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Join NowWorld Chess: चेस की दुनिया में सिर्फ 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रचने वाले D Gukesh (Gukesh Dommaraju) के लिए पिछले कुछ महीने काफी दिलचस्प रहे हैं। अपने पिता और कोच विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) की प्रेरणा से वे उस मुकाम पर पहुंचे हैं जहाँ भारत का नाम रोशन हो रहा है। हालांकि, विश्वनाथन आनंद द्वारा “दुनिया का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन” का ताज मिलने के बाद से उनके करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं।
विश्व चैंपियन बनने के बाद ‘जीत के सूखे’ का सामना और टूर्नामेंट्स में संघर्ष
दिग्गज खिलाड़ी डिंग लिरेन (Ding Liren) को पिछले साल दिसंबर में हराने के बाद, जी. मुकेश भारत की शतरंज की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गए। लेकिन विश्व चैंपियन का खिताब जीतने के तुरंत बाद ही, उनके करियर का एक ऐसा दौर शुरू हुआ जिसे “रुत” (Rut) कहा जा सकता है। उनके डेब्यू टूर्नामेंट में, जो कि प्रसिद्ध टाटा स्टील चेस इवेंट (Tata Steel Chess Event) था, नीदरलैंड्स के विज्क आन ज़ी (Wijk aan Zee) में वे उप-विजेता रहे। भारत के ही युवा सनसनी प्रगनाननंदा (Praggnanandhaa) के खिलाफ एक कांटे के टाई-ब्रेक मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से, कई “फ्रीस्टाइल चेस” (Freestyle Chess) टूर्नामेंट्स में भी उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा।
यह वाकई हतोत्साहित करने वाला था जब फ्रीस्टाइल चेस ग्रैंड स्लैम टूर (Freestyle Chess Grand Slam Tour) के शुरुआती आयोजन में वीसेनहॉस (Weissenhaus) में उन्होंने कोई जीत हासिल नहीं की, ग्यारह ड्रॉ खेले और छह हार झेलीं। इसके बाद पेरिस (Paris) में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हाल ही में, बुखारेस्ट (Bucharest) में हुए सुपरबेट चेस क्लासिक रोमानिया (Superbet Chess Classic Romania) टूर्नामेंट में भी वे अंतिम स्थान से बाल-बाल बचे। इस टूर्नामेंट में उन्होंने केवल एक जीत, छह ड्रॉ और दो हार के साथ छठा स्थान साझा किया। यह स्पष्ट था कि विश्व चैंपियन बनने के बाद उनके कंधों पर दबाव बढ़ गया था और वे अपने पुराने शानदार फॉर्म को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
नॉर्वे चेस (Norway Chess) में ज़बरदस्त ‘कमबैक’! दिग्गजों को दी मात
लेकिन खेल का असली मज़ा तो वापसी में ही होता है! इन मुश्किलों के बीच, मुकेश ने नॉर्वे चेस (Norway Chess) में शानदार वापसी की, जहाँ उन्होंने कई नए रिकॉर्ड बनाए और पुराने रिकॉर्ड तोड़े। यह उनका पहला शास्त्रीय (classical) खेल था जहाँ उन्होंने विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) को हराया, वह भी एक ऐसे मुकाबले में जहाँ कार्लसन ने गुस्से में मेज़ पर हाथ मारा था! इसके साथ ही, उन्होंने अपने ही हमवतन अर्जुन एरिगैसी (Arjun Erigaisi) को भी शास्त्रीय खेल में पहली बार हराया। इस टूर्नामेंट में वे तीसरे स्थान पर रहे, और अंतिम राउंड तक वे कार्लसन से केवल आधे अंक के मामूली अंतर से ही पीछे थे। यह वापसी उनके लिए निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि थी।
विश्वनाथन आनंद का मूल्यांकन: क्या Gukesh को मिलेगा ‘B’ ग्रेड?
नॉर्वे चेस में Gukesh के शानदार प्रदर्शन के बाद, उनके गुरु और पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) ने Gukesh को पहले दी गई ग्रेडिंग में सुधार किया। नॉर्वे में होने वाले इवेंट से पहले, आनंद ने Gukesh को ‘C’ ग्रेड दिया था, लेकिन उनके प्रदर्शन को देखकर इसे ‘B’ ग्रेड में बदल दिया।
Chess.com को दिए एक इंटरव्यू में आनंद ने कहा, “मुझे लगता है कि मैं (Gukesh को) B ग्रेड दूंगा। वह असल में D ग्रेड का हकदार था, लेकिन किसी तरह नॉर्वे में उसने बहुत से सवालों के जवाब सही दिए। इसलिए, यह B है। उसे देखते हुए कि उसने यहाँ ‘सरवाइव’ किया और अपने पॉइंट्स के आधार पर, मैं उसे B ग्रेड ही दूंगा।”
यह गौर करने वाली बात है कि नॉर्वे चेस से छह महीने पहले, जब आनंद से Gukesh का मूल्यांकन करने को कहा गया था, तो उन्होंने Gukesh को “C माइनस” या “D माइनस” तक की रेटिंग दी थी। आनंद ने तब कहा था, “मुझे लगता है कि मैं केवल “D माइनस” कहूंगा, लेकिन विज्क आन ज़ी का प्रदर्शन उसे शायद “D प्लस” या “C माइनस” की ओर खींच रहा है।”
विश्वनाथन आनंद की गहन विश्लेषण: प्रतिभा और सुधार की ज़रूरत
आनंद ने Gukesh के विज्क आन ज़ी के प्रदर्शन को याद करते हुए कहा था, “उसने अविश्वसनीय रूप से अच्छा खेला। यह एक तरह का रिबाउंड इफेक्ट (Rebound Effect) था। आप हमेशा यह डर रखते हैं कि विश्व चैंपियनशिप के बाद अचानक आपके अंदर खालीपन आ जाए। लेकिन हकीकत में, पहला टूर्नामेंट बेहद सफल रहा। साल का बाकी हिस्सा थोड़ा और शांत रहा, जो शायद सामान्य भी है। हर कोई उसके साथ अलग तरह से पेश आता है। वह अपना रास्ता खोज रहा है। मैं रिपोर्ट कार्ड पर क्या लिखूंगा? मुझे लगता है कि ‘आगे सुधार की आवश्यकता है’ यह तो स्पष्ट ही है; ‘और कड़ी मेहनत करनी होगी’… कुछ ऐसा ही।” आनंद का मानना था कि Gukesh अभी भी बहुत मजबूत है और उसे बस “सही कनेक्शन फिर से खोजने” की ज़रूरत है।
इसके बाद, नॉर्वे चेस के संबंध में एक और इंटरव्यू में, आनंद ने आगे कहा कि Gukesh कोFabiano Caruana, Magnus Carlsen, और Hikaru Nakamura जैसे अनुभवी खिलाड़ियों से अभी काफी कुछ सीखना बाकी है, और इस युवा खिलाड़ी के पास अभी भी प्रगति करने की बहुत गुंजाइश है।
आनंद ने Gukesh के खेल पर थोड़ी आलोचनात्मक लेकिन संतुलित राय देते हुए कहा, “नॉर्वे चेस में, Gukesh ने बिना समय की कमी के भी कई सवालों के जवाब (moves) गलत चुने। उसने यह खेल के शुरुआती चरणों में किया। कई लोगों ने इसकी आलोचना की है और मुझे लगता है कि आलोचना सही भी है। कम से कम कुछ तो वाकई गलत था। मैग्नस और अर्जुन के खिलाफ जीते गए उनके वे दो खेल वाकई विवादित (questionable) थे। मैं मानता हूं कि ऐसा है। लेकिन फिर मुझे वही सवाल आप से पूछना है: दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं जो इन स्थितियों से अर्जुन और मैग्नस को हरा सकते हैं? उनके खेल में आलोचना के लिए बहुत कुछ है। वह उनके समान ही समय के दबाव में था। दूसरा, अगर हिकारु या मैग्नस ऐसी स्थितियों से बच निकलते, तो हम सिर्फ यह कहते, ‘लेकिन वे बहुत मजबूत हैं।’ वही तर्क यहाँ भी लागू होना चाहिए।”
आनंद ने अपनी दुविधा भी जाहिर की: “मैं थोड़ा दुविधा में हूँ। एक तरफ, मुझे लगता है कि हम सिर्फ इसलिए यह नहीं कह सकते कि उसने एक महान टूर्नामेंट खेला क्योंकि वह 50% पर समाप्त हुआ। साथ ही, यह तथ्य कि आपके पास ऐसी रक्षात्मक कुशलता (Defensive Skills) है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको उन पर हर समय निर्भर रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, अधिकांश देशों के पास सेनाएँ होती हैं ताकि वे उनका हर समय उपयोग न करें। आप इन कौशलों पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहना चाहते। लेकिन आपको कहना होगा कि वह बहुत साधन संपन्न (Resourceful) था।”
यह दिखाता है कि एक महान खिलाड़ी और कोच के लिए भी, प्रतिभा की पहचान और उसके विकास में संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है। Gukesh का सफर अभी जारी है, और विश्व मंच पर उनसे आगे भी कई精彩 (精彩 – brilliant) पारियां देखने की उम्मीद है।