाषा में।

क्या होता है चेक बाउंस?

जब आप किसी को चेक देते हैं, लेकिन आपके बैंक खाते में उतने पैसे नहीं होते जितने का चेक काटा गया है, और बैंक उस चेक को पास करने से मना कर देता है, तो उसे ‘चेक बाउंस’ होना कहते हैं। इसके और भी कारण हो सकते हैं जैसे हस्ताक्षर का मेल न खाना, ओवरराइटिंग आदि, लेकिन सबसे आम कारण खाते में अपर्याप्त बैलेंस ही होता है।

चेक बाउंस होने पर क्या है पूरी प्रक्रिया और नियम?

मान लीजिए आपको किसी ने चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो आपको क्या करना चाहिए और चेक देने वाले पर क्या कार्रवाई हो सकती है? समझिए स्टेप-बाय-स्टेप:

  1. सूचना देना (30 दिन का समय): जैसे ही आपको पता चले कि चेक बाउंस हो गया है, आपको तुरंत (30 दिनों के भीतर) चेक देने वाले व्यक्ति (देनदार) को इसकी सूचना देनी होगी।

  2. भुगतान का मौका (1 महीने का समय): सूचना मिलने के बाद, चेक देने वाले व्यक्ति के पास उस चेक की रकम चुकाने के लिए एक महीने का समय होता है।

  3. बैंक चार्ज: ध्यान दें, चेक बाउंस होने पर बैंक, चेक देने वाले व्यक्ति के खाते से ‘चेक बाउंस चार्ज’ भी काटता है। यह चार्ज अलग-अलग बैंकों में भिन्न हो सकता है।

  4. कानूनी नोटिस (अगर भुगतान न हो): अगर देनदार सूचना मिलने के एक महीने बाद भी आपको पैसे नहीं देता है, तो आप उसे एक वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस भेज सकते हैं।

  5. जवाब देने का समय (15 दिन): देनदार को इस कानूनी नोटिस का जवाब देने या भुगतान करने के लिए 15 दिनों का समय मिलता है।

  6. केस दर्ज करने का अधिकार: अगर 15 दिनों के बाद भी देनदार भुगतान नहीं करता है या कोई संतोषजनक जवाब नहीं देता, तो आप उसके खिलाफ Negotiable Instrument Act, 1881 की धारा 138 के तहत कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं।

सबसे बड़ा सवाल: कितनी सज़ा और जुर्माना?

यहीं पर बात गंभीर हो जाती है! अगर आपके खिलाफ चेक बाउंस का केस दर्ज होता है और आप दोषी पाए जाते हैं, तो:

  • जुर्माना: आपको बाउंस हुए चेक की रकम का दोगुना तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।

  • जेल: आपको 2 साल तक की कैद की सज़ा हो सकती है।

  • दोनों: कोर्ट चाहे तो जुर्माना और जेल, दोनों सज़ाएं एक साथ भी दे सकता है।

  • ब्याज: कई मामलों में, आपको बाउंस हुई रकम पर ब्याज भी चुकाना पड़ सकता है।

यह बात गाँठ बाँध लें! (चेक की वैलिडिटी)

हमेशा याद रखें कि कोई भी चेक जारी होने की तारीख से सिर्फ तीन महीने तक ही वैध (Valid) रहता है। अगर आपको किसी से चेक मिला है, तो उसे तीन महीने के अंदर ही अपने बैंक खाते में जमा कर दें, वरना वह वैसे भी अमान्य हो जाएगा।

चेक का इस्तेमाल करते समय बेहद सावधान रहें। अगर आप चेक जारी कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस हो। अगर आप चेक ले रहे हैं, तो उसे समय पर बैंक में जमा करें। चेक बाउंस के नियम अब काफी सख्त हैं, और लापरवाही आपको भारी मुसीबत में डाल सकती है। जानकारी ही बचाव है!