8th Pay Commission : देशभर के करीब 1 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है! जैसा कि आप जानते हैं, जब भी कोई नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू होता है, तो कर्मचारियों की सैलरी तो बढ़ती ही है, साथ ही कई तरह के भत्तों (Allowances) में भी बदलाव होता है। अब चर्चा है कि 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के आने पर हाउस रेंट अलाउंस (HRA) यानी मकान किराया भत्ता की कैलकुलेशन के तरीके में भी बड़ा बदलाव हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी (Take Home Salary) में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिलेगा। आइए समझते हैं इस पूरे गणित को।
8वें वेतन आयोग और HRA की बदलती सूरत
समय के साथ 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। जब 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होगा और 8वां वेतन आयोग लागू होगा, तो निश्चित तौर पर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी (Basic Salary) और अन्य भत्तों में बढ़ोतरी होगी।
हर वेतन आयोग के लागू होने पर सैलरी स्ट्रक्चर के साथ कई चीजें बदलती हैं, और इसका सीधा असर HRA की दरों पर भी पड़ता है। अब संभावना जताई जा रही है कि इस बार HRA की कैलकुलेशन का तरीका पहले से अलग हो सकता है या इसमें महत्वपूर्ण बदलाव किए जा सकते हैं।
कैसे बदलती हैं HRA की दरें?
दरअसल, HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस की दरें हर नए वेतन आयोग के साथ संशोधित (Revised) की जाती हैं। यह कर्मचारियों को उनके शहरों के हिसाब से घर के किराए में मदद के तौर पर दिया जाता है। शहरों को तीन कैटेगरी (X, Y, Z) में बांटा जाता है, जहां किराए का खर्च अलग-अलग होता है।
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6वें वेतन आयोग में ये दरें X शहरों के लिए 30%, Y शहरों के लिए 20%, और Z शहरों के लिए 10% थीं।
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7वें वेतन आयोग ने शुरुआत में इन्हें घटाकर X के लिए 24%, Y के लिए 16%, और Z के लिए 8% कर दिया था।
DA बढ़ने पर HRA में हुआ था इजाफा
हालांकि, बाद में एक नियम लागू हुआ कि जैसे ही केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (DA of Central Employees) 50% पर पहुंचेगा, HRA की दरों को फिर से बढ़ाया जाएगा। ऐसा हुआ भी, जब DA 50% तक पहुंच गया, तो HRA की दरें वापस पुरानी वाली यानी X शहरों के लिए 30%, Y शहरों के लिए 20%, और Z शहरों के लिए 10% कर दी गईं।
यह दिखाता है कि HRA की दरें सीधे तौर पर DA और बेसिक पे (Basic Pay) से जुड़ी होती हैं।
8वें वेतन आयोग में क्या उम्मीद है?
जब 8वां वेतन आयोग लागू होगा, तो सरकार एक बार फिर बेसिक पे (Basic Pay) और DA स्ट्रक्चर (DA Structure) के हिसाब से HRA की दरों और उसकी कैलकुलेशन को रिव्यू करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि HRA की दरें (HRA Rates) इस बार भी बदली जा सकती हैं।
नए कैलकुलेशन से कितना बढ़ेगा HRA? समझें गणित
8वें वेतन आयोग में एक बड़ा बदलाव फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) में होने की संभावना है। अटकलें हैं कि फिटमेंट फैक्टर को 1.92 तक बढ़ाया जा सकता है। फिटमेंट फैक्टर वो संख्या है जिससे मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई बेसिक सैलरी तय की जाती है।
उदाहरण के तौर पर समझें:
अगर किसी केंद्रीय कर्मचारी की अभी बेसिक सैलरी 30,000 रुपये है।
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मौजूदा नियम: फिटमेंट फैक्टर (7वें वेतन आयोग में) करीब 2.57 है। (यह उदाहरण सरल बनाने के लिए है, वास्तविक कैलकुलेशन थोड़ी अलग हो सकती है)।
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8वें वेतन आयोग की संभावना (अगर Fitment Factor 1.92 होता है): नई बेसिक सैलरी होगी: 30,000 रुपये × 1.92 = 57,600 रुपये।
अब, HRA का कैलकुलेशन नई बढ़ी हुई बेसिक सैलरी (57,600 रुपये) पर किया जाएगा।
अगर मौजूदा दरें (30%, 20%, 10%) ही लागू रहें:
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X शहर (30%): HRA होगा 57,600 का 30% = 17,280 रुपये (पहले की बेसिक पर HRA काफी कम होता)।
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Y शहर (20%): HRA होगा 57,600 का 20% = 11,520 रुपये।
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Z शहर (10%): HRA होगा 57,600 का 10% = 5,760 रुपये।
यानी, बेसिक सैलरी में भारी बढ़ोतरी के कारण, चाहे HRA की प्रतिशत दरें वही रहें या थोड़ी बदलें, HRA की रकम (HRA Amount) काफी बढ़ जाएगी।
क्यों रिवाइज होती हैं HRA दरें? मुख्य वजहें
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बढ़ती महंगाई और किराया: शहरों में रहने का खर्च, खासकर किराया समय के साथ बढ़ता है। HRA में बढ़ोतरी इस बढ़ते खर्च को संतुलित करने में मदद करती है।
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बेसिक-पे स्ट्रक्चर में बदलाव: नया वेतन आयोग पूरी सैलरी संरचना को बदल देता है। नई बेसिक सैलरी पर HRA की कैलकुलेशन के लिए पुरानी दरों को नए स्ट्रक्चर के हिसाब से एडजस्ट करना पड़ता है।
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शहरों की कैटेगरी में बदलाव: सरकार समय-समय पर शहरों को X, Y, Z कैटेगरी में री-क्लासिफाई करती है। अगर कोई शहर ऊंची कैटेगरी में आता है, तो वहां के कर्मचारियों का HRA बढ़ जाता है।
क्या 8वें वेतन आयोग में HRA की दरें प्रतिशत में भी बदलेंगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि HRA की प्रतिशत दरों में भी बदलाव की संभावना है। इसके अलावा, यह प्रावधान जारी रहने की उम्मीद है कि जब भी DA 25% या 50% के स्तर पर पहुंचेगा, तब HRA की दरों को दोबारा संशोधित किया जाएगा।
इस पूरे बदलाव का सीधा फायदा कर्मचारियों को होगा। उनकी बेसिक सैलरी बढ़ने से HRA की रकम बढ़ेगी, और DA के साथ HRA का लिंक रहने से भविष्य में भी उनका HRA समय-समय पर रिवाइज होता रहेगा, जिससे उनके हाथ में आने वाला पैसा (In-hand Salary) बढ़ेगा। हालांकि, अभी ये केवल चर्चाएं और संभावनाएं हैं, अंतिम फैसला सरकार ही लेगी।