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Join NowIncome Tax: भारत में शादियाँ सिर्फ दो लोगों के मिलन का नहीं, बल्कि उत्सवों (Festivals) का एक ऐसा महासागर हैं जहाँ उपहारों का लेन-देन (Exchange of Gifts) एक महत्वपूर्ण परंपरा का हिस्सा है। इन दिनों, शादियों पर होने वाला खर्च आसमान छू रहा है। माता-पिता और रिश्तेदार दूल्हा-दुल्हन को न केवल प्यार बल्कि लाखों रुपये के कीमती उपहार (Expensive Gifts) भी देते हैं, जिनमें अक्सर नकदी (Cash), गाड़ियाँ (Cars), संपत्ति (Property), और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं (Valuable Items) शामिल होती हैं। ऐसे में, यह जानना ज़रूरी है कि इन शाही उपहारों पर क्या टैक्स (Tax) का भी कोई साया पड़ता है?
आयकर (Income Tax) के नियम और शादी के गिफ्ट्स पर सच्चाई!
आयकर विभाग (Income Tax Department) के नियमों के अनुसार, यदि आपको एक वित्तीय वर्ष (Financial Year) में किसी भी स्रोत (Source) से ₹50,000 से ज़्यादा का गिफ्ट (Cash, Property, or Other Gifts) मिलता है, तो उस पर टैक्स लगाया जा सकता है। हालांकि, आयकर नियमों में एक विशेष प्रावधान है: शादी के मौकों पर मिलने वाले गिफ्ट्स पर टैक्स का नियम थोड़ा अलग है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आपके इन अनमोल तोहफों का क्या होगा।
शादी के गिफ्ट्स: दूल्हा-दुल्हन के लिए 100% टैक्स-फ्री!
एक महत्वपूर्ण राहत की बात यह है कि शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन को मिले सभी उपहार पूरी तरह से टैक्स-फ्री (Completely Tax-Free) होते हैं। इसमें सोना (Gold), प्रॉपर्टी (Property), नकद (Cash), और अन्य सभी प्रकार की कीमती वस्तुएं शामिल हैं, जिन पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है। यह छूट विशेष रूप से दूल्हा और दुल्हन पर लागू होती है। इसका मतलब है कि चाहे आपको कितने भी लाख का गिफ्ट मिले, जब तक वह शादी के अवसर पर सीधे आपको मिल रहा है, तब तक वह टैक्स के दायरे से बाहर है।
लेकिन माता-पिता के लिए नियम अलग! जानिए क्यों?
हालांकि, यह छूट केवल सीधे दूल्हा-दुल्हन पर लागू होती है। यदि कोई उपहार उनके माता-पिता (Parents) को मिलता है, तो उस पर टैक्स लग सकता है। उदाहरण के लिए, यदि माता-पिता को किसी रिश्तेदार से एक लाख रुपये का उपहार मिलता है, तो उन्हें उस पूरी राशि पर लागू आयकर नियमों के अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। इसलिए, गिफ्ट देते या लेते समय इस बात का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
गिफ्ट की वैल्यू पर कोई ‘लिमिट’ नहीं, पर स्रोत बताना ज़रूरी!
शादी में दिए जाने वाले गिफ्ट की वैल्यू को लेकर कोई ऊपरी सीमा (Limit on Value of Gifts) नहीं है। कोई भी व्यक्ति या तो वह रिश्तेदार हो या गैर-रिश्तेदार, दूल्हा-दुल्हन को कितनी भी मूल्य की कीमती चीज़ें या नकद राशि भेंट कर सकता है, और यह पूरी तरह से टैक्स-फ्री ही मानी जाएगी। लेकिन, यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जो व्यक्ति गिफ्ट दे रहा है, उसे आयकर विभाग को गिफ्ट के स्रोत (Source of Gift) के बारे में जानकारी देनी पड़ सकती है। यानी, उपहार देने वाले को यह साबित करना होगा कि यह धन उसी के पास वैध तरीके से आया था।
शादी के बाद मिले सोने पर टैक्स का क्या है नियम?
यदि आप विवाहित महिला हैं, तो आपको अपने पति, भाई, बहन, माता-पिता, या सास-ससुर (Husband, Brother, Sister, Parents, Mother-in-law, or Father-in-law) से मिले सोना या गहने पूरी तरह टैक्स-फ्री होते हैं। यह नियम उन रिश्तों को दर्शाता है जो परिवार का हिस्सा हैं। लेकिन, यदि आपको किसी गैर-रिश्तेदार (Non-Relative) से ₹50,000 से अधिक का तोहफा मिलता है, तो वह सामान्य तौर पर टैक्सेबल हो जाता है।
हालांकि, शादी का अवसर इसे फिर से टैक्स-फ्री बना देता है। भले ही वह तोहफा किसी गैर-रिश्तेदार से मिला हो, शादी के अवसर पर मिला कोई भी तोहफा (Any Gift received on the occasion of marriage), पूरी तरह से टैक्स-फ्री ही होता है। यह विशेष छूट केवल शादी के समय ही लागू होती है और इस अवधि के बाद उसी व्यक्ति से मिला गिफ्ट टैक्स के दायरे में आ सकता है।
बिना डॉक्यूमेंट के कितना सोना रख सकते हैं? इनकम टैक्स का ‘गोल्डन’ नियम!
भारतीय कानून (Indian Laws) के अनुसार, गोल्ड होल्डिंग (Gold Holding) को लेकर भी कुछ नियम हैं। एक शादीशुदा महिला बिना किसी डॉक्यूमेंट के 500 ग्राम तक सोना रख सकती है। वहीं, अगर महिला अविवाहित (Unmarried) है, तो वह बिना किसी दस्तावेज के 250 ग्राम सोना रख सकती है। पुरुषों के लिए यह सीमा और भी कम है; वे केवल 100 ग्राम सोना बिना किसी डॉक्यूमेंट के रख सकते हैं। इससे ज़्यादा सोना रखने पर, आपको उसके स्रोत के बारे में स्पष्टीकरण (Explanation) देना पड़ सकता है, जो कि आय प्रमाण (Income Proof) से जुड़ा हो सकता है।
₹2 लाख से ज्यादा कैश गिफ्ट न लें! जानिए क्या है सेक्शन 269ST का ‘पेनल्टी’ वाला नियम!
आज के दौर में जहां लोग बड़ी धनराशि के चेक या ऑनलाइन ट्रांसफर का उपयोग करते हैं, वहीं नकद लेन-देन (Cash Transactions) के अपने खतरे भी हैं। आयकर अधिनियम का सेक्शन 269ST (Section 269ST) यह निर्धारित करता है कि ₹2 लाख या उससे अधिक की राशि नकद में प्राप्त करना एक दंडनीय अपराध (Punishable Offence) है, जिस पर भारी पेनाल्टी (Penalty) लग सकती है। इसलिए, यदि आप शादी में गिफ्ट के तौर पर 2 लाख या उससे अधिक की राशि ले रहे हैं, तो इसे सिर्फ बैंकिंग चैनलों (Banking Channels) के माध्यम से ही लेना चाहिए।
इसका मतलब है:
- A/C Payee चेक (A/C Payee Cheque)
- A/C Payee बैंक ड्राफ्ट (Bank Draft)
- इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरेंस सिस्टम (ECS) या NEFT/RTGS के माध्यम से बैंक ट्रांसफर (Bank Transfer via ECS/NEFT/RTGS)
सेल्फ-चेक से भी बचें: यह भी ध्यान रखें कि यदि पेमेंट ‘सेल्फ-चेक’ (Self-Cheque) के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है, तो उसे भी नकद लेनदेन ही माना जाएगा और उस पर पेनल्टी लगाई जा सकती है। ये नियम न केवल भारत में, बल्कि USA और UK में भी डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और टैक्स चोरी (Tax Evasion) रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। शादी के मौके पर मिलने वाले ये गिफ्ट्स आपके लिए सुखद अनुभव लेकर आएं, न कि कोई कानूनी झंझट।