BJP: कौन बनेगा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का नया ‘सेनापति’? भारत से अमेरिका, यूके तक हलचल

Published On: July 7, 2025
Follow Us
BJP: कौन बनेगा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का नया 'सेनापति'? भारत से अमेरिका, यूके तक हलचल

Join WhatsApp

Join Now

BJP: जैसे-जैसे सियासी सरगर्मियाँ परवान चढ़ रही हैं, भारतीय जनता पार्टी (BJP), जो अपनी विशालता के लिए ‘दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी’ के रूप में जानी जाती है, अपने अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे से लौटने के बाद इस अहम घोषणा की उम्मीद है, जिसने पार्टी के भीतर और बाहर, यहां तक कि भारत, अमेरिका (USA) और यूनाइटेड किंगडम (UK) में भी राजनीतिक गलियारों में अभूतपूर्व सस्पेंस और उम्मीदें पैदा कर दी हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद किसी भी पार्टी की दिशा और उसकी विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और ऐसे में यह निर्णय आने वाले वर्षों के लिए पार्टी की रणनीति तय करेगा।

कौन हैं दौड़ में शामिल? दिग्गजों की जंग और समीकरणों का खेल:
इस बार की राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ कई धुरंधरों के बीच दिलचस्प होती दिख रही है, जहाँ पार्टी संगठन का अनुभव, जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन जैसे महत्वपूर्ण कारक निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करेंगे। इस महामुकाबले में तीन केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहानधर्मेंद्र प्रधान और मनोहर लाल खट्टर के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान, जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, न केवल ओबीसी समुदाय से एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं, बल्कि उनकी मिलनसार शैली, लंबे संगठनात्मक अनुभव और आरएसएस (RSS) के साथ गहरी जुड़ाव ने उन्हें एक प्रबल दावेदार बनाया है। उनके विशाल जनसमर्थन और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें पार्टी के लिए एक अमूल्य संपत्ति साबित किया है।

READ ALSO  Australia Women in New Zealand 2025: ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को पहले टी20 में 8 विकेट से रौंदा, बेथ मूनी और जॉर्जिया वोल चमके

वहीं, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी अपने शांत स्वभावसंगठन चलाने के कौशल और प्रधानमंत्री मोदी के करीबी होने के नाते दौड़ में अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। संघ के साथ उनका लंबा जुड़ाव और जमीनी स्तर की समझ उन्हें एक विश्वसनीय विकल्प बनाती है। दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अपनी गंभीर और सक्रिय छवि के साथ सरकारी व संगठनात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाने में अपनी महत्ता साबित कर चुके हैं। पेट्रोलियम और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का उनका पिछला कार्यकाल विवादों से मुक्त रहा है, जो उन्हें एक और मजबूत विकल्प के रूप में पेश करता है।

ओबीसी वोट बैंक और भू-राजनीतिक रणनीतियाँ: भूपेंद्र यादव का बढ़ता कद:
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी इस दौड़ के एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर उभरे हैं। एक अनुभवी संगठनकर्ता के रूप में, उन्होंने बिहार, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में चुनाव प्रभारी के तौर पर अपनी संगठनात्मक कुशलता का लोहा मनवाया है। देश में बढ़ती 54% ओबीसी आबादी को देखते हुए, भूपेंद्र यादव एक विशाल ओबीसी चेहरे के रूप में बीजेपी के लिए एक रणनीतिक चाल साबित हो सकते हैं, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के आगामी चुनावों को देखते हुए। उनका नाम OBC समुदाय के वोटों को मजबूत करने के लिए पार्टी की एक बड़ी योजना का हिस्सा माना जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, बीजेपी महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े जैसे अनुभवी संगठन नेताओं के नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। सुनील बंसल को पर्दे के पीछे का एक माहिर रणनीतिकार माना जाता है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में पार्टी को अभूतपूर्व जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी तरह, महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े ने भी कई राज्यों के लिए चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाला है, जिससे उनकी सांगठनिक क्षमता पर किसी को संदेह नहीं है। इस दौड़ में निर्मला सीतारमण और पुरंदेश्वरी जैसी महिला नेताओं के नाम भी सामने आए हैं, जो महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने की पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

READ ALSO  Syama Prasad Mukherjee: जानें कैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने गढ़ी भारत की औद्योगिक तकदीर और उनके रहस्यमय निधन की अनसुनी कहानी

संगठनात्मक चुनावों की विस्तृत प्रक्रिया: हर स्तर पर कसावट:
भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन के संविधान का पालन करते हुए, कुछ महीनों पहले प्रदेश स्तर पर सांगठनिक चुनाव कराए हैं। इससे पहले जिला और मंडल स्तर पर भी चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए थे। अब तक, देश के 50 फीसदी से अधिक राज्यों में प्रदेश भाजपा अध्यक्षों का चुनाव पूरा हो चुका है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए आवश्यक जमीनी तैयारी को दर्शाता है। हाल ही में 2 जुलाई को पार्टी ने मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की। अब सबकी निगाहें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष के नए नाम पर भी टिकी हैं, जो आगामी राजनीतिक दांवपेच के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पार्टी का मानना है कि ऐसे अध्यक्ष का चयन आवश्यक है जिसके पास गहरा संगठनात्मक अनुभव हो और वह सभी प्रमुख जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने में भी कुशल हो।

आगामी राज्यों के विधानसभा चुनाव: बिहार और बंगाल की अहमियत:
भाजपा की यह रणनीति बिहार (अक्टूबर-नवंबर 2025) और पश्चिम बंगाल (मार्च-अप्रैल 2026) में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के महत्व को भी रेखांकित करती है। बिहार में जहां बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के सामने सरकार बचाने की बड़ी चुनौती है, वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा लगातार तृणमूल कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आक्रामक हिन्दुत्व की राह अपनाए हुए है। ऐसे महत्वपूर्ण चुनावी चक्रों को ध्यान में रखते हुए, पार्टी का लक्ष्य एक ऐसे राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनना होगा जो इन चुनावों में पार्टी को रणनीतिक दिशा दे सके और सफलता दिला सके।

READ ALSO  Mahendra Bhatt: महेंद्र भट्ट दोबारा प्रदेश अध्यक्ष चुने गए, जानिए कौन हैं नए राष्ट्रीय परिषद सदस्य

जेपी नड्डा का कार्यकाल और भविष्य की राह:
मौजूदा भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में ही पूरा हो गया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों की अहमियत को देखते हुए उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया गया था। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने तक वे अपने पद पर बने रहेंगे। यह प्रत्यावर्तन अवधि पार्टी के लिए सबसे उपयुक्त नेतृत्व चुनने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जो आने वाले वर्षों में देश के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे सके।

यह चुनाव न केवल एक व्यक्ति का चयन होगा, बल्कि यह भारतीय जनता पार्टी के भविष्य की दिशा, उसकी संगठनात्मक शक्ति और राष्ट्रीय राजनीति में उसकी रणनीति का एक महत्वपूर्ण पैमाना भी साबित होगा। देश, दुनिया की नज़रें इस पर टिकी हैं कि भाजपा का अगला ‘कमांडर’ कौन होगा, जो पार्टी को जीत की ओर ले जाएगा!

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now