8th Pay Commission Salary : देश के 1 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया है, जिसका सीधा असर केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन (Salary) और पेंशन में होने वाली बढ़ोतरी (Increase) पर पड़ेगा। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) 2.57 नहीं रहने वाला, जैसा कि सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) में था। तो फिर कर्मचारियों की सैलरी कितनी बढ़ेगी? आइए जानते हैं पूरी जानकारी…
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। इस ऐलान के बाद से ही सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में अपने वेतन और पेंशन में होने वाली संभावित बढ़ोतरी को लेकर उत्सुकता है। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर क्या तय होगा, क्योंकि यही वो पैमाना है जिसके आधार पर कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर (Salary Structure) तय होता है।
महंगाई लगातार बढ़ रही है और खर्चों का बोझ भी। ऐसे में केंद्रीय कर्मचारी चाहते हैं कि इस बार सरकार वेतन आयोग की सिफारिशें तय करते समय उनकी मांगों को ध्यान में रखे। पिछले दो वेतन आयोगों में कर्मचारी संगठनों की सभी मांगें पूरी तरह से नहीं मानी गई थीं। इसलिए अब सवाल यह है कि क्या इस बार फिटमेंट फैक्टर 2.57 ही रहेगा या इसमें बदलाव होगा? रिपोर्ट्स के अनुसार, संभावना कम है कि इसे 2.57 रखा जाए।
क्या है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) एक महत्वपूर्ण गुणांक (multiplier) है जिसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों की पुरानी सैलरी को नए वेतनमान (New Pay Scale) में बदलने के लिए किया जाता है। सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) में इसे 2.57 तय किया गया था। इसी फिटमेंट फैक्टर के आधार पर न्यूनतम वेतन (Minimum Salary) 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गया था।
कर्मचारी संगठनों की मांगें:
नेशनल काउंसिल जेसीएम (NC JCM) की कर्मचारी यूनियन ने सरकार के सामने आठवें वेतन आयोग के लिए 15 मुख्य मांगें रखी हैं। इनमें सबसे प्रमुख मांग फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से ज्यादा रखने की है। उनका तर्क है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए न्यूनतम वेतन 15वें श्रम सम्मेलन (1957) की सिफारिशों के अनुसार तय होना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने पे लेवल्स (Pay Levels) को आपस में मिलाने (merge करने), भत्तों (Allowances) में सुधार और सेवानिवृत्ति लाभों (Retirement Benefits) में संशोधन की भी मांग की है। कर्मचारी यूनियन चाहती हैं कि नया वेतन ढांचा (Pay Structure) 1 जनवरी 2026 से लागू किया जाए।
क्या सरकार मानेगी ये मांगें?
विशेषज्ञों (Experts) का मानना है कि सरकार कर्मचारी संगठनों की सभी मांगों को शायद ही स्वीकार करे। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग जैसे कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार फिटमेंट फैक्टर को 1.92 तक ही सीमित रख सकती है। यदि ऐसा होता है, तो कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी उम्मीद से कम हो सकती है।
पिछले वेतन आयोगों का अनुभव:
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छठा वेतन आयोग (6th Pay Commission): कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये करने की मांग की थी, लेकिन आयोग ने इसे सही नहीं माना और बाद में 5,479 रुपये की सिफारिश की, जिसे बढ़ाकर 7,000 रुपये किया गया।
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सातवां वेतन आयोग (7th Pay Commission): 2015 में कर्मचारी संगठनों ने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये (लगभग 3.7 गुना बढ़ोतरी) करने की मांग की थी। आयोग ने Aykroyd फार्मूले के आधार पर न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये और फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया।
इस बार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लेकर अंतिम फैसला क्या होता है, यह देखना बाकी है, लेकिन यह तय है कि यही फैक्टर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में होने वाली बढ़ोतरी को काफी हद तक प्रभावित करेगा। सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी टकटकी लगाए 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं।